राष्ट्रीय
लखनऊ, 22 अगस्त। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने शनिवार को सदन में विपक्षियों पर निशाना साधा और कहा कि रामसेतु का विरोध करने वाले रामनाम का जाप करने लगे हैं। इन्हें पता चल गया है कि भारत में राम के बिना वैतरणी पार नहीं होगी। इस दौरान उन्होंने कहा कि, " विभाजनकारी लोग भी राम-राम बोल रहे हैं। हालांकि राम का नाम किसी भी नाम से लें उद्धार होगा, फिर वो परशुराम के नाम पर ही क्यों न हो। परशुराम के नाम में भी राम का नाम आता है।" इसके बाद मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि, "आज जो लोग जाति की राजनीति कर रहे हैं, वो जातिवाद का झंडा ऊंचा कर रहे हैं। यही लोग एक समय में तिलक-तराजू के नाम पर जहर घोलते थे।"
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि, " राम परशुराम में तात्विक रूप से कोई भेद नहीं है। दोनों विष्णु के अवतार हैं। शास्त्र में कोई भेद नहीं है।"
योगी बोले कि, "कुछ लोग राम और परशुराम में भेद बताकर गंदी सियासत करते हैं। जातिवादी, विभाजनकारी, कुत्सित मानसिकता रखते हैं। इसी वजह से देश की खुशी के साथ खुश नहीं हो सकते हैं। देश की खुशी के साथ वही लोग खुश हो सकते हैं जिनमें मर्यादा और धैर्य हो। लोकतंत्र बगैर लोकलाज के नहीं चलता। झूठ का सहारा लेकर कुछ समय के लिए लोगों की आंखों में धूल झोंकी जा सकती है। लेकिन विधाता सब देख रहा है। समय आने पर देश जवाब देगा। जनता जवाब देगी। "
उन्होंने कहा , " सभी को 492 वर्षों से इस क्षण की प्रतीक्षा थी। हम सब बहुत सौभाग्यशाली हैं कि हम इस पल के गवाह बन पाए हैं। इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को ह्रदय से बधाई।"
योगी ने कहा कि, " राम मंदिर का प्रसाद हर राज्य पहुंचेगा। कुम्भ की तरह ही हमारे ब्रांड एम्बेस्डर इसे पहुंचाने का काम करेंगे। इसके लिए हमारे प्रतिनिधि पूरे देश में प्रसाद लेकर जाएंगे। "
मुख्यमंत्री ने सदन में कहा कि, " कोरोना संक्रमण के काल में हम इस महामारी पर अंकुश लगाने के प्रयास के साथ ही प्रदेश में विकास कार्य को भी गति देते रहे। प्रदेश की कानून-व्यवस्था हमारी प्राथमिकता थी और रहेगी। हमें जिनके साथ जैसा व्यवहार करना चाहिए था, वैसा ही किया है।"
मुख्यमंत्री कहा कि, " हमने यूपी के लोगों को कोरोना से बचाने में महत्वपूर्ण काम किया है। दिल्ली के कुछ नमूने यहां आकर पूछते हैं, कि आपने लोगों के लिए क्या किया। अब हम उन्हें क्या बताएं हमने क्या-क्या किया।"
मुख्यमंत्री ने दिल्ली और यूपी के आंकड़ों के साथ उदाहरण पेश किया।
बताया जा रहा है मुख्यमंत्री ने इशारे ही इशारे में आप सांसद संजय सिंह पर निशाना साधा है। कुछ दिन से संजय सिंह लखनऊ में योगी सरकार पर लगातार हमला बोल रहे थे।
आदित्यनाथ ने कहा कि, "हमने प्रदेश की कानून-व्यवस्था दुरुस्त रखने की खातिर काफी जगह पर सख्ती भी की है। उपद्रव करने वालों को नहीं छोड़ा है।"(IANS)
नई दिल्ली, 22 अगस्त। कोविड-19 महामारी के बीच दिल्ली के एक निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने 52 साल की एक महिला के शरीर से 50 किलोग्राम वजनी ओवेरियन ट्यूमर निकालने में कामयाब हुए। इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स ने कहा कि स्थानीय निवासी एक महिला लक्ष्मी (बदला हुआ नाम) को हाल ही में सांस लेने में कठिनाई, पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द और चलने-फिरने और सोने में दिक्कत होने लगी थी।
जांच करने पर पता चला कि महिला के अंडाशय (ओवरी) में एक बड़ा और विस्तारित हो रहा ट्यूमर था। ट्यूमर बढ़ने के कारण महिला की आंतों पर दबाव बढ़ रहा था, जिससे महिला को पेट में दर्द और भोजन को पचाने में समस्या पैदा हो रही थी।
सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड बेरिएट्रिक सर्जरी के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. अरुण प्रसाद ने कहा, "एक सर्जन के रूप में मेरे अनुभव के 30 से अधिक सालों में मैंने कभी भी ऐसा मामला नहीं देखा था, जहां ट्यूमर का वजन व्यक्ति के वजन का लगभग आधा हो।"
बीते कुछ महीनों से महिला का वजन बढ़ रहा था। उसका वजन कुल 106 किलोग्राम था। इसके अलावा, रोगी के शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर गिरकर छह तक पहुंच गया था, जिससे गंभीर एनीमिया की समस्या हो गई। सर्जनों की एक टीम ने इस सप्ताह 50 किलो के ट्यूमर को निकालने के लिए साढ़े तीन घंटे की सर्जरी की।
प्रसाद ने कहा, "लेप्रोस्कॉपी या रोबोट-सहायक विधियों के माध्यम से उपकरण को शरीर के अंदर भेजने के लिए पेट में जगह ही नहीं थी, इसलिए हमें सर्जरी के पारंपरिक तरीकों का सहारा लेना पड़ा।"
उन्होंने आगे कहा, "गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, स्त्री रोग विशेषज्ञ और एनेस्थिसियोलॉजी टीमों के विशेषज्ञों के संयुक्त प्रयास से ऑपरेशन सफलतापूर्वक किया गया।"
इस मामले के एक प्रमुख सर्जन, डॉ. अभिषेक तिवारी ने कहा, "सौभाग्य से ट्यूमर नर्म था और रोगी को कोई और बीमारी नहीं थी, जिस वजह से वह तेजी से रिकवर कर गई। सर्जरी के बाद उनका वजन 56 किलोग्राम तक गिर गया।"(IANS)
नई दिल्ली, 22 अगस्त (वार्ता)। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए शनिवार को कहा कि सच को लाख कोशिश के बाद भी छिपाया नहीं जा सकता।
श्री गांधी ने सरकार के राफेल से जुड़ी सूचना कैग को नहीं देने संबंधी एक अखबार में छपी खबर का हवाला देते हुए कहा कि सरकार राफेल घोटाले पर पर्दा डालने का प्रयास कर रही है और तथ्य छिपा रही है।
उन्होंने ट्वीट किया, राफेल के लिए भारत सरकार के खजाने से पैसा चुराया गया। इसके साथ ही उन्होंने सच को लेकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के एक कथन का उद्धरण करते हुए लिखा, सच एक है, रास्ते कई हैं।
उन्होंने राफेल विमान के चित्र के साथ ही इस संबंध में छपी खबर को पोस्ट किया जिसमें कहा गया है कि नियन्त्रक एवं महालेखा परीक्षक-कैग ने राफेल ऑफसेट सौदे को लेकर सरकार को रिपोर्ट सौंपी है जिसमे राफेल पर हुए खर्च का कोई ब्यौरा नहीं है क्योंकि रक्षा मंत्रालय ने कैग को इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी है।
नई दिल्ली, 22 अगस्त (आईएएनएस)| माइक्रोसॉफ्ट के शोधकर्ताओं ने खुलासा किया है कि किस कदर महामारी के दौरान लोगों की ख्वाहिशें बदली हैं। एक ऐसे वक्त में बुनियादी जरूरतों पर ज्यादा जोर देखा गया है। वेंचरबीट की रिपोर्ट के मुताबिक, माइक्रोसॉफ्ट सर्च इंजन बिंग के आंकड़ों का इस्तेमाल करते हुए टीम ने महामारी के दौरान लोगों की शारीरिक, सामाजिक-आर्थिक और मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं में बदलाव को चिह्न्ति करने के लिए एक रूपरेखा तैयार की।
अमेरिका में करीब-करीब 36,000 जिप कोड के दरमियान इस रूपरेखा को 3500 करोड़ बिंग वेब सर्च पर लागू किया गया जिसके बाद शोधकतार्ओं को इंसान की बदलती आदतों के बारे में पता लगा।
इस रूपरेखा के तहत इंजन पर सर्च की गई चीजों को कुछ श्रेणियों में वगीर्कृत किया गया जैसे कि वास्तविक, संज्ञानात्मक, सामाजिक/भावनात्मक, सुरक्षात्मक और शारीरिक आवश्यकताएं।
करीब 9.1 प्रतिशत यानि कि 320 सर्च सही में जरूरत की चीजों के बारे में की गई।
शोधकतार्ओं ने पाया कि डिग्री, जॉब सर्च, जॉब और हाउसिंग साइट्स के बारे में खोज में 34 फीसदी तक की गिरावट आई है और यह अब भी बरकरार है।
रिसर्च के मुताबिक, महामारी के शुरूआती चार हफ्तों में शारीरिक और सुरक्षा आवश्यकताओं की खोज में काफी इजाफा देखा गया। टॉयलेट पेपर की खरीददारी में 127 गुना तक की वृद्धि देखी गई, साथ ही कर्ज माफ को लेकर यूजर्स द्वारा किए गए खोज में भी आधार रेखा से 287 गुना तक की बढ़ोत्तरी देखी गई और ऐसा कम से कम जुलाई के महीने तक तो बरकरार रहा।
इस रूपरेखा का उपयोग इस बात का निर्धारण करने के लिए भी किया जा सकता है कि कोई समुदाय किस हद तक सामाजिक और आर्थिक संकट झेल सकता है और साथ ही कमजोर वर्गों पर नीतियों के प्रभाव में असमानताओं की जांच करने के लिए भी इसका उपयोग किया जा सकता है।
नई दिल्ली, 22 अगस्त (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी वित्तीय परियोजनाएं लागू करने में महती भूमिका निभाने वाले पूर्व वित्त सचिव राजीव कुमार शुक्रवार को निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किए गए। वह अशोक लवासा का स्थान लेंगे। कानून एवं न्याय मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, वर्ष 1984 बैच के झारखंड कैडर के आईएएस अधिकारी राजीव कुमार की नियुक्ति अशोक लवासा से पदभार ग्रहण करने की तिथि से प्रभावी होगी। लवासा का इस्तीफा 31 अगस्त,2020 से प्रभावी माना जाएगा।
लवासा ने अपना इस्तीफा मंगलवार को राष्ट्रपति को भेजा था।
भुवनेश्वरः ओडिशा के ढेंकानाल जिले में बीते दो सप्ताह में 40 दलित परिवारों का सामाजिक बहिष्कार करने का मामला सामना आया है. दलित परिवार की एक लड़की द्वारा एक घर के आंगन से फूल तोड़ने की वजह से ऐसा किया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यह घटना ढेंकानाल के कांतियो कतेनी गांव की है, जहां लगभग दो महीने पहले 15 साल की एक दलित किशोरी द्वारा कथित उच्च जाति के एक परिवार के आंगन से फूल तोड़ लिए गए थे.
स्थानीय लोगों का कहना है कि उस परिवार की आपत्ति के बाद यह मामला दो समुदायों के बीच टकराव के रूप में तब्दील हो गया, जिसके बाद गांव के सभी 40 दलित परिवारों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया.
किशोरी के पिता निरंजन नाइक का कहना है, ‘हमने तुरंत माफी मांग ली थी, ताकि इस मामले को सुलझाया जा सके लेकिन इसके बाद कई बैठकें हुईं, जिसमें उन्होंने हमारा बहिष्कार करने का फैसला किया. किसी को भी हमसे बात करने की मंजूरी नहीं है. हमें गांव के किसी भी सामाजिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं है.’
बता दें कि इस गांव में लगभग 800 परिवार हैं, जिसमें से 40 परिवार अनुसूचित जाति नाइक समुदाय के हैं.
पीड़ित समुदाय ने इस संबंध में 17 अगस्त को जिला प्रशासन और पुलिस थाने को ज्ञापन सौंपा था.
एक ग्रामीण ज्योति नाइक का आरोप है, ‘स्थानीय सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) से हमें राशन नहीं मिल रहा और किराना स्टोर मालिकों ने हमें सामान बेचना बंद कर दिया है, जिसके बाद हमें जरूरी सामान खरीदने के लिए पांच किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है. गांव वालों ने हमसे बात करना भी बंद कर दिया है.’
इस ज्ञापन में कहा गया है कि यह सुनिश्चित किया गया है कि हमें गांव में काम न मिले, इसलिए हमें काम के लिए बाहर जाना पड़ेगा. हमारे समुदाय के अधिकतर लोग कम पढ़े-लिखे और अनपढ़ हैं और गांव के ही खेतों में काम करते हैं.
समुदाय के लोगों का आरोप है कि शादियों या अंतिम संस्कार के लिए गांव की सड़कों पर समुदाय के लोगों के जमा नहीं होने को लेकर भी चेतावनी दी गई है.
ज्ञापन में कहा गया है, ‘एक फरमान भी जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि हमारे समुदाय के बच्चे स्थानीय सरकारी स्कूल में नहीं पढ़ सकते. यहां तक कि हमारे समुदाय के शिक्षकों से भी कहीं और तबादला कराने को कहा गया है.’
गांव के सरपंच और ग्राम विकास समिति के सदस्यों ने इस बात पर सहमति जताई है कि ग्रामीणों से इस समुदाय के लोगों से बात नहीं करने को कहा गया है, हालांकि समिति और सरपंच ने अन्य आरोपों से इनकार किया है.
ग्राम विकास समिति के सचिव हरमोहन मलिक का कहना है, ‘यह सच है कि गांव के लोगों से इनसे बात नहीं करने को कहा गया है और ऐसा इनकी गलती की वजह से हुआ है लेकिन अन्य आरोप आधारहीन हैं.’
गांव के सरपंच प्रणवबंधु दास का कहना है, ‘यह अंतर सामुदायिक मामला है और हम इसे सुलझा लेंगे. बहुसंख्यक समुदाय की समस्या है कि अल्पसंख्यक समुदाय उन्हें झूठे मामलों में फंसाता है और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत पुलिस में शिकायत दर्ज कराता है.’
वे आगे कहते हैं, ‘जिस घटना की वजह से यह हुआ, उससे विवाद खड़ा हो गया था. कुछ दिनों के लिए समिति के फैसले के अनुसार बहुसंख्यक समुदाय ने दलित समुदाय के लोगों से बात करना बंद कर दिया. अब स्थिति सामान्य हो रही है.’
ग्रामीणों का कहना है कि ज्ञापन सौंपे जाने के बाद दो दौर की शांति बैठकें हुईं, लेकिन मामले को सुलझाया नहीं जा सका.
कामाख्या नगर उपखंड के सब-कलेक्टर बिष्णु प्रसाद आचार्य का कहना है, ‘पीड़ित समुदाय ने स्थानीय पुलिस से संपर्क किया था, लेकिन वह इस फैसले से खुश नहीं थे इसलिए वे मेरे पास आए. मैंने उन्हें उपविभागीय पुलिस अधिकारी के पास जाने को कहा. मैं दोनों समुदायों के बीच शांति बैठक भी कराऊंगा और इस मामले को सुलझाने की कोशिश करूंगा.’
तुमसिंगा पुलिस स्टेशन के प्रभारी इंस्पेक्टर आनंद कुमार डुंगडुंग का कहना है, ‘हमने इसे सुलझाने की कोशिश की. वे समझौता करना चाहते हैं और इस मामले को और बढ़ाना नहीं चाहते इसलिए हमने एफआईआर दर्ज नहीं की. हमने दोनों समुदायों के नेताओं की एक बैठक बुलाई है. अगर वे मामले को नहीं सुलझाते हैं तो हम एफआईआर दर्ज करेंगे.(thewire)
भारत की ज़मीन पर निर्माण कार्य कर रही है चीनी सेना
चीनी घुसपैठ के मामले में प्रधानमंत्री और सत्तारूढ़ दल के प्रवक्ता चाहे जो कहें, लद्दाख में बीजेपी के पूर्व प्रमुख और जम्मू-कश्मीर सरकार में मंत्री रह चुके शेरिंग दोर्जे का साफ़ मानना है कि चीन सीना न केवल भारतीय ज़मीन पर काबिज है, वह नहीं लौटने वाली है। उन्होंने यह भी कहा है कि चीनी सेना स्थायी निर्माण कर रही है, यह दूर से बिल्कुल साफ़ दिख रहा है।
शेरिंग दोर्जे महबूबा मुफ़्ती की पीडीपी-बीजेपी सरकार में लद्दाख मामलों और सहकारिता के मंत्री थे। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 'हमारे लोगों ने साफ़ देखा है कि चीनी सेना के बुलडोज़र वहां चल रहे हैं, सड़क बनाने का काम चल रहा है, हमारे गाँवों के बिल्कुल उस पार सबकुछ साफ़ दिख रहा है।'
शेरिंग दोर्जे ने कहा, -'चीनी सेना ने बग़ैर एक भी गोली चलाए इस इलाक़े पर कब्जा कर लिया है, स्थायी निर्माण कर रहे हैं और लगता है कि वह अब वहाँ से नहीं लौटेगी।'
पीएलए का कब्जा
उन्होंने यह भी कहा कि यदि पीपल्स लिबरेशन आर्मी को विवाद शुरू होने के पहले की स्थिति तक नहीं धकेला गया तो वे लोग इसी तरह लद्दाख की ज़मीन पर कब्जा करते रहेंगे।
बीजेपी के लद्दाख प्रमुख ने कहा कि चीनियों के काम करने का तरीका यह है कि वे पहले अपने चरवाहों को भारतीय सीमा में भेजते हैं और उनके पीछे-पीछे उनके सैनिक आते हैं।
भारतीयों के काम करने का तरीका उलटा है। वे अपने चरवाहों को चीनी इलाक़े तो क्या, भारतीय इलाक़ों में भी नहीं जाने देते हैं।
भारत का रवैया ढीला
दोर्जे ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास तैनात इंडो टिबेटन बॉर्डर पुलिस का रवैया ऐसा होता है कि वे कभी भी चीनी सैनिकों को चुनौती देने की हिम्मत नहीं करते हैं। चीनी चरवाहे आएं तो उन्हें पीछ जाने को नहीं कहते, चीनी सैनिक आ जाएं तो वे खामोश रहते हैं।
ऐसा नहीं होता है कि चीनी सैनिकों के अंदर दाखिल होने पर वे वहां जाकर उन्हें पीछे हटने को कहें या उन्हें चुनौती दें। भारतीय सुरक्षा बलों की कुल मिला कर कोशिश यह रहती है कि जब तक वे वहां तैनात है, सबकुछ शांति से निकल जाए और जब अगली टीम पहुँचे तो वह अपने हिसाब से जो करना हो करे।
दोर्जे ने कहा,भारतीय सुरक्षा बलों के लोग हर बार चीनी घुसपैठ को हल्के में लेते हैं या कम कर आँकते हैं। चीनी सैनिक हर बार थोड़ा आगे बढ कर थोड़ी सी भारतीय जमीन पर कब्जा कर लेते हैं।
नतीजा यह हुआ है कि भारत के चरवाहे 15 साल पहले तक जहां जाकर अपनी पशमीना बकरियों या याक को चराया करते थे, उन इलाक़ों पर चीनियों का कब्जा हो चुका है।
वह आशंका जताते हैं कि इस बार भी शायद ऐसा ही हो, चीनी सैनिक इस बार भी पीछे न हटें।
यह स्थिति तब है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साफ़ तौर पर कह चुके हैं कि कोई विेदेशी न तो भारतीय सीमा में घुसा है न ही घुस कर बैठा हुआ है।
दूसरी ओर, गुरुवार को ही भारत और चीन के बीच सैनिकों हटाने के मुद्दे पर राजनयिक स्तर की बातचीत होनी है। यह बातचीत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए होगी, जिसमें दोनों पक्षों के चोटी के राजनयिक भाग लेंगे। इसके पहले भी कई दौर की राजनयिक, राजनीतिक व सैनिक स्तर की बातचीत हो चुकी है। इतना ही नहीं, चीन में तैनात भारतीय राजदूत विक्रम मिस्री ने चीन के मिलिटरी कमीशन के बहुत बड़े अधिकारी से बात की, पर नतीजा नहीं निकला।(satyahindi)
नई दिल्ली, 22 अगस्त (आईएएनएस)| एक वकील ने न्यायपालिका की अवमानना मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ चल रहे मुकदमे की कार्यवाही का सीधा प्रसारण (लाइव टेलीकास्ट) किए जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। भूषण पर जून में किए गए ट्वीट के लिए न्यायपालिका की अवमानना का आरोप है और इसके लिए शीर्ष अदालत द्वारा स्वत:संज्ञान लिया गया है।
अधिवक्ता अमृतपाल सिंह खालसा ने दलील दी है कि इस अवमानना मामले का पर्याप्त प्रभाव बार और बेंच के संबंध में न केवल भारत, बल्कि दुनियाभर में हो सकता है।
प्रार्थी ने दलील दी है कि तत्काल अवमानना मामला सुप्रीम कोर्ट की स्थापना के बाद से सबसे सनसनीखेज मामला है, जो प्रिंट और डिजिटल मीडिया के हाथों प्रशांत भूषण मामले का प्रक्षेपण, उनके और उनके कृत्यों का गुणगान करने के अलावा और कुछ नहीं है, जो विधि व्यवस्था के सम्मान और प्रतिष्ठा को कम करता है।
खालसा ने शीर्ष अदालत से 25 अगस्त को लाइव टेलीकास्ट और कोर्ट की कार्यवाही की वीडियोटेपिंग सुनिश्चित करने का आग्रह किया, खासतौर पर आदेश के ऐलान के वक्त ऐसा करने की अपील की गई है।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि एक समर्थक वर्ग (लॉबी) है, जिसमें भूषण संस्थापक सदस्यों में से एक हैं, जिसका उद्देश्य संस्था को अस्थिर करना है और न्यायालय से अनुकूल आदेश प्राप्त नहीं होने पर सबसे कम संभव स्तर की आलोचना करना है। खालसा कहते हैं कि इस समर्थक वर्ग ने पिछले दिनों से मुख्य न्यायाधीशों को भी निशाना बनाया था।
खालसा ने भूषण की सुनवाई के लाइव टेलीकास्ट और वीडियो रिकॉर्डिग में किए गए खर्च का भुगतान करने का भी दायित्व लिया है, जो 25 अगस्त को नियत है।
आवेदक ने आगे कहा कि इस अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने प्रशांत भूषण को समर्थन दिया है। न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ (रिटायर्ड) ने भी अवमानना मामले की सुनवाई कर रही पीठ पर सवाल उठाया है और अवमानना के लिए एक अंतर-अदालत अपील का सुझाव दिया है।
शीर्ष अदालत ने 14 अगस्त को न्यायपालिका की आलोचना करने वाले ट्वीट के लिए सामाजिक कार्यकर्ता एवं वकील भूषण को अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया था।
जून के अंत में, भूषण ने अपनी राय व्यक्त करने के लिए ट्वीट किया था कि भारत के पिछले चार मुख्य न्यायाधीशों की कार्रवाई या निष्क्रियता ने औपचारिक आपातकाल के बिना भी देश में लोकतंत्र के विनाश में योगदान दिया है।
शीर्ष अदालत ने 20 अगस्त को प्रशांत भूषण को बिना शर्त माफी मांगने के लिए 24 अगस्त तक का समय दिया और उन्हें उनके बयान पर पुनर्विचार करने को कहा है।
नई दिल्ली, 22 अगस्त (आईएएनएस)| देश में उठे फेसबुक विवाद के बीच कांग्रेस सांसद शशि थरूर को आईटी मामलों की संसदीय स्थायी समिति के चेयरमैन पद से हटाने की मांग उठी है। इस बीच थरूर की ओर से भाजपा सांसद के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिए जाने के बाद थरूर के कदमों को रोकने के लिए भगवा पार्टी दो योजनाओं के साथ तैयार है, जिसमें से पहला कदम पहले से ही गतिमान है।
चलिए प्लान बी के बारे में बात करते हैं। अगर प्लान ए वांछित परिणाम नहीं देता है, तो भाजपा की ओर से एक सितंबर को प्रस्ताव में बैकअप योजना निर्धारित करने की संभावना है, जब आईटी पर स्थायी समिति का पुनर्गठन होगा। फेसबुक के प्रतिनिधियों को अगले दिन शाम चार से 4.30 बजे के बीच तलब किया गया है। इस विषय पर 'नागरिकों के अधिकारों की रक्षा और सामाजिक/ऑनलाइन समाचार मीडिया प्लेटफार्मों के दुरुपयोग की रोकथाम' नियम में किसी भी सदस्य को इस कदम पर सवाल उठाने और उस पर मतदान करने की अनुमति है।
समिति में शामिल 21 लोकसभा सदस्यों में से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 12 और एक सहयोगी सदस्य हैं। वहीं 10 राज्यसभा सदस्यों में से एक का निधन हो गया है और अब इनमें से केवल नौ बचे हैं। इन नौ में से भाजपा के तीन सदस्य हैं और एक नामित सदस्य का वोट मिलने की भी उम्मीद है।
भाजपा के 30 सदस्य पैनल में खुद के दम पर 15 सदस्य हैं। अगर यह सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) और एक मनोनीत सदस्य को अपने पाले में कर लेती है तो सत्तारूढ़ दल के पास 17 वोट होंगे। वोटिंग असामान्य नहीं है, यह देखते हुए कि पिछली बार व्हाट्सएप स्नूपिंग का मुद्दा सामने आया था, जिन्होंने प्रतिनिधियों को बुलाने का विरोध किया था। हालांकि, भाजपा ने वह राउंड गंवा दिया था। लेकिन इस बार, भाजपा ने अपने अंकगणित पर काम करना शुरू कर दिया है।
हालांकि लक्ष्य बी पर रुझान नहीं है। भाजपा के प्लान ए में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्थायी समिति के अध्यक्ष थरूर को रोकना है, जिन्होंने समिति में फेसबुक के प्रतिनिधियों को दो सितंबर को समिति में समन दिया है।
समिति में थरूर के सहयोगी और थरूर के कदम के प्रति भाजपा के विरोध का सामना करते हुए, निशिकांत दुबे ने बिरला को पत्र लिखकर योजना ए के लिए प्रस्ताव तैयार किया है, जहां उन्होंने आचरण संबंधी नियम 283 को लागू करने का आग्रह किया है।
नियम कहता है कि स्पीकर (अध्यक्ष) समय-समय पर एक समिति के अध्यक्ष को ऐसे निर्देश जारी कर सकता है, जैसा कि स्पीकर प्रक्रिया और अपने काम के संगठन को विनियमित करने के लिए आवश्यक समझता है।
सरल शब्दों में कहें तो स्पीकर थरूर को रोकने के लिए कदम उठा सकते हैं, अगर वह परिस्थिति के अनुसार सटीक बैठता है।
दुबे ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "समिति में किसी को भी बुलाने के लिए हस्ताक्षर करने वाला प्राधिकारी महासचिव होता है, जो लोकसभा अध्यक्ष और अध्यक्ष को रिपोर्ट करता है और किसी को रिपोर्ट नहीं करता है।"
अध्यक्ष की इस अतिव्यापी शक्ति पर बल देते हुए, दुबे ने थरूर के कथित दुराचार के उदाहरणों का हवाला दिया है, जिसमें कथित रूप से समिति के सदस्यों को दरकिनार करना शामिल है।
कई भाजपा सदस्यों ने हालांकि स्वीकार किया है कि थरूर को हटाना स्पीकर के लिए भी आसान काम नहीं है।
नई दिल्ली, 21 अगस्त (आईएएनएस)| भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) और संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) को दिवाली तक स्थगित करने के लिए शिक्षा मंत्रालय को निर्देश देने की मांग की है। उन्होंने चेताया है कि अगर ऐसा नहीं होता है तो विद्यार्थी आत्महत्या का रास्ता अपनाएंगे। मोदी को लिखे अपने महत्वपूर्ण पत्र में स्वामी ने कहा, "मेरी राय में परीक्षा आयोजित करने से देश भर के युवाओं द्वारा बड़ी संख्या में आत्महत्याएं किए जा सकती हैं।"
उन्होंने सार्वजनिक परिवहन की सुविधा नहीं होने का हवाला भी दिया।
स्वामी ने मुंबई का एक उदाहरण देते हुए दावा किया, "कोई सार्वजनिक परिवहन नहीं है और लोगों को अन्य क्षेत्रों से आना पड़ता है, अक्सर 20 से 30 किलोमीटर दूर से।" उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण कई स्थानों पर लागू प्रतिबंधों के कारण ऐसी स्थिति है।
इससे पहले राज्यसभा सांसद स्वामी ने शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल से भी परीक्षाएं स्थगित करने का आग्रह किया था। उन्होंने इसका जिक्र करते हुए पत्र में कहा कि दिवाली तक परीक्षाएं स्थगित करने के सुझाव के प्रति पोखरियाल को भी सहानुभूति है। उन्होंने कहा कि हालांकि इसे प्रधानमंत्री की सहमति की जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कोरोनावायरस प्रकोप का हवाला देते हुए दोनों प्रवेश परीक्षाओं को स्थगित करने की याचिका खारिज कर दी थी। अदालत ने कहा कि वायरस के प्रकोप के बावजूद जीवन गुजर रहा है और सितंबर में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के फैसले में दखल देकर वह छात्रों के करियर को खतरे में नहीं डाल सकता है।
कोरोना वायरस के चलते नीट और जेईई मेन परीक्षाओं को दो बार स्थगित किया जा चुका है। पहले ये परीक्षाएं मई में होनी थीं, जिन्हें बाद में जुलाई में करवाने का फैसला किया गया। हालांकि संक्रमण के बढ़ते मामलों के मद्देनजर नीट और जेईई मेन की परीक्षाएं सितंबर में कराने का फैसला किया गया। अब जेईई मेन की परीक्षाएं एक से छह सितंबर और नीट की परीक्षा 13 सितंबर को आयोजित की जानी है।
कायद नाजमी
मुंबई, 21 अगस्त (आईएएनएस)| सीबीआई जहां सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले की जांच शुरू कर चुकी है, वहीं महाराष्ट्र में इस मुद्दे पर सियासत अभी भी जारी है। हाउसिंग मंत्री जितेन्द्र अवहाद ने शुक्रवार को अनुमान लगाते हुए कहा कि बिहार डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे राज्य की नई सरकार में गृहमंत्री होंगे।
वरिष्ठ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी नेता अवहाद ने ट्वीट कर कहा, "मान लेते हैं कि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री के रूप में फिर से वापसी करते हैं, बिहार के डीजीपी(पांडे) राज्य के निश्चित ही गृहमंत्री होंगे।"
यहां तक की सत्तारूढ़ शिवसेना ने भी पुलिस अधिकारी पर निशाना साधा और कहा कि 'सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उनके चेहरे पर असीम आनंद को देखा जा सकता था।'
शिवसेना के सांसद संजय राउत ने कहा कि कैसे पांडे ने इस निर्णय को 'अन्याय के खिलाफ न्याय की जीत' बताया था और कहा कि 'आईपीएस अधिकारी पटना में 19 अगस्त को मीडिया के सामने केवल भाजपा का झंडा लहरा रहे थे।'
राउत ने कहा कि मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ साजिश की गई है। इसके साथ ही उन्होंने नीतीश कुमार पर भी फैसले के बाद प्रतिक्रिया के तरीके पर भी निशाना साधा और कहा कि उनकी प्रतिक्रिया एक 'चुनाव जीतने के भाषण' की तरह थी।
राउत ने कहा, "बिहार में, हत्या के कई मामलों को सीबीआई को सुपूर्द किया गया है-कितने वास्तविक आरोपी अबतक पकड़े गए हैं? जो लोग मुंबई पुलिस पर अंगुली उठा रहे थे, उन्हें एकबार सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को पढ़ना चाहिए। महाराष्ट्र के पास देश में सबसे अच्छी कानून व्यवस्था है और किसी को भी हमें इस बारे में शिक्षा नहीं देनी चाहिए।"
राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने भी जोर देकर कहा कि सुशांत मामले की जांच नरेंद्र दाभोलकर की तरह नहीं होनी चाहिए।
नई दिल्ली, 21 अगस्त (आईएएनएस)| चुनाव आयोग ने कोरोना काल में चुनावों और उपचुनावों को कराने के लिए गाइडलाइंस जारी की है। जनसंपर्क, जनसभाओं से लेकर मतदान तक सोशल डिस्टेंसिंग की कड़ी शर्तों का पालन करना होगा। गाइडलाइंस जारी होने से यह स्पष्ट हो गया है कि बिहार में चुनाव समय पर ही होंगे। आयोग ने राजनीतिक दलों के सुझावों पर विचार करने के बाद आगामी चुनावों के लिए यह गाइडलाइंस जारी की है। शर्तों के मुताबिक प्रत्याशी सहित सिर्फ दो लोग ही नामांकन के लिए जा सकेंगे। वहीं प्रत्याशी सहित सिर्फ 5 लोग ही डोर टू डोर जनसंपर्क कर सकेंगे।
जनसभाओं के लिए जिला निर्वाचन अधिकारी उपयुक्त मैदान चिह्न्ति करेंगे। जहां एंट्री और एग्जिट के उचित व्यवस्था होगी। सोशल डिस्टेंसिंग के साथ ही सभाएं होंगी।
चुनाव आयोग ने शुक्रवार को जारी गाइडलाइंस में कहा है कि कोरोना से बचाव के लिए गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से समय-समय पर दिशा-निर्देश जारी होते हैं। आयोग ने बीते 17 जुलाई को सभी राजनीतिक दलों से चुनावों के संचालन को लेकर 31 जुलाई तक सुझाव मांगे थे। उनके अनुरोध पर आयोग ने 11 अगस्त तक तारीख बढ़ा दी थी। राजनीतिक दलों की ओर से इलेक्शन कैंपेनिंग और जनसभाओं को लेकर आए सुझावों पर विचार करने के बाद गाइडलाइंस जारी हुई।
आयोग के दिशा निर्देशों के मुताबिक, मतदान व्यवस्था से जुड़े हर व्यक्ति को मास्क पहनना जरूरी होगा। अगर वोटर पोलिंग सेंटर पर बगैर मास्क के मिलेगा तो उसे उपलब्ध कराया जाएगा। मतदान केंद्र के प्रवेश द्वार पर थर्मल स्कैनिंग मशीन होगी। सैनिटाइजर, साबुन, पानी भी उपलब्ध होगा। गृह मंत्रालय और राज्य सरकार की ओर से जारी गाइडलाइंस के अनुसार सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करनी होगी।
चुनाव आयोग ने कोविड 19 मैनेजमेंट के लिए राज्य, जिला और विधानसभा स्तर पर नोडल हेल्थ अफसर की तैनाती के निर्देश दिए हैं। ईवीएम के इस्तेमाल से पहले मतदाताओं को सैनिटाइजर दिया जाएगा। सभी मतदान कर्मियों को दस्ताने दिए जाएंगे। मतदान अधिकारियों की ट्रेनिंग ऑनलाइन होगी। ज्यादा संख्या में कर्मचारी रिजर्व रखे जाएंगे।
एक मतदान केंद्र पर सिर्फ एक हजार वोटर्स ही वोट देंगे। पहले यह संख्या 1500 थी। मतदान से पहले पूरे पोलिंग स्टेशन को सैनिटाइज किया जाएगा। जो मास्क नहीं पहनकर आएंगे उन्हें मास्क उपलब्ध कराया जाएगा। पोलिंग अफसर को कोविड 19 की किट भी मिलेगी, जिसमें मास्क, सैनिटाइजर, फेस शील्ड और ग्लव्स भी रहेगा।
नवनीत मिश्र
नई दिल्ली, 21 अगस्त (आईएएनएस)| देश में जातीय भेदभाव मिटाने की दिशा में चल रहे विश्व हिंदू परिषद के प्रयास को बड़ी सफलता हासिल हुई है। देश में पांच हजार दलितों को पुजारी बनाने में विहिप सफल हुआ है। ऐसा संगठन ने आईएएनएस से दावा किया है। विहिप की कोशिशों से ज्यादातर पुजारी सरकारी देखरेख में संचालित मंदिरों के पैनल में भी शामिल हुए हैं। विश्व हिंदू परिषद का कहना है कि सामाजिक समरसता की दिशा में यह अभियान लगातार चल रहा है। विश्व हिंदू परिषद 'हिंदू मित्र परिवार योजना' और 'एक मंदिर, एक कुआं, एक श्मशान-तभी बनेगा भारत महान' की योजना पर भी लगातार काम कर रहा है।
विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने शुक्रवार को आईएएनएस से कहा, दक्षिण भारत में इस अभियान को बड़ी सफलता मिली है। यहां के राज्यों में दलित पुजारियों की संख्या ज्यादा है। सिर्फ तमिलनाडु में ही ढाई हजार दलित पुजारी विहिप की कोशिशों से तैयार हुए हैं। आंध्र प्रदेश के मंदिरों में भी दलित पुजारियों की अच्छी-खासी संख्या है। पूरे देश में 5 हजार से अधिक दलित पुजारियों को विहिप ने तैयार किया है। यह संगठन की बड़ी सफलता है।
दलित पुजारियों को तैयार करने वाले इस अभियान के संचालन के लिए विहिप में दो विभाग काम करते हैं। अर्चक पुरोहित विभाग और सामाजिक समरसता विभाग मिलकर इस पूरे अभियान को चला रहे हैं। धर्म-कर्म में रुचि रखने वाले दलितों को पूरे विधि-विधान से पूजन-अर्चन करने की पद्धति सिखाई जाती है। फिर उन्हें सर्टिफिकेट भी मिलता है।
विहिप प्रवक्ता विनोद बंसल के मुताबिक, दक्षिण भारत के दलित पुजारियों को आंध्र प्रदेश स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर की ओर से प्रमाणपत्र मिला है। यह प्रमाणपत्र धार्मिक कार्यों के संचालन की दीक्षा सफलतापूर्वक हासिल करने के बाद उन्हें मिला है।
विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारियों का कहना है कि वर्ष 1964 में स्थापना के पांच वर्ष बाद से ही संगठन देश से अस्पृश्यता दूर करने की दिशा में काम कर रहा है। कर्नाटक के उडुपी में वर्ष 1969 में हुए धर्म संसद में अस्पृश्यता दूर करने का संकल्प लिया गया था। उस दौरान संतों ने देश को 'न हिन्दू पतितो भवेत' का संदेश दिया था। जिसका मतलब था कि सभी हिंदू भाई-भाई हैं, कोई दलित नहीं है।
दलितों को मुख्यधारा में लाने की कोशिशों के तौर पर 1994 में काशी में हुई धर्म संसद का निमंत्रण डोम राजा को देने विहिप के पदाधिकारी और संत गए थे। उन्होंने डोम राजा के घर प्रसाद भी ग्रहण किया था। विहिप के आमंत्रण पर धर्म संसद में पहुंचे डोम राजा को बीच का आसन देकर माल्यार्पण कर स्वागत किया गया था। नवंबर 1989 को राम मंदिर का शिलान्यास भी विहिप ने दलित कामेश्वर चौपाल के हाथों कराकर उस समय सामाजिक समरसता का बड़ा संदेश दिया था। राम मंदिर निर्माण के लिए बने ट्रस्ट में भी कामेश्वर चौपाल को जगह दी गई है।
भोपाल, 21 अगस्त (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश की राजधानी में आयकर विभाग की टीमों की फेथ बिल्डर के दफ्तर और कई स्थानों पर छापेमारी के बाद दूसरे दिन शुक्रवार को भी कार्रवाई जारी रही। छापेमारी में बिल्डर राघवेंद्र सिंह तोमर और उससे जुड़े लोगों की अब तक 100 से अधिक संपत्तियों के बारे में पता चला है। आयकर विभाग की टीमों ने गुरुवार को फेथ बिल्डर तोमर के ऑफिस सहित उसके और उससे जुड़े लोगों के 20 से अधिक ठिकानों पर गुरुवार की सुबह दबिश दी थी। कार्रवाई दूसरे दिन भी जारी है। छापेमारी में अब तक कई महत्वपूर्ण दस्तावेज आयकर दस्ते के हाथ लगे हैं। टीमों को जो दस्तावेज मिले हैं, उससे 100 से अधिक संपत्तियों की जानकारी सामने आई है।
सूत्रों के अनुसार, आयकर विभाग को जिन संपत्तियों का पता चला है, उनमें भोपाल के रातीबढ़ में लगभग दो सौ एकड़ क्षेत्र में क्रिकेट स्टेडियम है, इसके अलावा 20 से ज्यादा आवासीय भूखंड, सात फ्लैट, छह मकान, होटल, रिसोर्ट एवं आवासीय परियोजनाएं, शॉपिंग मॉल, दुकानों आदि में निवेश किया गया है। वहीं एक करोड़ से ज्यादा की नगदी भी मिली है।
ज्ञात हो कि बिल्डर के यहां कई बड़े लोगों द्वारा निवेश किए जाने की जानकारी मिलने पर आयकर विभाग की टीमों ने गुरुवार को छापा मारा था। इस टीमों ने पूरी गोपनीयता का ध्यान रखते हुए यह छापेमारी कार्रवाई की थी। यही कारण था कि आयकर विभाग की टीमें जिन गाड़ियों से भोपाल पहुंची थीं, उन पर कोविड से जुड़े पास चस्पा थे।
नई दिल्ली, 21 अगस्त (आईएएनएस)| राज्य सभा सांसद अमर सिंह के निधन से खाली हुई सीट के लिए 11 सितंबर को उपचुनाव होगा। निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को इसकी घोषणा की। अमर सिंह उत्तर प्रदेश से राज्य सभा सांसद थे। चुनाव आयोग के मुताबिक, चुनाव के लिए अधिसूचना 25 अगस्त को जारी होगी और वोटिंग 11 सितंबर को होगी।
अमर सिंह का देहांत लंबी बीमारी के बाद 1 अगस्त को हुआ था। उनका कार्यकाल जुलाई 2022 में समाप्त होने वाला था। अमर सिंह समाजवादी पार्टी से राज्यसभा सांसद चुने गए थे। लेकिन वो बाद में बीजेपी की ओर चले गए थे।
हाल ही में बेनी प्रसाद वर्मा के निधन के बाद राज्यसभा के लिए हुए उपचुनाव में बीजेपी के जय प्रकाश निषाद निर्विरोध चुने गए थे।
हैदराबाद, 21 अगस्त (आईएएनएस)| तेलंगाना के नागारकुर्नूल जिले में श्रीसैलम लेफ्ट बैंक केनाल में स्थित टीएस गेनको के हाइडल पावर स्टेशन में लगी भीषण आग के बाद वहां फंसे छह लोगों के शव बरामद किए गए हैं। इससे पहले वहां मौजूद 17 व्यक्तियों में से आठ व्यक्यिों को बचा लिया गया था और बांकियों को बचाने के प्रयास किए जा रहे थे। घटना गुरुवार देर रात की बताई गई है।
आगरा, 21 अगस्त (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के आगरा में बस अपहरण के पीछे की असली कहानी ने मुख्य आरोपी प्रदीप गुप्ता की गिरफ्तारी के साथ एक नया मोड़ ले लिया है। बस का अपहरण बुधवार को किया गया था और ठीक एक दिन बाद गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया गया था। पुलिस ने आरोपी प्रदीप गुप्ता को आगरा के फतेहाबाद इलाके में एक मुठभेड़ के बाद हिरासत में लिया। मुठभेड़ के दौरान उसके पैर में गोली लगी थी।
आगरा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी), बबलू कुमार के अनुसार, बस के अपहरण का कारण धन विवाद था और ईएमआई भुगतान में देरी नहीं था, जैसा कि पहले बताया गया था। वहीं बस के मालिक का अधिकार ग्वालियर से पवन अरोड़ा के पास था।
ऐसा कहा जा रहा है कि प्रदीप गुप्ता का पवन अरोड़ा के पिता अशोक अरोड़ा के साथ पैसे को लेकर विवाद चल रहा था।
अशोक अरोड़ा की मंगलवार को कोविड -19 की वजह से मौत हो गई और आरोपी प्रदीप गुप्ता ने अरोड़ा से बकाया धन पाने के लिए बस का अपहरण किया।
सरकार के प्रवक्ता ने बुधवार को कहा था कि श्रीराम फाइनैंस कंपनी ने ऋण के किस्तों का भुगतान नहीं करने के कारण 34 यात्रियों के साथ बस का अपहरण कर लिया था।
जिला अधिकारी ने शुक्रवार को स्वीकार किया कि इस घटना से जुड़ी कुछ गलत जानकारी दी गई थी।
इसी बीच श्रीराम फाइनैंस कंपनी ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि वाहन "हमारे द्वारा या हमारे किसी भी प्रतिनिधि द्वारा जब्त नहीं किया गया है। कंपनी का इस घटना से कोई लेना देना नहीं है। हमारी ग्वालियर शाखा से इस वाहन के लिए लिया गया ऋण साल 2018 में ही निपट चुका है। हमने आज सुबह ही एसएचओ हरि पर्वत और आगरा के एसपी सिटी से मुलाकात की है और इस मामले से संबंधित जानकारी दी है।"
आगरा एसएसपी ने कहा कि प्रदीप गुप्ता की पहचान बुधवार को टोल प्लाजा पर लगे सीसीटीवी फुटेज से हुई थी, क्योंकि उसने ही बस के अपहरण कांड का नेतृत्व किया था।
अशोक अरोड़ा के परिजनों ने टोल प्लाजा पर लगे सीसीटीवी फुटेज से प्रदीप गुप्ता की पहचान की। वह कथित अपहरणकतार्ओं द्वारा इस्तेमाल की गई एसयूवी कार में था।
आगरा के न्यू दक्षिणी बाय-पास पर बुधवार को बस का अपहरण किया गया था। ड्राइवर, कंडक्टर और हेल्पर को बस से नीचे उतार दिया गया था और यात्रियों को दूसरी बस में जाने के लिए कहा गया था। अपहृत बस को बाद में इटावा जिले में बरामद किया गया था।
पूछताछ के दौरान गुप्ता ने पुलिस को बताया कि उसका अशोक अरोड़ा और उनके परिवार के साथ 2012 से व्यापारिक संबंध थे। उसने कहा कि अरोड़ा ने बसों के पंजीकरण और परमिट के लिए उससे 67 लाख रुपये लिए थे। इस राशि की व्यवस्था उसने इटावा से की थी और बार-बार याद दिलाने के बावजूद वे वापस भुगतान नहीं कर रहे थे। उसने कहा कि उसने राशि वसूलने के लिए उसने बस के अपहरण की योजना बनाई।
कानपुर, 21 अगस्त (आईएएनएस)| कानपुर के शातिर अपराधी विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद भी इस केस में रोज नए मामले सामने आ रहे हैं। पुलिस को जांच में पता चला है कि विकास दुबे के फोइनेंसर का काम संभालने वाले जय वाजपेयी के एक मकान में तीन पुलिसकर्मी रहते थे। आईजी रेंज के आदेश पर तीनों को निलम्बित किया गया है। इसके अलावा तीनों की विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है। कानपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डा़ प्रितिंदर सिंह ने बताया, "विकास दुबे प्रकरण मामले में जय बाजपेयी उसका साथी है। वह उसी मुकदमे में जेल में है। उसके अन्य साथी पर गैंगेस्टर एक्ट के तहत मुकदमा किया गया है। कुछ अन्य साथियों को गिरफ्तारी का प्रयास चल रहा है। सूत्रों से संज्ञान में आया है कि तीन पुलिस कर्मी जय बाजपेई के मकान में रहते पाए गये हैं। तीनों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। इसके अलावा इनके संबधों की जांच की जा रही है। इसके अलावा अन्य पुलिसकर्मियों का अगर अपराधियों के साथ गठजोड़ करता पाया गया तो उसके साथ सख्ती से कार्रवाई होगी।"
ज्ञात हो कि शिकायत के बाद आइजी मोहित अग्रवाल ने सीओ नजीराबाद गीतांजलि को जय बाजपेयी के ब्रह्मनगर स्थित मकान नंबर 111-481 में छापा मारने के निर्देश दिए। जांच के दौरान घर पर कर्नलगंज में तैनात उप निरीक्षक राजकुमार, अनवरगंज में तैनात उप निरीक्षक उस्मान और रायपुरवा में तैनात उप निरीक्षक खालिद वहां रहते पाए गए।
आइजी मोहित अग्रवाल ने बताया कि जिस मकान में दारोगा रहते मिले, वह केडीए से विवादित है। मगर वहां पर पुलिस कर्मी रह रहे हैं जिसके कारण उस मकान पर कार्रवाई करने में मुश्किलें आ रही हैं। इस शिकायत को अधिकारी ने गम्भीरता से लिया और सीओ नजीराबाद गीतांजलि सिंह को मामले की जांच सौंपी। आईजी से निर्देश मिलने के बाद सीओ ने ब्रह्मनगर स्थित जय के विवादित मकान में छापेमारी की। छापेमारी के दौरान पाया गया कि यह तीनों वहां रह रहे हैं। तीनों से पूछताछ और जांच में पता चला कि पुलिस कर्मी मुफ्त में वहां रह रहे थे। सीओ ने रिपोर्ट आईजी को सौंप दी। इसके बाद उन्होंने तीनों को निलम्बित करने और विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए।
मनोज पाठक
गया, 21 अगस्त (आईएएनएस)| बिहार में 'मोक्षस्थली' गया में इस साल पितृपक्ष के मौके पर श्रद्घालु अपने पुरखों को मोक्ष दिलाने के लिए नहीं आएंगे। कोरोना संक्रमण काल में आने वाले श्रद्घालुओं की भीड़ को देखते हुए सरकार ने इस साल पितृपक्ष मेले का आयोजन स्थगित करने का निर्णय लिया है। सरकार के इस आदेश के बाद पंडा समाज ने नाराजगी जताई है।
हिंदू धर्मावलंबी अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पितृपक्ष में गयाजी आते हैं और विभिन्न पिंडस्थलों पर पिंडदान और तर्पण कर अपने पूर्वजों को मोक्ष की कामना करते थे।
बिहार राज्य राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने निर्णय लिया है कि जनहित में इस साल पितृपक्ष मेला स्थगित किया जा रहा है। इस साल दो सितंबर से पितृपक्ष मेला प्रारंभ होने वाला था, जिसमें 10 लाख श्रद्घालुओं के पहुंचने की संभावना व्यक्त की जा रही थी।
विभाग ने अपने आदेश में कहा है, "कोविड-19 के कारण पितृपक्ष मेला में आने वाले पिंडदानियों द्वारा सामाजिक दूरी का अनुपालन में होने वाले कठिनाइयों एवं संभावित संक्रमण को देखते हुए जनहित में विभाग द्वारा पितृपक्ष मेला 2020 स्थगित करने का निर्णय लिया गया है।"
इधर, इस आदेश के बाद पंडा समाज एवं आम लोगों में नाराजगी है। गया के पंडा समुदाय से लेकर आम लोग तक पूरे साल पिंडदानियों का इंतजार करता है। बड़ी संख्या में लोग पितृपक्ष में यहां रहकर पिंडदान करते हैं। ऐसे में यहां व्यापार भी बढ़ता है और स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलता है। लेकिन, इस साल मेला आयोजित नहीं किए जाने से हजारों लोगों का रोजगार छिन जाएगा।
तीर्थवृत सुधारिनी सभा के अध्यक्ष गजाधर लाल कटियार ने कहा कि तीर्थ पुरोहितों को सरकार की ओर कोई सहयोग नहीं मिला है। ऐसी विकट स्थिति में पितृपक्ष में नियम-कानून के अनुसार पिंडदान कराने की अनुमति देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए वे अन्य पंडा समुदायों से इस संबंध में विचार कर आगे का निर्णय लिया जाएगा।
इधर, गयापाल पंडों का कहना है कि पितृपक्ष की आय पर ही उन लोगों के साथ ही ब्राह्मण और विष्णुपद मेला क्षेत्र के दुकानदार आश्रित हैं। इस बार पितृपक्ष में पिंडदान नहीं होने से सभी लोगों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो जाएगी। कोरोना काल में पिछले छह माह सभी लोग परेशान हैं।
इस बीच, गया के विधायक और मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि इसके लिए वे प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर अनुमति देने का आग्रह करेंगे। उन्होंने कहा कि मेला पर यहां के लोगों का रोजगार निर्भर रहता है, ऐसे में इसे स्थगित करने से लोगों को आर्थिक रूप से नुकसान होगा।
उल्लेखनीय है कि सालों भर पिंडदान के लिए पिंडदानी गया आते हैं, लेकिन आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष में लगने वाले 15 दिनों के पितृपक्ष में यहां बडी संख्या में देश और विदेश के श्रद्घालु आकर अपने पूर्वजों को मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान और तर्पण करते हैं। पितृपक्ष में एक दिन, तीन दिन, सासत दिन, 15 दिन और 17 दिनों का पिंडदान होता है।
अवमानना मामले में दोषी पाए जाने के बाद वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने अपने दो ट्वीट के लिए माफी मांगने से इंकार कर दिया है। प्रशांत भूषण ने कहा कि उन्हें अदालत की अवमानना मामले में सजा मिलने का डर नहीं है। वहीं, दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। बता दें कि, प्रशांत भूषण न्यायपालिका पर किए गए दो ट्वीट को लेकर अदालत की अवमानना मामले में दोषी करार दिए गए हैं।
इस पर पूर्व केंद्रीय मंत्री, पत्रकार और लेखक अरुण शौरी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि अगर कोर्ट प्रशांत भूषण के ट्वीट से नाराज़ है तो कानून के मुताबिक उन्हें अदालत में अपना पक्ष रखने का मौका मिलना चाहिए। बता दें कि, अरुण शौरी ने पत्रकार एन राम और प्रशांत भूषण के साथ मिलकर सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होने कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट एक्ट की धारा 2(सी) (आई) को चुनौती दी थी। हालांकि, बाद में याचिका वापस ले ली थी।
द इंडियन एक्सप्रेस के साथ इंटरव्यू में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी से पूछा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि प्रशांत भूषण के दो ट्वीट सुप्रीम कोर्ट में लोगों के विश्वास को कम करने का काम करेंगे और यह हमारे देश में ‘लोकतंत्र के केंद्रीय स्तंभ’ को कमजोर करते हैं। ऐसे में आप किसकी तरफ हैं?
इस पर शौरी ने कहा कोर्ट ने कहा है कि भूषण के ट्वीट निचली न्यायपालिका को भयभीत करेंगे। जब सुप्रीम कोर्ट खुद की रक्षा नहीं कर सकती तो हमारी रक्षा क्या करेगी? इसके अलावा ये दो ट्वीट विदेशों में भारत की छवि को कम कर देंगे। भारत को एक लोकतंत्र के रूप में देखा जाता है और ये ट्वीट उस लोकतंत्र के केंद्रीय स्तंभ को कमजोर करते हैं। ट्विटर का विज्ञापन करने वाली कंपनी को इससे बेहतर विज्ञापन नहीं मिल सकता ‘आइये और ट्विटर से जुडिय़े, यह फ्लैटफॉर्म कितना ताकतवर है कि सिर्फ दो ट्वीट से आप दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के केंद्रीय स्तंभ को कमजोर कर सकते हैं।’
इस फैसले से यह साबित होता है कि न्यायतंत्र खोखला हो चुका है। केंद्रीय स्तंभ इतना कमजोर और नाजुक हो चुका है कि मात्र दो ट्वीट इसे संकट में डाल सकते हैं। इस तरह की टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट के तीन न्यायाधीशों से आएगी तो लोगों का सच में सुप्रीम कोर्ट से भरोसा उठ जाएगा। ऐसे में लोग कहेंगे ‘अरे यार, तुम सुप्रीम कोर्ट के पास भाग रहे हो कि वो तुम्हें बचाए जबकी वो खुद कह रहे हैं कि वो तो इतने कमजोर हो गए हैं कि दो छोटे से ट्वीट सारे ढांचे को गिरा देंगे।’
शुक्रवार (14 अगस्त) को जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने प्रशांत भूषण को उनके दो ट्वीट्स के लिए कोर्ट की अवमानना का दोषी करार दिया था। कोर्ट ने कहा था कि ये ट्वीट्स तोड़े-मरोड़े गए तथ्यों पर आधारित थे और इनसे सुप्रीम कोर्ट की बदनामी हुई। (jantakareporter)
अनंत प्रकाश
नई दिल्ली, 21 अगस्त। केंद्र सरकार ने बीते बुधवार सरकारी क्षेत्र की तमाम नौकरियों में प्रवेश के लिए एक राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी गठित करने का फैसला किया है।
सरकार का दावा है कि ये एजेंसी केंद्र सरकार की नौकरियों में प्रवेश प्रक्रिया में परिवर्तनकारी सुधार लेकर आएगी और पारदर्शिता को भी बढ़ावा देगी।
इस एजेंसी के तहत एक कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट यानी समान योग्यता परीक्षा आयोजित की जाएगी जो कि रेलवे, बैंकिंग और केंद्र सरकार की नौकरियों के लिए ली जाने वाली प्राथमिक परीक्षा की जगह लेगी।
वर्तमान में युवाओं को अलग अलग पदों के लिए आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं में भाग लेने के लिए भारी आर्थिक दबाव और अन्य तरह की मुश्किलें झेलनी पड़ती हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ट्वीट करके कैबिनेट के इस फ़ैसले की प्रशंसा की है।
प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा है, राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी करोड़ों युवाओं के लिए एक वरदान साबित होगी। सामान्य योग्यता परीक्षा (कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट) के जरिये इससे अनेक परीक्षाएं ख़त्म हो जाएंगी और कीमती समय के साथ-साथ संसाधनों की भी बचत होगी। इससे पारदर्शिता को भी बड़ा बढ़ावा मिलेगा।
कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट क्या है?
भारत में हर साल दो से तीन करोड़ युवा केंद्र सरकार और बैंकिग क्षेत्र की नौकरियों को हासिल करने के लिए अलग अलग तरह की परीक्षाओं में हिस्सा लेते हैं।
उदाहरण के लिए बैंकिंग क्षेत्र में नौकरियों के लिए ही युवाओं को साल में कई बार आवेदन पत्र भरना पड़ता है। और प्रत्येक बार युवाओं को तीन-चार सौ रुपये से लेकर आठ-नौ सौ रुपये तक की फीस भरनी पड़ती है।
लेकिन नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी अब ऐसी ही तमाम परिक्षाओं के लिए एक कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट का आयोजन करेगी।
नई शिक्षा नीति क्या लड़कियों की स्कूल वापसी करा पाएगी?
इस टेस्ट की मदद से एसएससी, आरआरबी और आईबीपीएस के लिए पहले स्तर पर उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग और परीक्षा ली जाएगी।
प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो के मुताबिक, कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट एक ऑनलाइन परीक्षा होगी जिसके तहत ग्रेजुएट, 12वीं पास, और दसवीं पास युवा इम्तिहान दे सकेंगे।
ख़ास बात ये है कि ये परीक्षा शुरू होने के बाद परीक्षार्थियों को अलग अलग परीक्षाओं और उनके अलग-अलग ढंगों के लिए तैयारी नहीं करनी पड़ेगी।
क्योंकि एसएससी, बैंकिंग और रेलवे की परीक्षाओं में पूछे जाने वाले सवालों में एकरूपता नहीं होती है। ऐसे में युवाओं को हर परीक्षा के लिए अलग तैयारी करनी पड़ती है।
कैसे होगी ये परीक्षा?
इन परीक्षाओं को देने के युवाओं को कम उम्र में ही घर से दूर बनाए गए परीक्षा केंद्रों तक बस और रेल यात्रा करके जाना पड़ता था।
सरकार की ओर से ये दावा किया जा रहा है कि राष्ट्रीय भर्ती परीक्षा युवाओं की इन मुश्किलों को हल कर देगी क्योंकि इस परीक्षा के लिए हर जिले में दो सेंटर बनाए जाएंगे। इसके अलावा इस परीक्षा में हासिल स्कोर तीन सालों तक वैद्य होगा। और इस परीक्षा में अपर एज लिमिट नहीं होगी।
इस परीक्षा से क्या बदलेगा?
शिक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ मान रहे हैं कि ये एक ऐसा सुधारवादी कदम है जिसकी काफी समय से प्रतीक्षा की जा रही थी।
करियर काउंसलर अनिल सेठी मानते हैं कि सरकार के इस कदम अच्छा है और इसका असर भी दीर्घकालिक होगा लेकिन ये बात नहीं भूलनी चाहिए कि ये सुधार की दिशा में पहला कदम है।
वे कहते हैं, अगर आपको अलग अलग बहुत सारे दरवाजों पर जाना है, बहुत सारी जगह फॉर्म भरने हैं और अलग अलग जगह स्क्रूटनी होनी है तो ये एक लंबी प्रक्रिया है। इसमें लोगों को बहुत दिक्कतें होती हैं। ये मेरी व्यक्तिगत राय है कि ये बहुत साल पहले हो जाना चाहिए था।
एसएससी, बैंक और रेलवे ये तीन रास्ते हैं जहां से सरकारी नौकरियों में प्रवेश होता है। ऐसे में व्यक्ति जब ये इम्तिहान देगा तो इसका स्कोर तीन साल तक वैध रहेगा। इसके बाद युवा एसएससी, बैंक और रेलवे में से किसी भी परीक्षा में बैठ सकेगा। मेरे ख्याल से ये एक बेहतर कदम है।
अब सवाल उठता है कि ये कदम परीक्षार्थियों पर कैसा असर डालेगा।
बीबीसी से बात करते हुए ऐसे ही एक परीक्षार्थी पूर्वेश शर्मा बताते हैं कि ये कदम उन जैसे तमाम स्टूडेंट्स के लिए कुछ दुश्वारियों को कम कर देगा।
नेशनल रिकू्रटमेंट एजेंसी लेगी सरकारी नौकरियों की परीक्षा
वे कहते हैं, अब तक जो जानकारी मिल रही है, उसके मुताबिक ये अच्छा होगा। क्योंकि अब तक आप एक पेपर दिया करते थे। लेकिन अगर आपकी तबियत खराब होने या किसी अन्य वजह से आप वह पेपर नहीं दे पाते थे तो आपका पूरा साल खराब हो जाता था। अब सरकार ने जो बताया है, उसके मुताबिक ये पेपर साल में दो बार होगा।
एक बड़ी बात ये भी है कि पहले आपको हर पेपर के लिए अलग अलग फॉर्म भरने होते थे। एसएससी में क्लर्क और सीजीएल दोनों का पेपर देना होता था तो दोनों के लिए फॉर्म अलग से भरने पड़ते थे। ऐसे में गऱीब छात्रों के लिए बड़ी दिक्कत हो जाती है क्योंकि आईबीपीएस का एक फॉर्म ही जनरल कैटेगरी के लिए आठ सौ रुपये का होता है। और अब बच्चों को ऐसे कई फॉर्म भरने होते हैं, ऐसे में बच्चों पर काफ़ी बोझ पड़ जाता है। अब कम से कम प्री की परीक्षा एक ही हो जाएगी जिसके बाद आप अपनी इच्छा से जिस भी सेक्टर में जाना चाहें, उसके मेंस परीक्षा की तैयारी करवा सकते हैं।
तैयारी कर रहे बच्चों की प्रतिक्रिया साझा करते हुए पूर्वेश बताते हैं, मैं खुद तैयारी कर रहा हूँ और कुछ बच्चों को पढ़ा भी रहा हूँ। जब से ये ख़बर आई है तब से कुछ बच्चों के फोन आ रहे हैं कि अब क्या होगा। मैं मानता हूँ कि ये एक अच्छा कदम है लेकिन अब तक हमें सारी जानकारी नहीं है कि ये इम्तिहान 2021 से होगा तो इसमें साल 2020 की परीक्षा ही होगी या 2021 की होगी क्योंकि अगर 2021 वाली परीक्षा सीईटी के तहत आयोजित की जाएगी तो 2023 तक ये परीक्षा नहीं हो पाएगी। ऐसे में लब्बोलुआब ये है कि सीईटी को लेकर ज़्यादा जानकारी सामने आनी चाहिए। (bbc.com/hindi)
श्रीनगर, 21 अगस्त (वार्ता)। जम्मू-कश्मीर के उत्तरी कश्मीर जिले बारामूला में सोमवार तडक़े हुए हमले की आतंकवादियों ने शुक्रवार को वीडियो जारी की है।
पुलिस ने हालांकि कहा कि यह घाटी में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए किया गया और सुरक्षा बलों ने वीडियो में शामिल एक कमाण्डर समेत चार कमांडरों को 72 घंटों के भीतर ढेर कर दिया था।
आतंकवादियों की तरफ से सोशल मीडिया पर डाली गयी वीडियो में आतंकवादी, सुरक्षा बलों पर गोलीबारी करते दिखाई दे रहे है और माना जा रहा है कि यह वीडियो हमले में शामिल एक आतंकवादी ने ही बनाया है।
वीडियो को लेकर कश्मीर ज़ोन पुलिस ने ट्वीट कर कहा, इस वीडियो के जरिए आतंकवादी, आतंकवाद को बढ़ावा देना चाहते है लेकिन वे ऐसे करने में कभी सफल नहीं होंगे। हमने वीडियो में दिखाई दे रहे चार शीर्ष कमांडर सज्जाद, हैदर, तैमूर खान और अबू उस्मान को जवाबी कार्रवाई में 72 घंटों के भीतर मार गिराया।
उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले में सोमवार तडक़े केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल नाका पर हमले में दो जवान और एक विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) शहीद हो गये जबकि सुरक्षा बलों की जवाबी कार्रवाई में लश्कर ए तैयबा का शीर्ष कमांडर सज्जाद समेत दो आतंकवादी भी मारे गये थे।
इस हमले के बाद बारामूला जिले के क्रिरी पाटन में सुरक्षाबलों ने मंगलवार तडक़े दोबारा घेराबंदी एवं तलाश अभियान चलाया जिसके बाद मुठभेड़ फिर शुरू हो गयी जिसमें एक और आतंकवादी मारा गया। इस मुठभेड़ में अब तक तीन आतंकवादी मारे गए और कुल पांच सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे।
हैदराबाद, 21 अगस्त (आईएएनएस)| तेलंगाना के नागारकुर्नूल जिले में श्रीसैलम लेफ्ट बैंक केनाल में स्थित टीएस गेनको के हाइडल पावर स्टेशन में भीषण आग लगने की जानकारी सामने आई हैं। वहां फंसे नौ लोगों को बचाने के लिए प्रयास जारी हैं। घटना गुरुवार देर रात की बताई गई है। प्रारंभिक रिपोटरें से मिली जानकारी के अनुसार, आग लगने की वजह शॉर्ट सर्किट बताई जा रही है, जिससे घटनास्थन पर घना धुआं उठता देखा गया।
घटनास्थल पर मौजूद 17 व्यक्तियों में से आठ व्यक्ति सुरंग के रास्ते सुरक्षित स्थान पर निकल आए। वहीं फंसे लोगों में छह टीएस गेनको कर्मचारी और तीन निजी कंपनी के कर्मचारी शामिल हैं।
घटनास्थल पर दमकलकर्मी पहुंच चुके हैं और फंसे हुए डिप्टी इंजीनियर और सहायक इंजीनियर्स को बचाने की कोशिश की जा रही है। दमकलकर्मियों का कहना है कि धुआं बचाव कार्य में बाधा बन रहा है।
तेलंगाना के मंत्री जगदीश रेड्डी और टीएस गेनो के सीएमडी प्रभाकर राव मौके पर पहुंच चुके हैं और बचाव प्रयासों की निगरानी कर रहे हैं।
रेड्डी ने कहा कि पावर स्टेशन की पहली इकाई में दुर्घटना हुई और चार पैनल क्षतिग्रस्त हो गए हैं। उन्होंने कहा कि बचाव कर्मी घने धुएं के कारण सुरंग में प्रवेश करने में असमर्थ थे।
बचाव अभियान में सहायता के लिए सिंगारेनी कोलियरी से बचाव कर्मियों को लाया जा रहा है।
घटना के बाद पावर स्टेशन पर बिजली उत्पादन संचालन बंद कर दिया गया है।
श्रीसैलम बांध कृष्णा नदी के पार स्थित है जो तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के बीच की सीमा के रूप में कार्य करता है।
नई दिल्ली, 21 अगस्त (आईएएनएस)| कोरोना संकट में लगे लॉकडाउन के दौरान हजारों प्रवासी मजदूर अपने-अपने घर लौट गए थे, लेकिन काम की तलाश में एक बार फिर प्रवासी मजदूर यूपी, बिहार और झारखंड से वापस लौटने लगे हैं। दिल्ली के आनंद विहार बस स्टैंड पर रक्षाबंधन के बाद से ही रोजाना हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर अपने घरों से वापस आ रहे हैं। किसी के मालिक, तो किसी के ठेकेदार ने बुलाया, तो कोई नौकरी की तलाश में दिल्ली वापस आ रहा है।
राम चन्दर आजमगढ़ से फिर दिल्ली वापस आए हैं। 5 महीने पहले कोरोना की वजह से अपने घर चले गए थे, लेकिन गांव में काम न होने की वजह से दिल्ली वापस आना पड़ा है। उन्होंने बताया, "जिस कंपनी में वो काम करते थे, उसके मालिक ने फोन करके वापस बुलाया है। गांव में ज्यादा काम नहीं है, कमाने के लिए तो बाहर निकलना ही पड़ेगा। मेरी दो लड़कियां और एक लड़का है, इनका पेट कौन पालेगा।" राम चन्दर दिल्ली के नांगलोई में जूते की कंपनी में काम करते थे। अब फिर से उसी कंपनी में काम करेंगे।
आनंद विहार बस स्टैंड पर बसों के ड्राइवर और कंडक्टर 20 से ज्यादा सवारी नहीं बैठाते। लेकिन पहले जाने की होड़ में सवारियों में ही आपस में झगड़ा हो जाता है और एक साथ बसों में लोग चढ़ना शुरू कर देते हैं। जिसकी वजह से सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का उल्लंघन भी हो रहा है और जान पर खतरा भी बढ़ रहा है।
फिलहाल जब से प्रवासी मजदूर वापस लौटने लगे हैं, तब से दिल्ली के आनंद विहार बस स्टैंड पर बस रूट नम्बर- 236, 165, 534, 469, 473, 543 से जाने वाली सवारियों की संख्या में इजाफा हो गया है। ये सभी बसें नांगलोई, महरौली, और कापसहेड़ा बॉर्डर की ओर जाती हैं। हालांकि बस स्टैंड के बाहर भी सैंकड़ों की संख्या में प्रवासी मजदूर मौजूद रहते हैं।
संभल के रहने वाले दीपक दिल्ली में फल की ठेली लगाते थे। होली पर त्यौहार मनाने अपने गांव चले गए। उसके बाद लॉकडाउन लग गया, जिसकी वजह से वहीं फंसे रहे गए। उन्होंने बताया, "होली पर घर गया था, उसके बाद वहीं रह गया। इधर मकान मालिक 5 महीने का किराया मांग रहा है। अब जाकर वापस आए हैं तो फिर से फल की ठेली लगाएंगे।"
यूपी के बिजनौर के रहने वाले शादाब पहले हिमाचल प्रदेश में पुताई का काम करते थे। फिर लॉकडाउन में रोजगार चले जाने की वजह से घर चले गए। अब गुड़गांव नौकरी की तलाश में आए हैं। पूछे जाने पर उन्होंने बताया, "यूपी के बीजनौर से गुड़गांव नौकरी की तलाश में आया हूं। ठेकेदार ने बुलाया है। घर पर कोई काम नहीं मिला। राज मिस्त्री का भी काम किया।"
भारत में अब एक दिन में कोविड-19 के नौ लाख टेस्ट हो रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक़, WHO के परामर्श के अनुरूप, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हर रोज़ प्रति 10 लाख व्यक्ति 140 से ज़्यादा टेस्ट हो रहे हैं.
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