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धनखड़ के खिलाफ ऐतिहासिक अविश्वास प्रस्ताव, क्या है सभापति हटाने की प्रक्रिया?
11-Dec-2024 4:20 PM
धनखड़ के खिलाफ ऐतिहासिक अविश्वास प्रस्ताव, क्या है सभापति हटाने की प्रक्रिया?

-चंदन कुमार जजवाड़े

विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है।

विपक्ष का आरोप है कि राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ पक्षपातपूर्ण तरीके से सदन की कार्यवाही का संचालन करते हैं।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा है, ‘राज्य सभा के माननीय सभापति के अत्यंत पक्षपातपूर्ण तरीक़े से उच्च सदन की कार्यवाही का संचालन करने के कारण इंडिया ग्रुप के सभी घटक दलों के पास उनके खिलाफ औपचारिक रूप से अविश्वास प्रस्ताव लाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।’

‘इंडिया गठबंधन के दलों के लिए यह बेहद ही कष्टकारी निर्णय रहा है, लेकिन संसदीय लोकतंत्र के हित में यह अभूतपूर्व कदम उठाना पड़ा है। यह प्रस्ताव अभी राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल को सौंपा गया है।’

क्या है मामला?

जयराम रमेश ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में आरोप लगाया है, ‘कल (सोमवार) संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने ख़ुद चेयरमैन साहब के सामने कहा कि जब तक आप लोकसभा में अदानी का मुद्दा उठाएंगे, हम राज्यसभा को चलाने नहीं देंगे और इसमें चेयरमैन साहब भी शामिल हैं, चेयरमैन साहब को इसमें अडिग रहना चाहिए।’

संसद के मौजूदा सत्र की शुरुआत से ही सदन में भारत के जाने माने कारोबारी गौतम अदानी और अन्य कई मुद्दे को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच गतिरोध जारी है। इस सत्र की शुरुआत से ठीक पहले ही गौतम अदानी पर अमेरिका में धोखाधड़ी के आरोप तय किए जाने की खबर आई थी।

उसके बाद से ही कांग्रेस लगातार सरकार पर हमलावर है। कांग्रेस पार्टी पहले भी कई मुद्दों को लेकर अदानी के मसले पर जेपीसी की मांग करती रही है।

जयराम रमेश ने कहा कि राज्यसभा के गठन हुए 72 साल हो गए हैं और पहली बार राज्यसभा के सभापति के खिलाफ प्रस्ताव सौंपा गया है।

बीजेपी सांसद और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है, ‘मैं एक बार फिर से स्पष्ट तौर पर कह रहा हूं कि एक बार जब संसद सुचारू तौर पर चल रही है तो कांग्रेस पार्टी ने किस वजह से ड्रामा शुरू किया? ऐसे मास्क और जैकेट पहनकर आने कि क्या जरूरत है जिसपर स्लोगन लिखे हुए हों...?

रिजिजू ने कहा है, ‘हम यहां देश की सेवा करने के लिए आए हैं, इस तरह का ड्रामा देखने के लिए नहीं आए हैं। जो नोटिस कांग्रेस पार्टी और उसके कुछ सहयोगियों ने दिया है, उसे निश्चित तौर पर नामंज़ूर किया जाना चाहिए और उसे नामंज़ूर किया जाएगा।’

इस बीच भारतीय संविधान में दिए गए प्रावधानों की बात करें तो संविधान में राष्ट्रपति को हटाने के लिए महाभियोग की प्रक्रिया की विस्तार से चर्चा की गई है। उपराष्ट्रपति जो कि राज्यसभा के सभापति भी होते हैं, उन्हें हटाने की प्रकिया और इसका आधार क्या होता है, इसे जानने के लिए बीबीसी ने कुछ संविधान विशेषज्ञों से बात की है।

कैसे शुरू की जा सकती है प्रक्रिया

लोकसभा के पूर्व महासचिव और संविधान के जानकार पीडीटी आचारी के मुताबिक उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए 14 दिन पहले उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया जाना जरूरी है।

उपराष्ट्रपति को पद से हटाने की प्रक्रिया राज्यसभा में ही शुरू की जा सकती है, क्योंकि वो राज्यसभा के सभापति भी होते हैं।

पीडीटी आचारी कहते हैं, ‘इसके लिए अलग से कोई नियम नहीं बनाया गया है। इस मामले में वही नियम लागू होते हैं जो लोकसभा के अध्यक्ष को हटाने के लिए हैं।’

उनका कहना है, ‘अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए राज्यसभा के सभापति के खिलाफ खास (निश्चित) आरोप होने चाहिए और नोटिस के 14 दिनों के बाद ही इस प्रस्ताव को राज्यसभा में लाया जा सकता है। इस प्रस्ताव को राज्यसभा के मौजूदा सदस्यों के सामान्य बहुमत से पारित कराना ज़रूरी होता है। राज्यसभा से पास होने के बाद इस प्रस्ताव को लोकसभा के भी सामान्य बहुमत से पास कराना ज़रूरी होता है।’

विपक्ष को क्या हासिल होगा

यह पहला मौक़ा है जब भारत के किसी उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए राज्यसभा में प्रस्ताव भेजा गया है।

संविधान और क़ानून के जानकार फैजान मुस्तफा कहते हैं कि इस तरह की पहल से विपक्ष को कुछ भी हासिल नहीं होगा, क्योंकि वो इसे पास नहीं करवा पाएंगे।

फैजान मुस्तफा कहते हैं, ‘उपराष्ट्रपति को भी चाहिए कि वो डिबेट होने दें और इसके लिए विपक्ष को भी साथ लेकर चलना चाहिए। उपराष्ट्रपति के खिलाफ इस तरह के प्रस्ताव आना भी सही नहीं है। राज्यसभा के सभापति को हटाने के लिए 14 दिन पहले नोटिस देना जरूरी है, लेकिन संसद का सत्र 20 तारीख को ही खत्म हो रहा है।’

उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग शुरू करने के लिए ‘संविधान का उल्लंघन करना’ आधार होता है, लेकिन उपराष्ट्रपति के लिए ऐसा कुछ नहीं है, उन्हें केवल सदन का भरोसा खो देने पर भी हटाया जा सकता है।’ (bbc.com/hindi)


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