रायपुर, 10 फरवरी। एचएनएलयू ने बताया कि हिदायतुल्ला राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और में डिजिटल युग में मानव तस्करी का मुकाबला विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में उद्घाटन भाषण देते हुए मुख्य अतिथि एनएचआरसी के अध्यक्ष माननीय श्री न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यम ने मानव तस्करी के अपराध से निपटने के लिए प्रभावी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कदम उठाने की आवश्यकता का आग्रह किया।
एचएनएलयू ने बताया कि उपलब्ध आंकड़ों से मानव तस्करी में भारी वृद्धि को रेखांकित किया जिसके लिए जटिल डिजिटल नेटवर्क की सहायता से किए जाने वाले इस संगठित अपराध को रोकने के लिए डिजिटल नेविगेशन और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में जागरूकता की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। उन्होंने युवा पीढ़ी से विशेष रूप से सोशल मीडिया के साथ नेट का उपयोग करते समय उचित सुरक्षित व्यवहार अपनाने का आग्रह किया। आर. शंगीता, सचिव एवं आयुक्त, उत्पाद शुल्क, वाणिज्यिक कर (आबकारी) विभाग, छत्तीसगढ़ शासन सम्मानित अतिथि के रूप में संबोधन देते हुए उन्होंने मानव तस्करी के खतरे से निपटने के अपने क्षेत्र के अनुभव और इससे निपटने के लिए सीजी सरकार द्वारा किए गए उपायों के बारे में बताया।
एचएनएलयू ने बताया कि उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि अधिकांश मामलों में प्रक्रियात्मक कठोरता की कमी के कारण सजा नहीं हो पाती है और विधि के छात्रों से जागरूकता पैदा करने, पीडि़तों की मदद करने और सरकार के प्रयासों में शामिल होने में सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह किया।
इससे पहले आरंभिक टिपण्णी देते हुए, प्रोफेसर डॉ. विवेकानन्दन, एचएनएलयू के कुलपति ने अपने सम्बोधन में औपनिवेशिक काल के दौरान गिरमिटिया मज़दूरी, अफ्रीकी महाद्वीप से गुलामी और आधुनिक समय में गरीबी, आंतरिक संघर्ष, युद्ध और किशोरों की भोलापन के मुद्दों को भुनाने के रूप में मानव तस्करी के इतिहास का पता लगाया। उन्होंने टिप्पणी की कि इस तरह के अपराध की डिजिटल सहायता पर उचित ध्यान नहीं दिया गया है।