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राजपथ-जनपथ : सत्ता, और पंचायत की हार-जीत
18-Feb-2025 4:40 PM
राजपथ-जनपथ : सत्ता, और पंचायत की हार-जीत

सत्ता, और पंचायत की हार-जीत

पंचायत चुनाव के नतीजे आने शुरू हो गए हैं। ज्यादातर जगहों पर तो भाजपा को अच्छी सफलता मिली है, लेकिन कुछ जगहों पर भाजपा समर्थित प्रत्याशियों को तगड़ा झटका लगा है। इन सबके बीच रायपुर जिले के एक भाजपा विधायक के खिलाफ हारे हुए प्रत्याशियों ने शिकायत भी की है।

बताते हैं कि भाजपा समर्थित प्रत्याशियों की सूची जारी हुई, तो विधायक महोदय ने अपने क्षेत्र के चार जिला पंचायत सदस्य प्रत्याशियों के नाम पर पहले तो सहमति दे दी थी, बाद में उनके खिलाफ काम करना शुरू कर दिया। चारों प्रत्याशी चुनाव हार गए। विधायक के इस रुख की पार्टी हल्कों में काफी चर्चा है।

नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा को भारी सफलता मिली थी। बाकियों के साथ ही सरकार के दो मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल, और लक्ष्मी राजवाड़े को वाहवाही मिली थी। मगर पंचायत चुनाव में दोनों को बड़ा झटका लगा है। जायसवाल के विधानसभा क्षेत्र मनेन्द्रगढ़ में पहले चरण  में जिला पंचायत के दो सदस्यों के चुनाव हुए थे उसमें भाजपा समर्थित प्रत्याशी हार गए। भटगांव में भी राजवाड़े के करीबियों को हार का मुख देखना पड़ा है।

बड़े नेताओं के छोटे चुनाव

कांग्रेस, और भाजपा के कुछ नेता ऐसे हैं, जो विधानसभा चुनाव हार गए थे या फिर टिकट से वंचित रह गए थे, वो सभी पंचायत चुनाव मैदान में कूद गए हैं। इन्हीं में से एक कुरूद से नीलम चंद्राकर भी हंै। नीलम तीन बार जिला पंचायत के सदस्य रह चुके हैं। वो जिला पंचायत सभापति भी रहे हैं। उनकी पत्नी तारणी चंद्राकर को कांग्रेस ने विधानसभा टिकट दी थी, लेकिन वो चुनाव नहीं जीत पाई।

तारणी जिस क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य रहते हुए विधानसभा चुनाव लड़ी थी, उसी क्षेत्र से नीलम चंद्राकर चुनाव मैदान में हैं। इसी तरह बेमेतरा से योगेश तिवारी खुद टिकट के वंचित रह गए थे। मगर पार्टी ने इस बार उनकी पत्नी को बेमेतरा के जिला पंचायत की एक सीट से समर्थित प्रत्याशी घोषित किया है। इससे परे युवा आयोग के अध्यक्ष, सरगुजा जिला भाजपा अध्यक्ष समेत कई प्रमुख नेताओं की पत्नियां पंचायत चुनाव जीतने में सफल रही हैं।

आदमी और बेजुबान की मौत का फर्क

एक आम आदमी के गलत इलाज और फिर उसके पोस्ट मार्टम रिपोर्ट पर भले डॉक्टर का कुछ न हो लेकिन एक बेजुबान जानवर ने डॉक्टर साहब को नाकों चने चबवा दिए हैं। डॉक्टर साहब इन दिनों निलंबित होकर विभागीय जांच का सामना कर रहे हैं। पथरिया के एक बकरी पालक ने अपनी बकरी की मौत को गलत इलाज की वजह से होना बताकर चुनौती दी थी।

पशुपालन विभाग में इसरी शिकायत पर जांच बैठी। बात मृत बकरी के पोस्ट मार्टम तक पहुंची। वहां भी गड़बड़ी की गई। पोस्टमार्टम करना था डॉक्टर साहब को । मगर ऐसा नहीं हुआ। पोस्टमार्टम भी किया एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने। बकरी पालक ने इसे भी चुनौती दी। पहले इलाज और फिर गलत पीएम के लिए विभाग ने डॉक्टर साहब को निलंबित कर दिया और विभागीय जांच बिठा दी गई।

डॉक्टर साहब अपने परिचितों से कहते फिर रहे हैं कि इससे अच्छा तो जुबान रखने वाले आदमी का पोस्टमार्टम कर देता। उसके बाद उठने वाले सवालों का जवाब  देकर निलंबित तो नहीं होता । डॉक्टर साहब सही सोच रहे एक आदमी के गलत इलाज मौत और फिर पीएम रिपोर्ट बदलने पर भी इतना बवाल नहीं होता मगर एक बेजुबान की जान भारी पड़ गई।

गजब का मुकुट है यह!

लोग जरा-जरा सी महत्वहीन बातों को किस तरह सिर का ताज बना लेते हैं, यह देखना हो तो उत्तर भारत के इस निमंत्रण पत्र को देखना चाहिए जिसे भेजने वाले ने अपने पदनाम की तरह यह लिखा है कि उन्हें अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से धन्यवाद मिला हुआ है, और अमित शाह से भी। अब सामान्य सी बात यह है कि किसी को ईमेल या ट्विटर पर भी बधाई दे दी जाए, तो उसका धन्यवाद आ जाता है। उसे पद्मश्री या पद्मभूषण की तरह सिर पर ताज बनाकर सजा लेने का यह गजब का हौसला है! ([email protected])

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