विचार / लेख
-गिरीश मालवीय
जो सेक्टर कोरोना काल में सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है उसके लिए अब कुछ भी नहीं किया गया वो है हॉस्पिटैलिटी सेक्टर और टूर एवं ट्रेवल बिजनस।
हर शहर में सैकड़ों की संख्या में होटल-रेस्टोरेंट पर परमानेंट रूप से ताले लटक गए हैं, टूर-ट्रेवल्स वाले की हालत तो इतनी बुरी है कि कई लोग आत्महत्या करने की कगार पर है।
इन दोनों सेक्टर में काम करने वाले लोगों की हालत अन्य व्यापार की अपेक्षा बहुत ही ज्यादा खस्ता हैै। कई प्रतिष्ठानों तो मार्च से अब तक खुले ही नहीं हैं। बिजली के बिलों में भी लॉकडाउन के दौरान कोई छूट नहीं मिली है।
यहाँ काम करने वाले लोगों की सैलेरी का अब तक कोई ठिकाना नहीं है। कई जगह आधी सेलरी मिल रही है। कई सेलेरिड लोगो के वाहन बिक गए तो कई बैंक की किश्तें ही जमा नहीं करवा सके। बच्चों की स्कूल फीस तो जमा कराने की बात छोड़ ही दीजिए।
देश में होटल, रेस्टोरेंट तथा अन्य आतिथ्य सत्कार उद्योग की शीर्ष संस्था फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (स्न॥क्र्रढ्ढ) के अपाध्यक्ष गुरूबख्शीश सिंह कोहली का कहना है कि पिछले साल इन दिनों में जिन स्थानों पर होटल फद्दल चलते थे, ऐसी जगहों पर इस साल होटल के कमरे की बुकिंग औसतन 15 से 25 फीसदी ही हुई है।
एफएचआरएआई का मानना है कि अगर एक-दो महीने और ऐसे ही हालात रहे तो इंडस्ट्री के लिए आगे कामकाज कर पाना बहुत मुश्किल हो जायेगा। एसोसिएशन सरकार से अपील करती आ रही है कि उन्हें भी कद्दछ मदद मिले। जैसे लोन्स की रिस्ट्रक्चरिंग, हॉस्पिटेलिटी सेक्टर के लिए आसान रूप से लोन्स की सुविधा आदि। इन दिनों होटल और रेस्टोरेंटों में ग्राहकी नहीं रहने से होटल मालिकों के लिए कर्मचारियों का वेतन और दूसरे खर्च भी निकालना मुश्किल हो रहा है।
इन लोगों को सरकार से उम्मीद थी कि सरकार तीसरे पैकेज की घोषणा करते वक्त उनके लिए कद्दछ अलग योजना निकालेगी लेकिन कल जो राहत पैकेज दिया गया है उसमें भी इस सेक्टर के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है।


