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टैल्कम पाउडर, एस्बेस्टस और कैंसर: क्या है इनका रिश्ता?
22-Oct-2025 4:52 PM
टैल्कम पाउडर, एस्बेस्टस और कैंसर: क्या है इनका रिश्ता?

डब्ल्यूएचओ की कैंसर एजेंसी के मुताबिक, टैल्कम पाउडर "शायद" कारसिनोजेनिक है. यानी, शायद इसमें कैंसर की वजह बनने की क्षमता है. लेकिन अगर पाउडर में एस्बेस्टस हो, तो वह निश्चित रूप से कैंसर का कारण बन जाता है.

 डॉयचे वैले पर जुल्फिकार अबानी की रिपोर्ट -

टैल्क 1890 के दशक से मौजूद है. यह त्वचा की देखभाल करने वाले उत्पादों, कॉस्मेटिक, उद्योग, सिरेमिक, छत बनाने, प्लास्टिक और कागज जैसी चीजों में इस्तेमाल किया जाता है. बचपन में भले ही आपने इसका इस्तेमाल न किया हो, या आपके ऊपर इसका इस्तेमाल न किया गया हो, लेकिन बहुत संभावना है कि आपने इसका नाम जरूर सुना होगा. आमतौर पर हम इसे 'टैल्कम पाउडर' के नाम से जानते हैं.

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1970 के दशक से ही कई शोध यह संकेत दे रहे हैं कि टैल्क शायद "कारसिनोजेनिक" हो सकता है, यानी कैंसर पैदा कर सकता है. इनमें कुछ शोध ऐसे भी थे जिन्हें टैल्क के सबसे बड़े निर्माता, अमेरिकी दवा कंपनी 'जॉनसन एंड जॉनसन' ने करवाया था. लेकिन कई विशेषज्ञ और अध्ययन कहते हैं कि टैल्क तभी निश्चित रूप से कैंसरजनक बनता है, अगर उसमें एस्बेस्टस मिला हो. 'जॉनसन एंड जॉनसन' का कहना है कि उसके टैल्क उत्पादों में एस्बेस्टस नहीं होता है.

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फिर भी, कई अदालती मामलों और अरबों डॉलर के जुर्माने के बाद, 'जॉनसन एंड जॉनसन' ने 2020 की शुरुआत से टैल्क वाला पाउडर बनाना बंद कर दिया. अब वह कॉर्नस्टार्च से पाउडर बनाते हैं.

कहां से खरीदा जाता है टैल्क?

डीडब्ल्यू ने अपनी रिपोर्ट के दौरान पाया कि टैल्कम पाउडर को लेकर दशकों से चल रहे विवादों और कैंसर से जुड़े संभावित दावों के बावजूद लोग आज भी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं.

तो अगर आप टैल्कम पाउडर इस्तेमाल करते हैं, तो त्वचा पर सूखापन महसूस करने या खुजली और दाने से बचने के लिए करते होंगे. आमतौर पर टैल्क दवा की दुकान से खरीदा जा सकता है.

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सुरक्षा के लिहाज से इससे कई बेहतर विकल्प भी हैं. जैसे कि आप कॉर्नस्टार्च से बना पाउडर ले सकते हैं. साल 2000 में प्रकाशित एक वैज्ञानिक समीक्षा में यह निष्कर्ष सामने आया कि "सिर्फ कॉर्नस्टार्च वाला पाउडर ही ऐसा पाउडर है, जिसे अंडाशय कैंसर का कारक नहीं माना जाता है."

यह अध्ययन खासतौर पर पेरिनियम त्वचा से जुड़ा था. पेरिनियम, यानी जननांगों और गुदा के बीच की संवेदनशील त्वचा. यह इसलिए महत्वपूर्ण है कि कई विशेषज्ञों को आशंका रही है कि पेरिनियम त्वचा पर टैल्कम पाउडर लगाने के कारण कई महिलाओं में अंडाशय कैंसर विकसित हुआ हो सकता है.

हालांकि, इस बात पर अब भी विवाद है कि टैल्क और अंडाशय कैंसर के बीच सीधा संबंध है या नहीं.

टैल्क "शायद" कैंसर कारक हो सकता है, जबकि एस्बेस्टस कैंसर कारक है

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की संस्था 'अंतरराष्ट्रीय कैंसर अनुसंधान एजेंसी' (आईएआरसी) ने वर्ष 2024 में बताया था कि अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के एक समूह ने टैल्क को मनुष्यों के लिए "संभवतः कैंसर कारक" के रूप में वर्गीकृत किया है. हालांकि, आईएआरसी ने चेतावनी भी दी कि यह निष्कर्ष कुछ सीमित प्रमाणों पर आधारित है. रिपोर्ट के अनुसार, इस निष्कर्ष के आधार थे:

- मनुष्यों में (विशेष रूप से अंडाशय के कैंसर में) सीमित प्रमाण मिले

- प्रयोगशाला के जानवरों पर किए गए परीक्षणों में पर्याप्त प्रमाण मिले कि टैल्क कैंसर पैदा कर सकता है

- जब टैल्क को मानव कोशिकाओं और प्रयोगात्मक प्रणालियों में परखा गया, तो इसमें ऐसे गुण पाए गए जो कैंसरजनक पदार्थों की मुख्य विशेषताओं से मिलते-जुलते थे

- अंतरराष्ट्रीय कैंसर अनुसंधान एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा, "टैल्क की प्रत्यक्ष भूमिका पूरी तरह स्थापित नहीं की जा सकी."

1970 के दशक की शुरुआत में ही यह पाया गया था कि अंडाशय के ट्यूमर ऊतकों में टैल्क मिला. यह जानकारी 2019 में जर्नल 'एपिडेमियोलॉजी' में छपी एक टिप्पणी में दी गई.

उसी दौरान 'जॉनसन एंड जॉनसन' ने भी टैल्क और अंडाशय कैंसर के बीच का संबंध जांचने के लिए रिसर्चरों और वैज्ञानिकों को काम सौंपा. उनकी जांच में पाया गया कि अंडाशय के कैंसर ऊतकों में टैल्क के साथ एस्बेस्टस भी मौजूद था.

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एस्बेस्टस के कैंसर पैदा करने वाले गुणों पर अधिक स्पष्ट रूप से शोध मौजूद है. डब्ल्यूएचओ साफ तौर पर कहता है कि "एस्बेस्टस के सभी रूप इंसानों के लिए कैंसर कारक हैं."

सवाल: फिर एस्बेस्टस को सब जगह से हटा क्यों नहीं दिया जाता है?

जवाब: आईएआरसी के अनुसार, टैल्क में एस्बेस्टस के मिश्रण को सटीक रूप से मापना चुनौतीपूर्ण है. साथ ही, उद्योग और खनन कंपनियों के लिए भी लंबे समय से टैल्क उत्पादों में सेएस्बेस्टस निकालना मुश्किल रहा है. किचन में कई सारी ऐसी चीजें हर समय मौजूद रहती हैं जो हमें कैंसर भी दे सकती हैं. इनके बारे में जानना बहुत जरूरी है. यहां देखिए कौन सी हैं ये चीजें.

टैल्क को कैसे 'दूषित' करता है एस्बेस्टस?

खनन के दौरान एस्बेस्टस टैल्क में मिल सकता है. दोनों खनिज प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं, इनके समान गुण होते हैं और ये अक्सर चट्टानों में आस-पास पाए जाते हैं.

दोनों में ही सिलिकन, मैग्नीशियम, लोहा, ऑक्सीजन और हाइड्रोजन पाया जाता है. हालांकि, एस्बेस्टस कभी-कभी टैल्क के अंदर ही बन जाता है. यह काफी सूक्ष्म जमाव और बड़े, अलग क्षेत्रों के रूप में मौजूद होता है.

इस मामले में सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि टैल्क में एस्बेस्टस की मौजूदगी जांचने के लिए कोई मानकीकृत तरीका नहीं है. यहां तक कि एस्बेस्टस फाइबर और टैल्क फाइबर में अंतर पहचान पाना भी काफी मुश्किल है.

दिसंबर 2024 में अमेरिका के 'फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन' ने एक नए नियम का प्रस्ताव दिया. इसके तहत, टैल्क युक्त कॉस्मेटिक उत्पादों में एस्बेस्टस की पहचान और जांच के लिए मानकीकृत तरीके तय किए जाएंगे. हालांकि, यह केवल अमेरिका के लिए है और यह लेख लिखे जाने तक इन नियमों की समीक्षा ही हो रही थी.

एस्बेस्टस से  'दूषित' टैल्क कैंसर की वजह कैसे बनता है?

यह सांस लेते वक्त शरीर में प्रवेश कर सकता है. अगर एस्बेस्टस फाइबर सांस के जरिए फेफड़ों में चला जाए, तो यह कई साल तक वहां रह सकता है. अगर ये फाइबर सूजन और फिबरोसिस (दाग-धब्बे) पैदा करें, तो इससे कैंसर हो सकता है.

जख्मी ऊतक ठीक से फैलता या सिकुड़ता नहीं है, जिससे सांस लेने में दिक्कत हो सकती है. यह फेफड़ों के कैंसर से जुड़ा एक प्रमुख लक्षण भी है.

खनन करने वाले लोग सबसे अधिक जोखिम में रहते हैं. टैल्क की खानों में काम करने वाले लोग लगातार टैल्क और एस्बेस्टस फाइबर के संपर्क में आते हैं. सांस के जरिये ये शरीर में घुस सकता है. निर्माण उद्योग या प्लास्टिक उद्योग में काम करने वाले लोगों पर भी खतरा है.

यहां तक कि व्यक्तिगत उपयोग भी स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है. अगर टैल्क के कण योनि के रास्ते गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब से होकर अंडाशय तक पहुंच जाते हैं, तो अंडाशय कैंसर होने का जोखिम रहता है.

एस्बेस्टस वाला टैल्क किस प्रकार के कैंसर पैदा कर सकता है?

इससे मेसोथेलिओमा हो सकता है. यह ऊतक की एक पतली और सुरक्षात्मक परत का कैंसर है. यह परत फेफड़े, हृदय और अंडकोष जैसे कई अंगों को ढकती है.

इससे फेफड़ों का कैंसर भी हो सकता है. अगर टैल्क-एस्बेस्टस के फाइबर फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं, तो यह कोशिकाओं में आनुवंशिक बदलाव कर सकते हैं. इससे ट्यूमर विकसित हो सकता है.

इसके अलावा अंडाशय कैंसर का भी खतरा है. यह एस्बेस्टस-टैल्क के इस्तेमाल से होने वाला सबसे ज्यादा दर्ज किया गया कैंसर है. साल 2018 में 'जॉनसन एंड जॉनसन' ने 22 महिलाओं को लगभग पांच अरब डॉलर का भुगतान किया था. इन महिलाओं ने दावा किया था कि 'जॉनसन एंड जॉनसन' के टैल्कम पाउडर के कारण उन्हें अंडाशय कैंसर हो गया. अक्टूबर 2025 में ब्रिटेन में भी इसी तरह का एक मुकदमा दायर किया गया है.

 

 


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