विचार / लेख

नागरिकों का सही स्थान और स्थिति!
23-Aug-2025 10:14 PM
नागरिकों का सही स्थान और स्थिति!

-डॉ. आर.के. पालीवाल

कल वरिष्ठ नागरिक दिवस था। किसी भी समाज के ठीक से विकास के लिए बच्चों की शिक्षा, युवाओं की कर्मशीलता और वरिष्ठ नागरिकों के उचित मार्गदर्शन की जरूरत होती है। जहां तक वरिष्ठ नागरिकों का प्रश्न है, समाज के लिए उनके सर्वोत्तम उपयोग के लिए निम्न तीन चीजें जरूरी हैं...

1. हमारे वरिष्ठ नागरिक सबसे पहले स्वयं को समर्थ और सक्षम समझें। उनमे यह आत्म विश्वास होना चाहिए कि वे समाज निर्माण में अप्रतिम योगदान कर सकते हैं। आम धारणा यह बना दी गई है कि सेवानिवृत्त वरिष्ठ नागरिक फ्यूज बल्ब की तरह हैं। उन्हें बहुत से चुटकुलों में ऐसा ही बताया जाता है। जबकि हकीकत इसके उलट है। वरिष्ठ नागरिक अपने लम्बे जीवन अनुभवों से बच्चों और युवाओं को प्रेरित कर सकते हैं। हमारे अपने आसपास भी इस तरह के बहुत से उदाहरण हैं। उत्तर भारत के सैकड़ों गांवों में स्कूल और कॉलेज खोलने वाले स्वामी कल्याण देव, देश विदेश में तीन भाषाओं में गांधी कथा कहने वाले नारायण देसाई, बस्तर की आदिवासी बालिकाओं को शिक्षित कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने वाले धर्मपाल सैनी, इंदौर के विसर्जन आश्रम में शहर की तीन पीढिय़ों को निशुल्क योग प्रशिक्षण देने वाले किशोर भाई, गुजरात के आदिवासी समुदाय में शिक्षा की अलख जगाने वाले भीखू भाई और कोकिला बेन दंपत्ति, गांधी मूल्यों को आजीवन लोगों तक पहुंचाने वाले न्यायमूर्ति चंद्रशेखर धर्माधिकारी, सुदूर गांव में रहकर बहुत से गांवों में समग्र विकास करने वाले कांति भाई शाह, अपने जीते जी अपनी संपत्ति समाजसेवी संस्थाओं को बांटने वाले चार्टर्ड एकाउंटेंट संतोष खण्डेलवाल आदि ऐसे बहुत से उदाहरणों के हम भी साक्षी रहे है जिन्होंने उम्र के बढ़ते आंकड़ों को गति अवरोधक नहीं माना और उम्र के सातवें, आठवें और नौवें दशक में भी युवाओं सरीखे जोश के साथ समाज उत्थान के रचनात्मक कार्यों को अंजाम देते रहे। स्वामी कल्याण देव जैसे संत समाजसेवी तो सौ वर्ष पार करने के बाद भी बच्चों जैसे उत्साह से काम करते थे और कहते थे कि आदमी को अंतिम साँस तक मनुष्य जीवन का सार्थक उपयोग करना चाहिए ताकि मन में यह भाव न आए कि हम समय रहते अमुक काम नहीं कर पाए। शायद इसीलिए ईश्वर ने उन्हें तीन शताब्दियों में फैला 127 साल लम्बा जीवन दिया था जिसका सार्थक उपयोग उन्होंने अद्भुत समाजसेवा के लिए किया।

2. युवाओं की भी यह जिम्मेदारी है कि उनको भी आगे बढक़र वरिष्ठ नागरिकों को यथोचित सम्मान देना चाहिए ताकि आशीर्वाद के रूप में उन्हें वरिष्ठ नागरिकों के अनुभवों और ज्ञान का खजाना मिल सके। हमारे यहां गु। शिष्य की प्राचीन परंपरा रही है। सही अर्थ में प्रत्येक वरिष्ठ नागरिक अपने समाज के युवाओं के लिए गु। की भूमिका निभा सकता है और अपने ज्ञान और अनुभव से युवाओं को सफ़लता के गुर सिखा सकता है । इस तरह वरिष्ठ नागरिक शिक्षण का दायित्व निभा सकते हैं।

3. सरकारों और समाजसेवी संस्थाओं को भी वरिष्ठ नागरिकों का लाभ उठाना चाहिए। ग्राम पंचायतों की मार्गदर्शन समिति से लेकर स्कूल, कॉलेज और अस्पतालों आदि के मैनेजमेंट में वरिष्ठ नागरिक सकारात्मक योगदान कर सकते हैं। इसी तरह शहर के पार्कों और पुस्तकालय आदि के संचालन के कार्य वरिष्ठ नागरिक बेहतर तरीके से कर सकते हैं। समाजसेवी संस्थाओं के लिए तो वरिष्ठ नागरिक अत्यंत मूल्यवान हो सकते हैं। आर्थिक रूप से संपन्न वरिष्ठ नागरिक आर्थिक सहयोग कर सकते हैं, बौद्धिक रूप से संपन्न वरिष्ठ नागरिक कल्याण कारी योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन कर सकते हैं।

लब्बोलुआब यह है कि हम सबको वरिष्ठ नागरिकों के प्रति अपनी सोच बदलनी चाहिए और वरिष्ठ नागरिकों को समाज के बोझ के बजाय महत्वपूर्ण एसेट मानना चाहिए।


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