विचार / लेख

मनीराम प्लांटेशन कोई डेढ़ सौ साल पुराने हो चुके हैं
22-Aug-2020 5:27 PM
मनीराम प्लांटेशन कोई डेढ़ सौ साल पुराने हो चुके हैं

-मनीष सिंह

घरों से निकलिए और तमाम जंगलों से होकर गुज़रिये। देखिये, ब्रिटिश राज की निशानियों पर फूल आये है।

ये सागौन के फूल हैं। सागौन, याने ‘टेक्टोंना ग्रान्डिस’ भारतीय स्पीशीज नहीं है। साल या शीशम की तरह ‘न ये खुद से उगता है, न खुद से उग आया है.. इसे तो अंग्रेजों ने लगाया है। मितरों..’

तो टीक, या सागौन असल में दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्वी एशिया का नेटिव है। आसानी से नहीं लगता, इसे बीज की नर्सरी तैयार कर, या रुट शूट से उगाकर वृक्षारोपण किया जाता है। सागौन के वृक्ष सीधे, बेहद लंबे होते है। पूरा टिम्बर बेहद मजबूत होता है और काटने पर गैर टिम्बर वेस्ट कम होता है। जरा पोलिश कर दो, चमकने लगती है। ऐसे शानदार टिम्बर से आप घर के सोफे पलंग बनाना चाहेंगे, और अंग्रेज बन्दूक।

और खूब सारी बंदूक, जिसके लिए चाहिए खूब सारी लकड़ी। मध्य भारत के सूखे पर्णपाती वनों में सागौन के खूब उगता है। जमकर प्लांटेशन किये गए। आज भी किये जाते है। कटी हुई लकड़ी को ढोने के लिए जंगल से पोर्ट तक रेलवे लाइन भी बिछाई गई। और पूरी की पूरी भारतीय वन सेवा भी गठित की गई।
डीएफओ ऑफिस के रिकॉर्ड रूम में फेंकी हुई एक किताब ने मुझे बताया कि 1860 के दशक में भारत मे इंस्पेक्टर जनरल ऑफ फारेस्ट का पद बन गया था। और इसके नीचे पूरी विंग बनी। इंडियन सिविल सर्विस के बाद, इंडियन पुलिस सर्विस नही, इंडियन फारेस्ट सर्विस बनी थी। इससे महत्व जानिए।
यह सेवा इतनी महत्वपूर्ण थी, कि इसका प्रशाशन, खर्च, नियम नीति का जिले के दूसरे विभागों से कोई कंट्रोल नही था। यह लगभग स्वत्रंत होती थी। नतीजा, वन सेवा के अधिकारी कलेक्टर और एसपी को न हेजते थे। वन अफसर ट्रेजरी से सीधे चेक काटता है। खर्च का हिसाब फॉर्म 14 में सीधे एजी को भेजने की रवायत आज भी है।

इन बंदूकों से ब्रिटिश ने सारी दुनिया जीती, विश्वयुद्ध जीते। भारत मे टीक अच्छे प्लांटेशन को पुरस्कार मिलते। मगर यह बात हर किसी को मालूम न थी।
टीक लगाने की रवायत और जुनून इतना था, कि मध्य भारत के रायपुर के समीप बार नाम की रेंज में ( यहां आज बार-नवापारा नाम का अभयारण्य स्थित है) मनीराम नाम के एक प्लांटेशन वाचर ने तीन एकड़ जंगल सफाचट कर दिया। और उस पर टीक के पौधे लगा दिए।

जंगल को बिना अनुमति काटने की खबर ऊपर पहुंची और कोई अधिकारी जांच के लिए आया। मनीराम की सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी। घर परिवार त्याग कर जान बचाने के लिए गायब हो गए। उनका पता सरकार खोजती रह गई।
इनाम देने के लिए..!

मनीराम प्लांटेशन कोई डेढ़ सौ साल पुराने हो चुके हैं। जितने भी पेड़ बचे है, गर्थ और हाइट देखते बनती है। सागौन प्लांटेशन कैसा किया जाना चाहिए, बड़े 
अफसरों को ट्रेनिंग में बुलाकर मनीराम का प्लांटेशन दिखाया जाता है। 

तो जरा गाड़ी निकालिये। कहीं जंगलों में सागौन के फूल देखकर आइये। हमे बताइये कैसा महसूस हुआ?


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