हैदराबाद, 14 मार्च। देश की सरकार चुनावी राजनीति, भाषणबाजी और अपने पूंजीपति दोस्तों की सेवाओं में व्यस्त है और देश की जनता बहुत सारे मोर्चों के ऊपर लड़ाई लड़ रही है, अपना दुखड़ा रो रही है। और उन मुसिबतों के सामने किसान हो, रोजगार मांगने वाला युवा हो, आम देशवासी, चुल्हे पर रसोई बनाने वाली कोई महिला हो या कोई पेट्रोल या डीजल इस्तेमाल करने वाला गाडी का मालिक हो, सब दुखी हैं। और इन दुखों के बीच में आज मैं आपके साथ एक बहुत बड़े गंभीर विषय पर, जिसकी सरकार अनदेखी कर रही है और शायद ऐसी अनदेखी की वजह से ही हमारे देश में ज्यादा समस्या बढ़ी है, वो है आखिरी 24 घंटों में 25 हजार कोरोना के नए केसिस का आना - सिर्फ इन आखिरी 24 घंटों में। और इन्हीं आखिरी 24 घंटों में, ये दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि 140 मृत्यु की नई घटनाएं कोरोना की वजह से हुई हैं।
शक्तिसिंह गोहिल ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर आप इसी दौरान के अभी आंकड़े देखेंगे, तो कोरोना हर रोज बढ़ रहा है। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि ‘another wave of Corona’, ये कोरोना का एक दूसरा दौर शुरु हो रहा है और उसकी चिंता होनी चाहिए। अब सरकार सच्चाई को छुपाने के लिए एक आंकड़ों के मायाजाल के साथ देश की सरकार आपको, मीडिया को, सोशल मीडिया में वैक्सीनेशन के आंकड़े देती है। मैं उस वैक्सीनेशन के सरकार के ही आंकड़ों को लेकर आपके सामने कुछ बात रखना चाहता हूं।
गोहिल कहा कि अगर आप अभी तक के कुल वैक्सीनेशन का जो सरकार का दावा है, वो है – 2,82,18, 457 और अगर आप मार्च महीने के 11 दिन की बात करें, तो वो हैं – 95,90,594, माने 135.5 करोड़ की आबादी वाला देश इस हमारे भारत में अभी तक सरकार का आंकड़ा ही सही मान कर चलें, तो भी 1.5 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन हुआ है, वो भी पहली डोज का बाद। फुल वैक्सीनेशन की बात करें, आर्थात् सैंकिड डोज के बाद -वैक्सीनेशन का सैंकिड़ डोज जो दिया है, आपको ताज्जुब होगा फुल वैक्सीनेशन सिर्फ 47.29 लाख, इस देश में लोगों का फुल वैक्सीनेशन हुआ है। इसका मतलब ये हुआ कि सिर्फ 0.35 प्रतिशत ही वैक्सीनेशन हुआ है।
उन्होंने कहा कि आप अगर इसको मार्च के 11 दिन के हिसाब से भी गिनोगे तो भी और फुल वैक्सीनेशन का अभी तक दौर है, उसे लेकर देखेंगे, तो भी अगर 70 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन हमारे देश में करना हो तो, जिस रफ्तार से ये सरकार चल रही है, 12.6 year, 12 साल 6 महीने लगेंगे 70 प्रतिशत लोगों को वैक्सीनेशन देने में। अभी यह वैज्ञानिक रुप से साबित नहीं हुआ है कि 70 प्रतिशत लोगों को वैक्सीनेशन कर देने के बाद भी सब लोग सुरक्षित रहेंगे, अर्थात् हमें 100 प्रतिशत करना होगा। और सरकार जिस गति से चल रही है, हमारे देश को 100 प्रतिशत वैक्सीनेशन करने में 18 साल लगेंगे, अगर यही रफ्तार रही तो। ऐसा भी नहीं कि वैक्सीन नहीं है हमारे पास। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी एस्ट्राजेनेका का कोविशील्ड, जो हमारे वहाँ सीरम इंस्टीट्यूट हिंदुस्तान में मैनुफैक्चर करती है। उनके साथ जुड़े हुए कुछ लोगों से ऑफ रिकोर्ड मेरी बात हुई, वो कह रहे हैं कि हमारे पास इतना पड़ा हुआ है, कि अगर सही इस्तेमाल नहीं हुआ तो पड़े-पड़े ही ये वैक्सीन एक्सपायर कर जाएगा। माने ‘enough stock of Covishield.’
शक्तिसिंह गोहिल ने कहा कि भारत बॉयोटेक का को-वैक्सीन है। डॉ. रेड्डी ने एक एप्लीकेशन डाल कर रखी हुई है, ड्रग कंट्रोल जनरल ऑफ इंडिया के पास कि रशिया का ‘स्पूतनिक’ इसकी हमें मंजूरी दो। मेरे कहने का मतलब ये है कि आपके पास पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन पड़ा है, तो क्यों नहीं दे रही है सरकार? बिहार के चुनाव के वक्त कहा था, मित्रों, मुफ्त में वैक्सीन सबको! क्या सरकार ये करना चाहती है कि वैक्सीन नहीं दो, पैनिक खड़ा करो? गरीब आदमी का वैक्सीन के लिए नंबर नहीं लगता है, तो इधर-उधर करके प्राइवेट में चला जाए और जो पैसा मांगे उसे देकर वैक्सीन ले ले, ताकि सरकार को मुफ्त में वैक्सीन देने की बात ना रहे। क्या ये मंशा है उनकी, मेरा सीधा सवाल है?
उन्होंने कहा कि विरोधी दल के कार्यकर्ता के नाते उनके ऊपर एलिगेशन कर दूं, ऐसा नहीं है। मैं रिस्पेक्ट करता हूं हमारी हायर ज्यूडिशरी का और दिल्ली हाई कोर्ट के उस फैसले को सेल्यूट करता हूं, जिन्होंने कड़े लफ्जों में दिल्ली हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा कि तुम कर क्या रहे हो? देश में कोरोना बढ़ रहा है और तुम वैक्सीन एक्सपोर्ट कर रहे हो, बाहर के देश में बेच रहे हो, कहीं पर दान दे रहे हो, खेरात कर रहे हो “and you are telling us, we will do it tomorrow”, हम कल ये सबकुछ करेंगे देश में। दिल्ली हाई कोर्ट ने बड़े ही कड़े लफ्जों में कहा कि आप कह रहे हो कि आने वाले कल करेंगे। अरे, ये तो बीते हुए कल को ही हो जाना चाहिए था। “You are saying, we will do it tomorrow, it should have been done yesterday”. क्यों नहीं कर रहे हो?
कुछ डॉक्टर्स, कुछ मैडिकल फील्ड के जुड़े हुए लोगों से मेरी बात हुई। उनका ये भी कहना था कि ये देश की भाजपा की सरकार सबकुछ सेंट्रलाइज रखना चाहती है। मैं! मैं! मैं!.... और इसलिए कौन सा वैक्सीन, किसको वैक्सीन, कैसे वैक्सीन देना है; वो एक्सपर्ट जिनके पास सही और अच्छी इसी क्षेत्र की डिग्री है, वो तय नहीं करेगा! पर जो डिग्री दिखा नहीं सकता है, वो तय करेगा और जिसे इस विषय से कोई लेना-देना नहीं है, वो तय करेगा! इसकी वजह से सेंट्रलाइजेशन जो करके बैठे हैं और कहते हैं कि या तो इंसान को खुद की समझ होनी चाहिए, उसमें एक्सपर्टाइज्ड होना चाहिए, वो कर ले या उसको दूसरे की सुननी चाहिए। इस सरकार में ना खुद की समझ है, ना समझ वालों की सुनते हैं और इसके लिए ये माहौल बना हुआ है।
गोहिल कहा कि जिस तरह से वैक्सीन चल रही है, आप सबका भी अनुभव होगा। सिर्फ पैसे वाले माने ‘रिच एंड अपर मिडिल क्लास’ ही फायदा ले पाएगा सरकारी वैक्सीन का, क्योंकि इन्होंने एक सिस्टम बनाया है कि आपको पहले ऑनलाइन पहले रजिस्ट्रेशन करना है। इस देश के मिडिल क्लास, इस देश के गरीब, उनके पास स्मार्ट फोन नहीं है। अगर थोड़ा बहुत स्मार्ट फोन आ भी गया तो कनेक्टिविटी नहीं है और वो भी है, तो ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए लिंक खोलो, वहाँ जाओ और रजिस्ट्रेशन करो, उसकी एक्सपर्टाइज नहीं है उनके पास। तो जब रजिस्ट्रेशन ही नहीं करवा पाएगा इस देश का आम नागरिक, कॉमन सिटिजन, तो उसको तो वैक्सीन कहाँ मिलेगी? और फिर उसको एक्सप्लोयट कौन करता है, वही इनके चट्टे-बट्टे। ऐसा लगता है कि सरकार गरीबों को मुफ्त वैक्सीन से वंचित रखना चाहती है।
तो मैं ये मांग करता हूं कि ये जो सिस्टम है, उसको भी बदलना चाहिए। मेरे इस सरकार से कुछ सवाल हैं –
नंबर वन - जैसा एक्सपर्ट्स, साइंटिस्ट उनका कहना है कि वायरस नियमीत रुप से म्यूटेट हो रहा है। जैसा इन एक्सपर्ट्स का कहना है, उसी तरह से ये जो नियमीत रुप से म्यूटेट वायरस होता है, उसकी जांच के लिए जीनोम सिक्विंग की पर्याप्त व्यवस्था सरकार ने की है? ये मेरा पहला सवाल है।
मेरा दूसरा सवाल है कि सरकार जिस गति से चल रही है, मैंने आपको कहा कि 18 साल लग जाएंगे सबको वैक्सीनेट करने में। तो मैं पूछना चाहता हूं कि क्या सरकार जल्द से जल्द हमारे देश के सभी नागरिकों को मुफ्त टीके दिलवाएगी जिससे की ये काम जल्द से जल्द संपन्न हो क्योंकि 12 वर्षों में तो सिर्फ 70 प्रतिशत लोगों का ही टीकाकरण हो पाएगा, जैसा कि आंकड़े बताते हैं।
तीसरा सवाल, सरकार शीघ्र और पर्याप्त आरटी पीसीआर टेस्टिंग करने का क्या उपाय कर रही है, उसका जवाब दें?
मेरा चौथा सवाल है कि पूरी दुनिया में यह पूर्ण रुप से प्रमाणित हो चुका है कि टेस्टिंग, ट्रैकिंग और आइसोलेशन कोरोना से लड़ने का गोल्ड स्टेंडर्ड उपाय है। क्या मोदी सरकार इसे पूर्णत: प्रभावी रुप से कार्याविंत कर रही है?
मेरा आखिरी सवाल है, लॉकडाउन की घोषणा के बाद पत्रकार, डिलीवरी पर्सन, आवश्यक सेवा में जुटे हुए सरकारी सेवक, कोरोना से अत्याधिक प्रभावित हुए थे। क्या इन आवश्यक सेवा में जुटे हुए लोगों को प्रायोरिटी में सरकार वैक्सीन देने के लिए कोई प्रावधान कर रही है?
एक अन्य प्रश्न पर कि जिन राज्यों में आपकी सरकार है, वहाँ क्या व्यवस्था की गई है?
श्री शक्तिसिंह गोहिल ने कहा कि यही मैं कह रहा हूं कि वैक्सीनेशन को सेंट्रलाइज किया हुआ है। जो भी गाइडलाइन आती है, वो यहीं से आती हैं और उसको फोलो करना पड़ता है। एसओपी यहीँ से बनती है, दिल्ली से, इसको स्टेट को फोलो करना पड़ता है। आप इसको राज्य सराकारों को दे दीजिए, हमारी सरकारें मांग रही हैं। वो कह रही हैं, हमें वैक्सीन दो - जहाँ हैं हमारी सरकारें, मांग रही हैं। छत्तीसगढ़ कह रहा है कि हमें कोविशील्ड दे दो पूरा, हम लगवाने के लिए तैयार हैं। छत्तीसगढ़ कह रहा है कि हमारी व्यवस्था है हमारे पास, हम खड़ा कर देंगे। परंतु केन्द्र सरकार ने कहा – नहीं! हम जो कह रहे हैं, उसी लाइन पर काम करो।
तो इसलिए मैं कह रहा हूं कि ये डिसेंट्रलाइज होना चाहिए, ये सेंट्रलाइज करके जो बैठे हैं ऊपर सुल्तान बनकर, वो सुल्तान ना बनें, लोकतंत्र में डिसेंट्रलाइजेशन ऑफ पॉवर ऐसे वक्त पर बहुत जरुरी होता है, वो करें। पैसे दें राज्य सरकारों को, उनके अधिकार के जीएसटी के भी पैसे नहीं जा रहे हैं। उनको आप जो कर रहे हों, वो वही करने के लिए उनके हाथ बांधकर मत रखो, उनको करने दो। We established a model, जैसे कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार ने भीलवाड़ा में ऐसा काम किया कि WHO से टीम आई कि भीलवाड़ा मॉडल हमें दुनिया में लागू करना है। प्रधानमंत्री जी को भी राजस्थान सरकार के भीलवाड़ा मॉडल की प्रशंसा करनी पड़ी। अशोक गहलोत जी की कांग्रेस सरकार ने ये करके दिखाया। देश के लिए एक उदाहरण, पंजाब में कैप्टन अमरिन्द्र जी की सरकार ने किया को उन्होंने वृद्धों की पेंशन सीधी डबल कर दी। तो हम तो कहते हैं, जहाँ हमें करने की छूट मिलती है। वैक्सीन में हमारे हांथ बांधकर रखे हैं कि जो सेंट्रल कहता है, वही करो, तो सेंट्रलाइज पॉवर है, उसको डिसेंट्रलाइज करें, तो हम मॉडल भी देंगे।
गुजरात में दांड़ी यात्रा के दौरान कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के खिलाफ गुजरात की सरकार द्वारा मार पिटाई किए जाने के संदर्भ में पूछे गए एक अन्य प्रश्न के उत्तर में श्री शक्तिसिंह गोहिल ने कहा कि यह बहुत ही बदकिस्मती लोकतंत्र की है। गांधी जी ने दांडी यात्रा अंग्रेजों के खिलाफ निकाली, तब लोकतंत्र नहीं था। अंग्रेजों का शासन था। ये देश गुलाम था। पर जब दांडी यात्रा निकली, अंग्रेजों ने दांडी यात्रा रोकी नहीं थी। दांडी यात्रा को मंजूरी दी थी और दांडी यात्रा अंग्रेजों के वक्त में भी निकली। आज देश में ये कैसा लोकतंत्र है? अंग्रेज सल्तनत के खिलाफ जब देश आजाद नहीं था, तब कांग्रेस यात्रा निकाल सकी थी। आज आजादी के बाद यही विचारधारा, यही कांग्रेस पार्टी हम कोई राजनीति तो नहीं कर रहे थे, हम ट्रैक्टर से यात्रा निकल रहे थे, हम गांधी विचारधारा का प्रचार कर रहे थे। हम किसान जो दिल्ली के बॉर्डर पर शहीद हो रहे हैं, दुखी होकर लड़ रहे हैं। तीन काले कानून देश को बर्बाद कर रहे हैं, उसकी असलियत लोगों को बताना चाहते थे, तो गुजरात की सरकार ने ऐसा नहीं करने दिया। दुनियाभर में हमारे लोकतंत्र व व्यक्तिक आजादी को लेकर टिप्पणी हो रही है। कहा जा रहा है कि बांगला देश से भी ज्यादा बुरा हो गया है, हमारे देश में लोगों के लोकतांत्रिक अधिकार। इसके प्रमाण मिलते हैं। हमारी ट्रैक्टर यात्रा के ऊपर अत्याचारा होता है। वहीं स्वतंत्रता सेनानी परिवार से आए हुए लोग - हमारे सेवा दल के साथियों की हड्डियां पुलिस तोड़ देती है। ट्रैक्टर में से हवा निकाल देती है। मेरे नेताओं को गिरफ्तार किया जाता है। मैं मानता हूं कि इससे बड़ी बर्बरता और इससे बड़ा लोकतंत्र का कोई अपमान हो नहीं सकता। एक और दिलचस्प एवं रोचक बात आपको बताता हूं। 2002 से 2010 तक एक आरटीआई रिकोर्ड निकलवा लीजिए, आप आश्चर्यचकित होंगे ये जानकर कि मोदी जी तब के सिवाए जब कि वाजपेयी जी, मनमोहन सिंह जी, राष्ट्रपति जी, ये कोई गया हो और मुख्यमंत्री के नाते उनको जाना पड़ा हो तो गए, बाकी एक बार भी गांधी आश्रम में नहीं गए थे। गांधी जी की विचारधारा को अगर आज दिल से आरएसएस और मोदी जी मानते हैं, तो मैं धन्यवाद करुंगा, उनका स्वागत करुंगा। ये वो लोग हैं, जो ना तिरंगे को मानते थे, ना गांधी विचारधारा को मानते थे। ये वो विचारधारा है, जिसने कांग्रेस की विचारधारा के स्वतंत्र सेनानी के खिलाफ अंग्रेजों के पिट्ठू बनकर, गवाह बनकर स्वतंत्रता सेनानी के खिलाफ लड़े थे। पर वो भी अगर आज दिल से दांडी यात्रा निकालते तो कांग्रेस की दांडी यात्रा को रोकते नहीं। ये उन्होंने प्रमाण दे दिया कि हम दांडी यात्रा निकालते हैं, वो तो ये सिर्फ देश में युवा रोजगार मांगता है, किसान बर्बाद हो, महिला को गैस छोड़ कर चुल्हा लकड़ी से जलाना पड़ रहा है, पेट्रोल – डीजल के गैस के दाम आसमान छू रहा है। वहीँ से अटेंशन डॉयवर्ट करना है। इसलिए अटेंशन डॉयवर्ट के लिए गांधी है, गांधी विचारधारा के लिए नहीं है। उस बात का सबूत दे दिया, हमारी दांडी यात्रा को रोक कर।