-विष्णुकांत तिवारी
मध्य प्रदेश के मऊगंज जिले के गड़रा गांव में शनिवार को आदिवासी परिवार और पुलिस के बीच हुई हिंसा में एक सहायक उपनिरीक्षक की मौत हो गई, जबकि तहसीलदार समेत 10 लोग घायल हो गए.
यह घटना दो महीने पहले हुए सड़क हादसे से जुड़े विवाद के बाद हुई, जिसमें एक आदिवासी युवक की मृत्यु हो गई थी.
मऊगंज के जिलाधिकारी अजय श्रीवास्तव ने बताया, “मऊगंज के शाहपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत गडरा गांव में हिंदू समुदाय के ही दो गुटों में झड़प हो गई थी. इसमें एक पुलिस साथी और एक अन्य नागरिक की मृत्यु हुई है.”
“घटना के बाद गांव में भारतीय न्याय संहिता की धारा 163 (पहले धारा 144 की नाम से जानी जाती थी) लागू कर दी गई. हालात अब सामान्य हैं और हम सभी से शांति बनाए रखने की अपील करते हैं.”
प्रशासन ने स्थिति को देखते हुए सीमावर्ती जिलों सीधी और रीवा से अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया है.
एक पुलिस अधिकारी के अनुसार, शनिवार 15 मार्च की दोपहर को गड़रा गांव में आदिवासी परिवार ने सनी द्विवेदी नाम के युवक को बंधक बनाकर उसकी पिटाई की.
सनी पर दो महीने पहले हुई अशोक कोल नामक आदिवासी व्यक्ति की हत्या का आरोप था.
सनी की पिटाई और हत्या की बात पता चलते ही पुलिस टीम, जिसमें शाहपुर थाने के प्रभारी संदीप भारती और अन्य अधिकारी शामिल थे, सनी को बचाने पहुंची. लेकिन पुलिस पर गांववालों ने पथराव कर दिया.
स्थिति इतनी बिगड़ गई कि पुलिसकर्मियों को बंधक बनाकर पीटा गया.
हमले में एसएएफ के सहायक उपनिरीक्षक रामगोविंद गौतम की मौत हो गई. थाना प्रभारी संदीप भारती के सिर में गंभीर चोटें आईं. हनुमना तहसीलदार कुमारे लाल पनका को हाथ-पैर में फ्रैक्चर हुआ.
पुलिस का दावा है कि उपविभागीय पुलिस अधिकारी (एसडीओपी) अंकिता शूल्या और सहायक (एसआई) आरती वर्मा ने खुद को एक कमरे में बंद कर जान बचाई.
दो महीने पहले का जमीन विवाद बना हिंसा की वजह
इस घटना की जड़ें दो महीने पहले के एक सड़क हादसे से जुड़ी हैं.
मऊगंज में पदस्थ एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “अशोक गांव के ही एक अन्य परिवार के खेत में अधिया व्यवस्था के तहत खेती करते थे. उन्होंने कुछ महीने पहले ही गड़रा गांव में एक जमीन खरीदी थी.”
“इसी जमीन को लेकर अशोक और गांव के ही सनी द्विवेदी और उनके परिवार के बीच विवाद चल रहा था”.
अधिकारी ने बताया, “दो महीने पहले अशोक अपनी खरीदी हुई ज़मीन की रजिस्ट्री करवाकर लौट रहे थे, जब एक बाइक दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई. हालांकि उनके परिजन सनी द्विवेदी पर उनकी हत्या का आरोप लगाते रहे. कल हुई हिंसक झड़प का आधार दो महीने पहले हुए विवाद के समय से ही बना हुआ था.”
8 महीने बाद रिटायर होने वाले थे मृतक एएसआई रामगोविंद गौतम
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि, मृतक एएसआई रामगोविंद गौतम मध्यप्रदेश पुलिस के भोपाल स्थिति 25वीं बटालियन के सदस्य थे.
मऊगंज से 120 किलोमीटर दूर सतना जिले के कोठी थाना इलाके के पवैया गांव के निवासी थे और लगभग 8 महीने बाद ही सेवानिवृत्त होने वाले थे.
एक अन्य पुलिस अधिकारी ने कहा, “इस मामले की उच्चस्तरीय जांच होगी और दोषियों के ख़िलाफ़ सख्त कारवाई हो यह सुनिश्चित किया जाएगा”. (bbc.com/hindi)