विचार / लेख

ये सब पीआर एजेंसियों के प्रोडक्ट हैं...
22-Aug-2020 8:43 PM
ये सब पीआर एजेंसियों के प्रोडक्ट हैं...

गिरीश मालवीय

मुझे कभी इस बात में शक नहीं रहा कि जितने ट्विटर और इंस्टाग्राम के सेलेब्रिटीज़ है यह पीआर एजेंसियों के ही प्रोडक्ट है। अगर आप सुशांत सिंह वाले प्रकरण में देखें तो आप पाएंगे कि सुशांत सिंह के परिवार में उनकी बहनों के ट्विटर एकॉउंट अब पीआर एजेंसियां ही हैंडल कर रही हैं। उनके पिता ने जो चिठ्ठी रिलीज की थी वह बॉलीवुड के किसी स्क्रिप्ट राइटर से लिखवाई गई थी और न सिर्फ सुशान्त का परिवार बल्कि रिया चक्रवर्ती के सारे सोशल मीडिया एकॉउंट से जो भी संदेश जा रहा है वह सारा पीआर एजेंसियां ही डिसाइड कर रही हंै।

यह तो हुई सुशांत सिंह वाली बात, कल मित्र सौमित्र ने बताया कि यूट्यूब पर एक गालीबाज आदमी है ‘भाऊ’ इसके लाखों फॉलोअर बताए जाते हैं, उसका एकॉउंट भी वडोदरा की एक एजेंसी ऑपरेट करती है, और उस एजेंसी का बीजेपी से डायरेक्ट लिंक है यही भाऊ गाली बक-बक कर बिग बॉस में पहुंच गया। अब ये पहुंचा या पहुंचाया गया यह आप स्वयं समझ लीजिए।

अब दूसरी तमाम सेलेब्रिटीज की बात कर लेते हैं जो आजकल अपने भडक़ाऊ बयानों की वजह से टीवी के न्यूज़ चैनलों और न्यूज़ वेबसाइट पर छाई रहती हैं। इसमें अभी सबसे ज्यादा टॉप पर है कँगना राणावत, कोई भी बकवास से बकवास मुद्दा हो ये अभिनेत्री उस पर अपनी राय अवश्य देती हैं और एक डील के तहत उसके ट्वीट और बयानों को दर्शकों के सामने परोसा जाता है। यह डील न्यूज़ चैनल्स और पीआर एजेंसी के बीच होती है कि हमें आपके चैनल पर इतना कवरेज दिया जाएगा। दरअसल न्यूज़ मीडिया और पीआर एजेंसी दोनों के लिए यह विन-विन डील है।

ऐसी ही एक और है कुश्ती की महिला खिलाड़ी बबीता फोगाट। क्या आपको आश्चर्य नहीं होता कि सैकड़ों नहीं बल्कि हजारों की संख्या में खिलाड़ी होंगे जिनका कद फोगाट से बड़ा है लेकिन उनके बयानों को मीडिया कोई महत्व नहीं देता लेकिन फोगाट कुछ बोलती है तो तुरन्त मीडिया उठा लेता है। ऐसे और भी एकॉउंट हैं अभिजीत भट्टाचार्य, कैलाश खेर, सोनू निगम आदि-आदि। यह अपने-अपने स्तर पर अलग-अलग काम करते हैं लेकिन इनका मुख्य उद्देश्य एक ही एजेंडा सपोर्ट करना होता है जिसे पीआर एजेंसी डिसाइड करती है। इसे समझना थोड़ा कॉम्प्लिकेटेड है जैसे डील यह है कि 8 से 10 ट्वीट आप अपने हिसाब से करो लेकिन 1 ट्वीट आपको पीआर एजेंसी के हिसाब से करेगी।

इन तमाम सेलेब्रिटीज़ की पोल पट्टी कुछ साल पहले कोबरा पोस्ट ने स्टिंग कर बहुत बढिय़ा तरीके से खोली थी लेकिन मीडिया ने कभी उस बारे में बात नहीं की।

कोबरा पोस्ट के रिपोर्टरों ने एक छद्म पीआर एजेंसी के प्रतिनिधि बनकर इन सितारों से मुलाक़ात की थी। उन्हें बताया गया कि आपको अपने फेसबुक, ट्विटर और इन्स्टाग्राम अकाउंट के जरिये एक राजनीतिक पार्टी को प्रोमोट करना है

उनसे कहा गया, ‘हम आपको हर महीने अलग-अलग मुद्दों पर कंटैंट देंगे, जिसे आप अपने शब्दों और शैली में लिखकर अपने फेसबुक, ट्विटर और इन्स्टाग्राम अकाउंट से पोस्ट करेंगे। आपके और हमारे बीच आठ-नौ महीने का एक दिखावटी करार होगा। यही नहीं जब पार्टी किसी मुद्दे पर घिर जाए तो आपको ऐसे मौकों पर पार्टी का बचाव भी करना होगा।’

इन मशहूर सितारों ने सभी शर्तें मानते हुए मनमाफिक़ पैसा मिलने पर किसी भी पार्टी के लिए सोशल मीडिया पर छद्म-प्रचार करने को तैयार थे। इनमें अनेक चर्चित नाम शामिल थे जैसे जैकी श्रॉफ, शक्ति कपूर, विवेक ओबेरॉय, अभिजीत भट्टाचार्य, कैलाश खेर, मीका सिंह, अमीषा पटेल, महिमा चौधरी, श्रेयस तलपड़े, राखी सावंत, अमन वर्मा, सनी लियोन, कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव, सुनील पाल, राजपाल यादव आदि।

इसके अलावा इसमें पुनीत इस्सर, सुरेंद्र पाल, पंकज धीर और उनके पुत्र निकितिन धीर, टिस्का चोपड़ा, दीपशिखा नागपाल, अखिलेन्द्र मिश्रा, रोहित रॉय, राहुल भट, सलीम ज़ैदी, हितेन तेजवानी और उनकी पत्नी गौरी प्रधान, एवलीन शर्मा, मिनिषा लाम्बा, कोइना मित्रा, पूनम पांडेय, उपासना सिंह, कृष्णा अभिषेक, विजय ईश्वरलाल पवार यानि वीआईपी, कोरियोग्राफर गणेश आचार्य और डांसर-एक्टर संभावना सेठ भी पैसे लेकर कुछ भी लिखने को तैयार थे।

एक ओर बड़ा नाम था जो अब पीआर एजेंसियों की मेहनत से प्रवासी मजदूरों का मसीहा बन गया है वह था सोनू सूद का, आप जानते हैं सोनू सूद क्या डील चाहते थे, सोनू सूद हर महीने 15 मैसेज के लिए 1.5 करोड़ की फीस पर तैयार नहीं थे। सूद एक दिन में पांच से सात मैसेज करने को तैयार थे लेकिन प्रति मैसेज वे 2.5 करोड़ रुपये की मांग कर रहे थे।

अब यदि सोनू सूद एक मैसेज का इतना माँग रहे थे तो आप समझ लीजिए कि उनकी प्रवासी मजदूरों को मदद करने वाली पूरी कैम्पेन किसके कहने पर चलाई गई और किसने रकम लगाई। जितनी रकम उन्होंने खर्च की होगी उससे दसियों गुना ज्यादा रकम तो उन्होंने अपने ट्वीट और इंस्टाग्राम पोस्ट का रेट बढ़ाकर वसूल ली होगी।

लेकिन इन सबकी गलती नहीं है। दरअसल लोग ही बेवकूफ हैं जो ऐसे घटिया फिल्मी सितारों और खिलाडिय़ों की ओपिनियन से अपने आपको प्रभावित होने देते हैं। उन्हें फॉलो करते हैं उनकी चर्चा करते हैं यह सब एक तरह के बनाए गए पीआर एजेंसियों के बनाए गए प्रोडक्ट है जो हमें एक स्यूडो वातावरण में बनाए रखते हैं। थोड़ा लिखा है अधिक समझिएगा।


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