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महिला के साथ सीरियाई विद्रोही नेता के फोटो खिंचवाने पर क्यों छिड़ा विवाद
21-Dec-2024 2:37 PM
महिला के साथ सीरियाई विद्रोही नेता के फोटो खिंचवाने पर क्यों छिड़ा विवाद

एक महिला के साथ फ़ोटो खिंचवाने से पहले उसे सिर ढंकने के लिए कहने को लेकर उठे विवाद को सीरिया के विद्रोही नेता अहमद अल-शरा ने ख़ारिज किया है।

पिछले हफ्ते हुई इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

जब से सीरिया पर विद्रोहियों ने कब्जा किया है, देश के भविष्य को लेकर जारी अटकलों के बीच इस घटना पर उदारवादी और संकीर्ण टिप्पणीकारों की ओर से तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली है।

सुन्नी इस्लामी ग्रुप हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) के प्रमुख ने फोटो खिंचवाने से पहले महिला से सिर ढंकने के लिए कहा था।

उदारवादी खेमा इसे बशर अल-असद सरकार के पतन के बाद सीरिया में इस्लामी व्यवस्था थोपने के रूप में देख रहा है।

जबकि कट्टर संकीर्ण खेमा पहली बार महिला के साथ फोटो खिंचवाने के लिए अहमद अल-शरा की आलोचना कर रहा है।

बीबीसी के जेरेमी बॉवेन से एक साक्षात्कार में शरा ने कहा, ‘मैंने उन्हें मजबूर नहीं किया। लेकिन यह मेरी निजी आज़ादी है। मैं उस तरह से फ़ोटो खिंचाना चाहता हूं जैसा मुझे ठीक लगता है।’

महिला लिया ख़ैरल्लाह ने भी कहा है कि इस निवेदन पर उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई थी।

उन्होंने कहा कि यह बात उन्होंने बहुत ‘विनम्रता और पिता जैसे तरीके’ से कही थी और उन्होंने सोचा कि ‘विद्रोही नेता का ये अधिकार है कि वो किस तरह पेश’ आना चाहते हैं।

हालांकि इस घटना ने दिखाया है कि सीरिया जैसे धार्मिक विविधता वाले देश को एकजुट करने में सीरिया के भविष्य के नेता के साथ क्या कुछ दिक्कतें आ सकती हैं।

सीरिया में सुन्नी बहुल आबादी है, जबकि बाक़ी आबादी ईसाई, अलावाइत, द्रूज और इस्माइलियों की है।

इसके अलावा असद का विरोध करने वाले विभिन्न राजनीतिक और हथियारबंद ग्रुपों में भी कई तरह के विचार हैं। इनमें से कुछ सेक्युलर लोकतंत्र चाहते हैं, जबकि कुछ धड़े इस्लामिक कानून का शासन चाहते हैं।

2017 में विद्रोहियों के गढ़ इदलिब पर कब्जा किया था तो शुरू में सार्वजनिक व्यवहार और ड्रेस कोड के कड़े नियम लागू किए थे। हालांकि लोगों की आलोचना के बाद हाल के सालों में उन्होंने ये नियम वापस ले लिए।

इस्लाम की पवित्र किताब क़ुरान में कहा गया है कि पुरुषों और महिलाओं को शालीन कपड़े पहनने चाहिए।

पुरुष शालीनता की व्याख्या नाभि से घुटने तक के ढंकने के रूप में की गई है जबकि महिलाओं के लिए आमतौर पर ग़ैर रिश्तेदार पुरुषों की मौजूदगी में चेहरा छोडक़र हाथ पैर और सबकुछ ढंकने के रूप में देखा जाता है।

सीरिया में विद्रोही संभाल रहे क़ानून व्यवस्था

उदारवादी क्यों कर रहे आलोचना

लिया ख़ैरल्लाह 10 दिसम्बर को दमिश्क के मेज़्ज़ेह इलाक़े में गई थीं और वहां उन्होंने शरा, जिन्हें पहले अबू मोहम्मद अल-जुलानी के नाम से जाना जाता था, के साथ फ़ोटो खिंचाने का आग्रह किया था।

सहमत होने से पहले शरा ने उन्हें सिर ढंकने के लिए कहा और लिया ख़ैरल्लाह ने ऐसा ही किया, अपनी शर्ट के हुड से सिर ढंका और फिर फ़ोटो खिंचवाई।

सोशल मीडिया पर इसके कई वीडियो क्लिप और तस्वीरें साझा की गईं, जिसके बाद आम यूज़र्स और मीडिया टिप्पणीकारों में इसे लेकर काफ़ी ग़ुस्सा देखा गया।

उदारवादी या ग़ैर रुढि़वादी विचारों वाले लोगों ने इसे एचटीएस के नेतृत्व में सीरिया के संभावित भविष्य की एक परेशान करने वाली झलक के रूप में देखा और उन्हें इस बात का डर भी सता रहा है कि कहीं सभी महिलाओं को हिजाब पहनने को अनिवार्य बनाने वाली रूढि़वादी नीतियों की तरफ़ तो यह क़दम नहीं है।

फ्ऱांस 24 के अरबी चैनल ने इस घटना पर चर्चा की और शीर्षक लगाया कि 'क्या सीरिया इस्लामिक क़ानून की ओर जा रहा है?'

बाकी लोगों ने तो और तीखे सवाल किए। एक सीरियाई पत्रकार ने कहा, ‘हमने एक तानाशाह को प्रतिक्रियावादी तानाशाह से बदल दिया है।’

सोशल मीडिया पर तमाम यूज़र्स ने सत्ता पर ‘कट्टर चरमपंथियों’ के क़ब्ज़े की चेतावनी दी, जबकि अन्य लोगों ने एक स्वतंत्र महिला को रुढि़वादी तरीक़े अपनाने को मजबूर करने की निंदा की।

कट्टरपंथियों को क्यों लगा बुरा

उधर, इस्लामी कट्टरपंथियों ने टेलीग्राम पर आलोचना की कि शरा ने क्यों एक युवा महिला के साथ वीडियो बनवाने और फ़ोटो खिंचाने पर राजी हुए।

कुछ लोगों ने खैऱल्लाह को ‘मुताबारिजाह’ कहा जो कि ग़ैर शालीन महिला या मेकअप लगाने वाली महिला के लिए एक नकारात्मक शब्द है।

इन कट्टरपंथियों में मौलवी से लेकर प्रभावशाली टिप्पणीकार हैं, जिनके विचार आमतौर पर सीरिया के रुढि़वादी समुदायों में बहुत पढ़े और साझा किए जाते हैं और जिनकी पहुंच एचटीएस समर्थकों और यहां तक कि इस ग्रुप के अधिकारियों तक है।

ऐसा लगता है कि इनमें अधिकांश सीरिया से हैं और मुख्य रूप से एचटीएस के पूर्व गढ़ इदलिब से हैं, इनमें से कुछ तो पहले एचटीएस के पदाधिकारी के रूप में भी रहे हैं।

इनका कहना था कि गैर रिश्तेदार महिलाओं और पुरुषों के बीच करीबी संपर्क धार्मिक रूप से अस्वीकार्य है और उन्होंने शरा पर बेवजह ‘जनता का ध्यान आकर्षित’ करने और सख़्त मजहबी शिक्षाओं में ‘दखल’ देने का आरोप लगाया।

मिन इदलिब (इदलिब से) नामक एक टेलीग्राम चैनल में किए गए पोस्ट में कहा गया है कि इदलिब में एचटीएस जेलों से क़ैदियों की रिहाई की मांग पर कार्रवाई करने की बजाय, एचटीएस नेता ‘युवा महिलाओं के साथ सेल्फ़ी’ लेने में बहुत व्यस्त हैं।

इस तस्वीर के ख़िलाफ़ विचार ज़ाहिर करने वाले अधिकांश रूढि़वादी शख़्सियतों ने अतीत में भी राजनीतिक और धार्मिक कारणों से शरा की आलोचना की है और इनमें ऐसे मौलवी भी शामिल हैं जिन्होंने एचटीएस छोड़ दिया है।

(bbc.com/hindi)


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