विचार / लेख

अम्बेडकर विवाद और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
20-Dec-2024 3:40 PM
अम्बेडकर विवाद और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

-डॉ. आर.के. पालीवाल

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर हमारे देश की वर्तमान राजनीति के लिए एक ऐसा तुरुप का इक्का बन गया है जिसे अपने अपने दल के ताश की गड्डी में जोडऩे के लिए अमूमन हर दल लालायित है। संसद में डॉ अम्बेडकर को लेकर जिस तरह की तीखी नोंकझोंक हाल ही में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच हुई है वह इसी जद्दोजहद का नतीजा है जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। गृह मंत्री अमित शाह ने अपने तथाकथित विवादित बयान में एक बात तो सच कही है कि अंबेडकर का नाम राजनीतिक दलों ने फैशन की तरह इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।

समस्या यह है कि वोट बटोरने के लिए अम्बेडकर के नाम का दुरुपयोग हाथी के दिखावटी दांत की तरह लगभग सभी दल एक दूसरे से ज्यादा करना चाहते हैं। अमित शाह के बचाव में उतरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस विवाद को कांग्रेस की तरफ घुमाते हुए अम्बेडकर को कमतर दिखाने का सारा दोष कांग्रेस और प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के सिर मढ़ दिया। यह भी आजकल का फैशन है कि कोई सत्ता पक्ष की जरा सी आलोचना करे तो सत्ता पक्ष अपनी गलती स्वीकार कर उसे सुधारने की बजाय विपक्ष की कब्र से गड़े मुर्दे उखाडऩे लगता है। लेकिन जब कब्रगाह खोदे जाते हैं तो उसमें अपनों के गुनाहों के भूत भी सामने आते हैं। भाजपा यह भूल जाती है कि उनकी मातृ संस्थाएं हिंदू महासभा, आर एस एस और जनसंघ अम्बेडकर के हिंदू कोड बिल का किस हद तक विरोध करते थे। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और नेता विपक्ष राहुल गांधी का भी यह दायित्व बनता है कि वे भी सच्चाई का सामना दृढ़ता से करें और इतिहास को सही तरह से पेश कर बताएं कि अम्बेडकर से तत्कालीन कांग्रेस के किन नेताओं से किस तरह के संबंध थे।

आज जो लोग अम्बेडकर के नाम की माला जप रहे हैं और उनकी विचारधारा को आगे बढ़ाने का श्रेय लेने के लिए एक दूसरे पर कीचड उछाल रहे हैं वे बहुत सारे तथ्य आम जनता से छिपाकर इसलिए झूठ बोल पा रहे हैं क्योंकि आम जनता को भी डॉ अम्बेडकर के जीवन और विचारों के बारे में वही आधी अधूरी जानकारी है जो राजनीतिक दल अपने अपने स्वार्थ के कारण उन्हें परोसते हैं और जो सूचनाएं स्वार्थी तत्वों द्वारा अखबारों और सोशल मीडिया के माध्यम से जनता को परोसी जा रही है।जिन्हें डॉ अम्बेडकर के बारे में पूरी सच्चाई जाननी है उनके लिए डॉ अम्बेडकर के विपुल लेखन और समय समय पर दिए असंख्य भाषणों को पढऩा जरूरी है। सार संक्षेप में कहें तो डॉ अम्बेडकर को जवाहर लाल नेहरू के मंत्रिमंडल में कानून मंत्री बनाने और उनकी प्रतिभा की पहचान कर उन्हें संविधान निर्माण में महती भूमिका निभाने देने में महात्मा गांधी और राजकुमारी अमृत कौर का सबसे ज्यादा योगदान है। उनकी इस योजना में सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्हीं के अनुरोध पर महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने एक सीट खाली कर डा अम्बेडकर को संविधान सभा में जगह दिलाई थी। यदि महात्मा गांधी के अनुरोध को सरदार वल्लभ भाई पटेल और जवाहर लाल नेहरू अनसुना कर देते तो डॉ अम्बेडकर को देश का कानून मंत्री बनने और संविधान निर्माण में ड्राफ्टिंग कमेटी का अध्यक्ष बनने का सौभाग्य ही नहीं मिलता और आजाद देश को उनकी सेवाओं से वंचित रहना पड़ता। जहां तक डॉ अम्बेडकर के मंत्रिमंडल से त्यागपत्र का संबंध है वे हिंदू कोड बिल पास करने के लिए इंतजार नहीं करना चाहते थे और जवाहर लाल नेहरू कट्टर हिंदुत्व के विरोध को शांत करने के लिए थोड़ा समय चाहते थे। अम्बेडकर को लगा कि जवाहर लाल नेहरू हिंदू महासभा और आर एस एस आदि के जबरदस्त विरोध के सामने झुक गए हैं। इसलिए उन्होंने अपनी बात मनती नहीं देख मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया। यह सब घटनाएं विस्तार से मेरी किताब ‘अम्बेडकर जीवन और विचार’ में दर्ज हैं, अधिक जानकारी के लिए अन्य ग्रंथों के साथ यह किताब भी पढ़ी जा सकती है।


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