विचार / लेख
-राहुल कुमार सिंह
छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है, खास कर मध्य छत्तीसगढ़, जहां धान उपज का रकबा और पैदावार अधिक है, वहीं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर में 23000 से अधिक प्रकार के धान बीजों का संग्रह है। इसके साथ दो बातें जोड़ कर देखना जरूरी है कि फसल-चक्र परिवर्तन और मिलेट्स पर भी जोर दिया जाता है, जो आवश्यक है तथा यह भी कि भोजन में कार्बोहाइड्रेट प्रतिशत सीमित रखना स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
इस बीच छत्तीसगढ़ में 15 नवंबर 2025 से 31 जनवरी 2026 तक धान खरीदी के कुल 2739 केंद्रों के माध्यम से 3100/ प्रति क्विंटल की दर से प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदी निर्धारित है। याद आया कि हमने 1965-66 में ‘बालभारती’ कक्षा-3 में पाठ पढ़ा था-
आज रायपुर शहर में किसानों की बड़ी भीड़ थी। सभी बहुत खुश दिखाई देते थे। जिलाध्यक्ष की कचहरी के सामने एक मंडप बनाया गया था। सुन्दर बंदनवारों और झंडियों से मंडप खूब सजाया गया था। मंडप में सभा का प्रबन्ध किया गया था, वहाँ प्रमुख अधिकारी और नेतागण इक_े हुए थे। वहाँ आये हर व्यक्ति की जबान पर धमतरी के किसनसिंह का नाम था, क्योंकि आज का यह उत्सव उन्हीं के सम्मान के लिए हो रहा था।
परन्तु किसनसिंह का यह सम्मान किसलिए? उन्होंने ऐसा क्या काम किया है?
इसका कारण यह था कि किसनसिंह ने अपने खेत में सबसे अधिक धान पैदा की थी। छत्तीसगढ़ की मुख्य फसल धान है। अच्छी बरसात होने पर धान के पौधों को रोपने के पन्द्रह-बीस दिनों बाद सभी ओर हरी-हरी धान लहलहाने लगती है। पौष माह में कटाई के बाद धान की फसल तैयार हो जाती है। साधारणत: एक एकड़ जमीन में दस बारह मन धान पैदा होती है। परन्तु किसनसिंह ने अपनी एक एकड़ जमीन में पच्चीस मन धान पैदा की। सारे किसानों को किसनसिंह की इस सफलता पर बड़ी खुशी हो रही थी। वे जानते हैं कि अपने खेतों में अधिक से अधिक अनाज पैदा करना सबसे बड़ी देश-सेवा है। इससे देश में संपत्ति बढ़ेगी और जनता को खूब अनाज मिलेगा। दूसरे देशों के सामने हमें हाथ नहीं फैलाना होगा। इसलिए किसनसिंह ने जो कार्य कर दिखाया है, उसका महत्व बहुत अधिक है और इसीलिए आज उनका सम्मान किया जा रहा है।
सभा का समय होने पर जिलाध्यक्ष के साथ किसनसिंह मंडप में आये। उन्हें मंडप में आता देखकर सब लोग खड़े हो गये। वे मंच पर जाकर बैठ गये। फिर जिलाध्यक्ष ने अपना भाषण शुरू किया-
‘‘किसान भाइयों! आप सभी जानते हैं कि हम लोग यहाँ श्री किसनसिंह का सम्मान करने के लिए इक_े हुए है। देश में धान की फसल बढ़ाने के लिए सरकार ने अभी-अभी एक नया तरीका बताया है। अपने जिले में भी इस साल बहुत से किसानों ने यही तरीका अपनाया है। इससे उन्हें बहुत लाभ भी हुआ है। जहाँ पहले एक एकड़ जमीन में दस या बारह मन धान पैदा होती थी, वहाँ इस तरीके से बीस-बीस मन तक धान पैदा हुई है। कुछ किसानों ने तो बाईस मन तक धान पैदा की है, परन्तु किसनसिंह इन सबसे आगे बढ़ गये हैं। उन्होंने एक एकड़ जमीन में पच्चीस मन धान पैदा की है। आप सबकी ओर से मैं उनको बधाई देता हूं और उन्हें सरकार को ओर से एक हजार एक रुपये इनाम के रूप में भेंट करता हूँ।‘‘
इसके बाद जिलाध्यक्ष ने किससिंह को फूलों की माला पहनाई और रुपयों की थैली भेंट की। सभा में आये हुए सब लोगों ने तालियाँ बजाईं। तालियों की गडग़ड़ाहट समाप्त होने पर किसनसिंह ने अपना भाषण शुरू किया-
‘‘जिलाध्यक्ष महोदय और किसान भाइयो! आप लोगों ने मेरा जो सम्मान किया, उसके लिए मैं आप सबको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ। देश की संपत्ति बढ़ाना हमारा कर्तव्य है। इसके लिए जो कुछ भी हम कर सकें, वही हमारी सबसे बड़ी देश-सेवा होगी। अब मैं धान की फसल तैयार करने के नये तरीके के बारे में दो-चार बातें कहूँगा। पहली बात है, बीज का चुनाव। बीज अच्छा हो तो फल भी अच्छा होता है। धान की अच्छी फसल के लिए ठोस बीज चाहिए। ठोस बीजों का चुनना बहुत सरल है। बीजों को नमक के पानी में डाल दो। जो बीज हलका होगा, वह ऊपर तैर आयेगा। जो बीज नीचे बैठ जाये उसे ठोस समझना चाहिये। इन चुने हुए बीजों में कीड़े मारने वाली दवा लगा देना चाहिये और फिर उन्हें बोना चाहिये। ऐसा करने से फसल को कीड़ा नहीं लगता।
पौधा लगाने के लिए क्यारियाँ ऊँची होनी चाहिये। उनमें गोबर और राख की खाद डालना चाहिये। जिस स्थान पर ऐसी खाद डाली जाती है, वहाँ पौधे ऊँचे और घने होते हैं। जिस जमीन में इन पौधों को रोपा जाये, उसमें भी खाद देना चाहिये। इसके लिए सड़ी पत्तियां, खली और हड्डियों का चूरा बहुत लाभदायक होता है।
‘‘पौधों को एक सीधी कतार में रोपना चाहिये और दो पौधों के बीच साधारणत: आठ या दस अंगुल की जगह छोड़ देनी चाहिये। इससे पौधों को बढऩे के लिए काफी जगह मिलती है। उन्हें धूप, प्रकाश और गरमी भी मिलती है। एक कतार में और थोड़ी-थोड़ी दूर पौधा रोपने से निदाई अच्छी तरह हो सकती है। धान की बाढ़ अच्छी होती है। उसमें अधिक अंकुर फूटते हैं, अच्छी बालें लगती हैं और खूब धान होती है।
मैंने शुरू से ही बड़ी देखभाल की इसीलिए मैं इतनी धान पैदा कर सका और आपके सम्मान के योग्य ठहरा। मैं आपको इसके लिए बार-बार धन्यवाद देता हूँ।’’
ऐसा कहते हुए किसनसिंह ने दोनों हाथ जोड़े, और अपना भाषण समाप्त किया। एक बार फिर तालियों की गडग़ड़ाहट हुई। जिलाध्यक्ष महोदय से कहा-अब राष्ट्र-गीत गाया जायेगा। यह सुनकर सब लोग अपने-अपने स्थान पर चुपचाप खड़े हो गये। राष्ट्रगीत के बाद सभा समाप्त हो गई।


