विचार / लेख

बच्चों को नॉन वेज और डेयरी प्रोडक्ट से दूर रखने के खतरे समझिए
02-Jul-2025 10:40 PM
बच्चों को नॉन वेज और डेयरी प्रोडक्ट से दूर रखने के खतरे समझिए

-जैस्मिन फॉक्स स्केली

दुनिया के कई हिस्सों में वीगन खाने का चलन बढ़ रहा है। हालांकि इस बारे में आंकड़े सीमित हैं लेकिन 2018 में दुनिया की लगभग तीन फ़ीसदी आबादी वीगन खाना खा रही थी।

वीगन भोजन में नॉन वेज और डेयरी उत्पाद समेत कोई भी एनिमल प्रोडक्ट शामिल नहीं होते हैं। सिफऱ् पेड़-पौधों से मिलने वाले खाद्य पदार्थों को ही खाया जाता है।

अमेरिका में 2023 में हुए एक गैलप पोल में एक फ़ीसदी लोगों ने कहा कि वे वीगन डायट लेते हैं। हाल में द वीगन सोसाइटी के सर्वे में कहा गया है कि ब्रिटेन की लगभग तीन फ़ीसदी आबादी यानी लगभग 20 लाख लोग पूरी तरह वीगन खाना खाते हैं।

वीगन भोजन के फ़ायदों के पुष्टि हो चुकी है। पहला तो ये कि इसमें मांस और डेयरी प्रोडक्ट का इस्तेमाल नहीं होता, जो पर्यावरण को नुक़सान पहुंचाने वाले माने जाते हैं। दूसरी ओर पेड़-पौधों से मिलने वाला भोजन ज़्यादा टिकाऊ विकल्प माना जाता है।

संतुलित और विविधता से भरे वीगन आहार सेहत के लिए फ़ायदेमंद हैं, इसके सबूत भी हैं।

हालांकि कुछ मामलों में शिशुओं में गंभीर कुपोषण के मामले सामने के बाद लोगों ने कहना शुरू किया कि वीगन डायट बच्चों के लिए ठीक नहीं है।

लेकिन इस बारे में विशेषज्ञों की राय बँटी हुई है कि वीगन डायट से बच्चों को नुक़सान पहुंचता है।

अमेरिका और ब्रिटेन के आधिकारिक पोषण संगठनों का कहना है कि सही तरीके से प्लान किया जाए तो ये शिशुओं और बच्चों के लिए सुरक्षित हो सकता है। लेकिन फ्रांस, बेल्जियम और पोलैंड में स्वास्थ्य अधिकारी इसे लेकर चिंता जताते रहे हैं।

दुर्भाग्य से अभी तक बच्चों के स्वास्थ्य पर वीगन डायट के असर पर बहुत कम रिसर्च हुई है। हालांकि अब जो अध्ययन हो रहे हैं वो इस बारे में नई जानकारी दे रहे हैं।

आखिर वीगन आहार लेने वाले क्या नहीं खाते हैं।

दरअसल वो कोई भी एनिमल प्रोडक्ट नहीं खाते। वो मांस, मछली, दूध और अंडे से परहेज करते हैं। उनके आहार में फल, फूल, सब्जिय़ां और पत्तियां होते हैं। इनमें सब्जियां, फल, मेवे, बीज, दालें, ब्रेड,पास्ता और हमस जैसी चीज़ें शामिल हैं।

रिसर्च क्या बताती है?

इंपीरियल कॉलेज लंदन की पोषण वैज्ञानिक और जेओई कंपनी में प्रमुख पोषण विशेषज्ञ फेडेरिका अमाती कहती हैं, ‘हमें इस आहार का सबसे बड़ा लाभ हृदय स्वास्थ्य को बेहतर रखने में दिखा है। जो लोग वीगन डायट लेते हैं, उनका एलडीएल कोलेस्ट्रॉल (खऱाब कोलेस्ट्रॉल) कम होता है। रक्त धमनियों में ब्लॉकेज कम होते हैं और हार्ट अटैक और स्ट्रोक का जोख़िम कम होता है। वे आम तौर पर दुबले-पतले होते हैं। उनमें मोटापा बढऩे का ख़तरा कम होता है।’

वीगन आहार मेटाबॉलिक बीमारियों जैसे टाइप 2 डायबिटीज और कुछ कैंसर जैसे कोलोरेक्टल कैंसर के ख़तरे को भी कम करता है।

दरअसल पौधे फाइबर से भरपूर होते हैं। फाइबर वह पोषक तत्व है, जिसकी कमी 90 फ़ीसदी लोगों में पाई जाती है। पौधों में पॉलीफेनोल पाए जाते हैं। इनमें एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो हार्ट अटैक, स्ट्रोक और डायबिटीज जैसी बीमारियों के ख़तरे को कम करते हैं।

मीट और डेयरी प्रोडक्ट में आम तौर पर सेचुरेटेड फैट होता है। इन्हें ज़्यादा खाने से शरीर में खऱाब कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है। ये हृ़दय रोग का ख़तरा बढ़ाता है।

अमाती कहती हैं, ‘भोजन के मामले में यह देखना ज़रूरी है कि वह हमारे शरीर को क्या दे रहा है और किस तरह दे रहा है।’

‘अगर आप एक स्टीक (बीफ का टुकड़ा ) खा रहे हैं, तो आपको उससे प्रोटीन, आयरन, जिंक और कुछ माइक्रो न्यूट्रिएंट्स मिलते हैं। लेकिन इसके साथ ही आप सेचुरेटेड फैट और कार्निटिन जैसे केमिकल भी ले रहे होते हैं। इस तरह का भोजन आपकी एनर्जी बढ़ा सकता है लेकिन माना जाता है कि यह आंत में सूजन बढ़ा सकता है।’

वो कहती हैं, ‘लेकिन अगर आप एडामेमे (एक तरह का सोयाबीन) खा रहे हैं तो इसमें भरपूर प्रोटीन होता है। इसमें फाइबर, विटामिन, खनिज और पॉलीफेनोल जैसे हेल्दी कंपाउंड भी होते हैं।’

लेकिन वीगन डायट तभी अच्छा हो सकता है, जब ये संतुलित हो।

भोजन के लिए पौधों पर बहुत ज़्यादा निर्भरता से आपके शरीर में कुछ ज़रूरी पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। ये पोषक तत्व सिर्फ मांस मछली, अंडे और दूध में मिलते हैं।

विटामिन बी-12 की कमी

शरीर में विटामिन बी12 की पूर्ति एक बड़ी चुनौती है। ये एक माइक्रो न्यूट्रिएंट्स है, जो केवल जानवरों के शरीर में पाए जाने वाले बैक्टीरिया बनाते हैं और यह मांस, मछली, अंडे, डेयरी प्रोडक्ट वगैरह में पाया जाता है।

इसके वीगन स्रोत हैं-न्यूट्रिशनल यीस्ट, मार्माइट, नोरी सीविड फोर्टिफाइड दूध या अनाज और सप्लीमेंट्स। लेकिन वीगन भोजन करने वाले बहुत से लोग सप्लीमेंट नहीं लेते हैं। उनमें ये कमी दिखती है।

विटामिन बी12 मस्तिष्क में नसों के लिए जरूरी होता है और स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाएं बनाने में भी मदद करता है।

वयस्कों में इसकी कमी देर से सामने आती है क्योंकि उनका शरीर इसे स्टोर कर सकता है। लेकिन बच्चों में ये कमी जल्द दिख सकती है। जैसे, कुछ रिपोर्ट में पाया गया कि वीगन डायट लेने वाली मांओं के स्तनपान पर निर्भर शिशुओं में बी12 की कमी की वजह से न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें आईं।

अमाती कहती हैं, ‘बच्चों को सबसे ज़्यादा पोषण की ज़रूरत होती है, क्योंकि वे उनके शरीर में नए टिश्यू बन रहे होते हैं। आपके सामने उनका शरीर बन रहा होता है।’

वो कहती हैं, ‘अगर बच्चों के शरीर बढऩे के इस अहम दौर में उन्हें बी12 जैसे पोषक तत्व न मिलें, तो यह तंत्रिका तंत्र और लाल रक्त कोशिकाओं को नुक़सान पहुंचाता है। इससे उनके सीखने की क्षमता और मस्तिष्क के विकास पर असर पड़ सकता है।’

ओमेगा-3 की भी हो सकती है कमी

वीगन डायट लेने वाले बच्चों में ओमेगा-3 फैटी एसिड की भी कमी हो सकती है।

ये पॉली अनसेचुरेटेड फैट एक ऐसा बिलिपिड झिल्ली बनाता है।

ये शरीर की हर कोशिका को घेरे रहती है। मस्तिष्क के काम करने के लिए ये बहुत जरूरी है।

ओमेगा-3 सेहत को ये फ़ायदा पहुंचाते हैं। लेकिन ईपीए (इकोसापेंटेनोइक एसिड) और डीएचए (डोकोसाहेक्सैनोइक एसिड), केवल मछली और शैवाल में पाए जाते हैं।

ओमेगा-3 की एक किस्म, अल्फा-लिनोलेनिक एसिड (एएलए) चिया सीड्स और अलसी के बीजों के साथ-साथ पत्तीदार हरी सब्जियों में पाई जाती है।

हालांकि एएलए सेहत के लिए उतना फ़ायदेमंद नहीं हैं, जितने ईपीए और डीएचए।

अन्य पोषक तत्व जैसे कैल्शियम, विटामिन डी और आयोडीन भी पौधों में मिलते हैं, लेकिन कम मात्रा में।

पोषण की कमी

वीगन आहार लेने वाले बच्चोंं में पोषण के कुछ अलग-अलग लेकिन गंभीर मामले सामने आए हैं।

2016 में, इटली के मिलान शहर में एक साल के वीगन बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। क्योंकि उसके खूऩ में कैल्शियम का स्तर ख़तरनाक तौर पर कम था।

2017 में बेल्जियम में एक सात महीने के शिशु की मौत हो गई। उसके माता-पिता उसे केवल वीगन दूध (जई, अनाज, चावल, किनोआ से बना) पिला रहे थे।

वीगन लोगों के लिए ये अच्छी बात है कि इन न्यूट्रिएंट्स की कमी सप्लीमेंट्स और फ़ोर्टिफाइड अनाज और दूध से पूरी की जा सकती है।

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की क्लीनिकल डाइटिशियन और मानद रिसर्च फेलो मालगोर्टज़ा डेसमंड कहती हैं, ‘बी-12 की कमी को हम पूरी तरह सप्लीमेंट से पूरी कर सकते हैं। इसके लिए ये सबसे आसान तरीका है।’

लेकिन आयरन और जि़ंक जैसे अन्य पोषक तत्वों पर ज्ज्यादा ध्यान जरूरी है।

ये तत्व हरी सब्जियों में होते हैं, लेकिन मांस या डेयरी प्रोडक्ट की तुलना में शरीर में इनका अवशोषण कम होता है।

हालांकि एक बच्चे को सभी ज़रूरी पोषक तत्व सप्लीमेंट्स और योजना बना कर तैयार किए गए आहार से मिल जाएं। लेकिन अध्ययन बताते हैं असल में हमेशा ऐसा नहीं होता।

सावधानी से करनी होगी डायट प्लानिंग

2021 में, डेसमंड और उनके सहयोगियों ने पोलैंड में 187 बच्चों पर एक अध्ययन किया। ये बच्चे या तो वीगन थे या शाकाहारी या फिर वीगन या ग़ैर वीगन आहार, दोनों ले रहे थे।

दो-तिहाई वीगन और शाकाहारी बच्चों ने बी-12 सप्लीमेंट्स लिए थे। लेकिन कुल मिलाकर वीगन बच्चों में कैल्शियम का स्तर कम था और वो आयरन, विटामिन डी और बी-12 की कमी के जोखिम से जूझ रहे थे।

इस अध्ययन के मुताबिक़ वीगन बच्चों का स्वास्थ्य दोनों तरह यानी वीगन और एनिमल प्रोडक्ट खाने वाले बच्चों से कुछ मामलों में अलग था।

हालांकि अच्छी बात ये थी कि वीगन डायट लेने वाले दुबले-पतले थे और उनमें कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम था। इससे भविष्य में उनके हृदय रोग से जूझने की आशंका कम हो सकती थी। उनके शरीर में सूजन के भी कम संकेत मिले।

बच्चों की लंबाई पर असर

अध्ययन के मुताबिक़ वीगन डायट लेने वाले बच्चों की एनिमल प्रोडक्ट लेने वाले बच्चों से लंबाई कम पाई गई।

वीगन डायट लेने वाले बच्चे उनसे तीन से चार सेंटीमीटर छोटे पाए गए। हालांकि वीगन डायट लेने वाले बच्चों की लंबाई उनकी उम्र के हिसाब से सामान्य थी।

डेसमंड कहती हैं, ‘वे (वीगन डायट लेने वाले बच्चे) कद में थोड़े छोटे और वजन में हल्के हो सकते हैं। लेकिन हमें ये नहीं पता कि क्या ये किशोरावस्था आने तक ये कद में उन बच्चों की बराबरी कर लेंगे या नहीं, जो एनिमल प्रोडक्ट ले रहे थे।’

हालांकि ज्य़ादा चिंता की बात यह थी कि शाकाहारी बच्चों की हड्डियों की बोन डेनसिटी एनिमल प्रोडक्ट लेने वाले बच्चों की तुलना में छह फ़ीसदी कम थी।

इसका मतलब ये कि भविष्य में उन्हें ऑस्टियोपोरोसिस और फ्रैक्चर का खतरा अधिक हो सकता है।

डेसमंड कहती हैं, ‘हमारे पास हड्डियों को मज़बूत बनाने का समय बहुत सीमित होता है। यह लगभग 25 से 30 वर्ष की उम्र तक ही होता है। इसके बाद हमारी हड्डियों में मिनरल्स की मात्रा धीरे-धीरे कम होती जाती है। अगर आपकी हड्डियों में 25 साल की उम्र तक पर्याप्त मिनरल नहीं बने तो फिर ये कम ही होने लगता है।’

वीगन आहार लेने वाले वयस्क लोगों पर हुई रिसर्च के मुताबिक़ उनकी हड्डियों में भी एनिमल प्रोडक्ट लेने वालों की तुलना में मिनरल्स डेनसिटी कम होती है। जिससे उनमें फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है।

हालांकि इस मिनरल की कमी का सही वजह अभी पूरी तरह समझी नहीं जा सकी है।

विटामिन डी और कैल्शियम दोनों ही हड्डियों को मज़बूत बनाने और बनाए रखने के लिए जरूरी हैं लेकिन डेसमंड का कहना है कि 2021 के उनके अध्ययन में वीगन बच्चों में कैल्शियम का सेवन दूसरों बच्चों की तुलना में कम था। लेकिन ये अंतर बहुत ज्य़ादा नहीं था।

डेसमंड कहती हैं, ‘मुझे लगता है ये कई वजहों का मेल है। यह केवल कैल्शियम की गोली लेने से हल नहीं होगा।’ क्योंकि यह पौधों से मिलने वाले प्रोटीन की गुणवत्ता पर भी निर्भर हो सकता है, जो पशु प्रोटीन की तुलना में बच्चों के विकास को कम रफ़्तार से बढ़ाता है।’

माना जाता है कि ज्यादा एनिमल प्रोटीन से शरीर का विकास ज्यादा हो सकता है। बच्चों के विकास के लिए शरीर के अंदर जो स्राव होती उसें इससे तेजी आ सकती है। आमतौर पर प्रोटीन शरीर को तेजी से बढऩे के संकेत भेजते हैं।

ये हड्डियों के विकास और मरम्मत दोनों में अहम भूमिका निभाते हैं।

हालांकि अमाती बताती हैं कि ये नतीजे सिर्फ एक स्टडी से लिए गए हैं। इसलिए बचपन में वीगन डायट और हड्डियों की डेनिसिटी के बीच कोई पक्की कड़ी अभी साबित नहीं हुई है।

योजना बना कर तैयार किया गया वीगन आहार कितना सुरक्षित

डेसमंड कहती हैं, ‘मैं तो कहूंगी कि आज की तारीख़ में हमारे पास जो जानकारी है, उसके आधार पर हम कह सकते हैं कि बचपन में वीगन आहार सुरक्षित हो सकता है लेकिन इसे पूरी जि़म्मेदारी से तैयार करना होगा।

इस विचार से टॉम सैंडर्स भी सहमत हैं, जो किंग्स कॉलेज लंदन में न्यूट्रीशन और डायटेटिक्स के मानद प्रोफेसर हैं और 1970 के दशक से वीगन आहार पर शोध कर रहे हैं।

वो कहते हैं, ‘हमने वर्षों पहले ये दिखाया था कि बच्चों को वीगन आहार पर पाला जा सकता है, बशर्ते आपको पता हो इसमें क्या गलतियां हो सकती हैं।

तो फिर सवाल ये है कि आप मांस और डेयरी प्रोडक्ट में पाए जाने वाले पोषक तत्वों को ज्यादा से ज़्यादा मात्रा में कैसे हासिल कर सकते हैं। खास कर तब वो आप वीगन आहार ले रहे हों।

क्या सप्लीमेंट लेना सही तरीक़ा है?

जहां तक बी-12 का सवाल है तो कुछ शोध बताते हैं कि इसका सबसे अच्छा तरीका सप्लीमेंट लेना है। हालांकि कुछ फोर्टिफाइड अनाज और पौधों से हासिल दूध (जैसे सोया या बादाम दूध) में बी12 मिलाया जाता है।

इस तरह के दूध और दही में कैल्शियम और विटामिन डी भी मिलाया जाता है।

अमाती यह भी कहती हैं कि यह बहुत जरूरी है कि बच्चे धूप में बाहर जाएं और दिन में जब अल्ट्रावायलेट किरणों का स्तर कम हों तो त्वचा पर सूरज पडऩे दें ताकि शरीर ख़ुद विटामिन डी बना सके।

आयरन के अच्छे वीगन स्रोतों में दालें, राजमा, छोले और दूसरे बीन्स हो सकते हैं। अमाती कहती हैं, ‘शरीर में आयरन का अवशोषण में थोड़ी मुश्किल हो सकती है लेकिन अगर आप विटामिन सी से भरपूर चीजें जैसे शिमला मिर्च, टमाटर और खट्टे फलों के साथ खाना खाते हैं तो ये ठीक हो सकता है।’

ओमेगा-3 फैटी एसिड के लिए, अलसी के बीज, चिया सीड्स और अखरोट एएलए के अच्छे स्रोत हैं। शाकाहारी लोग समुद्री शैवाल और एल्गी से बने ओमेगा-3 सप्लीमेंट लेकर एपीए और डीएचए (जो मछली में पाए जाते हैं) की कमी की पूरी कर सकते हैं।

अल्ट्रा प्रोसेस्ड वीगन आहार से बचें

अमाती कहती हैं कि सबसे अच्छा होता है कि वीगन आहार का चुनाव करते समय विविधता का ध्यान रखें। सिर्फ बाजार में बिकने वाले बहुत ज्यादा प्रोसेस (जैसे पैक्ड चीज़, नगेट्स वगैरह) पर निर्भर न रहें।

वो कहती हैं, ‘हमने कुछ ऐसे लोगों को देखा है, जो वीगन आहार ले रहे हैं। लेकिन वो सिर्फ वीगन चीज और वीगन चिकन नगेट्स जैसी चीजें खरीदते हैं। इससे उनके भोजन की गुणवत्ता खराब बनी रहती है।’

वो कहती हैं, ‘अगर आप पोषक तत्वों की कमी वाला असंतुलित वीगन आहार ले रहे हैं और सप्लीमेंट्स लेकर इसकी कमी पूरी करना चाहते हैं तो इससे आपके स्वास्थ्य को फायदा नहीं पहुंचेगा।’

रिसर्च करना जरूरी

और आखिर में हर विशेषज्ञ इस बात पर ज़ोर देते हैं कि माता-पिता को विटामिन बी-12, विटामिन डी, कैल्शियम और आयरन जैसे पोषक तत्वों के बारे में खुद जानना चाहिए ताकि वो सावधानी से अपने बच्चों के आहार के लिए प्लानिंग कर सकें।

अमाती कहती हैं, ‘इसके लिए माता-पिता को किसी हेल्थ एक्सपर्ट से सलाह लेनी चाहिए। खासकर बाल पोषण विशेषज्ञ रजिस्टर्ड न्यूट्रिशनिस्ट से। इससे आप अपने बच्चे के लिए सही आहार योजना बना सकेंगे।’

वो कहती हैं, ‘इसके साथ ही यह भी ज़रूरी है कि बच्चों के बढऩे के निगरानी रखें। अगर उनके बढऩे में देर हो रही है तो समय समय इसकी वजहों का पता लगाया जा सकता है।’ (bbc.com/hindi)


अन्य पोस्ट