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सीरिया में बशर अल-असद के शासन के अंत के बाद अब आगे क्या हो सकता है?
09-Dec-2024 4:20 PM
सीरिया में बशर अल-असद के शासन के अंत के बाद अब आगे क्या हो सकता है?

- ह्यूगो बाशेगा

एक सप्ताह पहले जब विद्रोहियों ने सीरिया के उत्तर-पश्चिम में इदलिब स्थित अपने ठिकाने से हैरान करने वाला अपना अभियान शुरू किया था, तब तक सीरिया में बशर अल-असद के पतन के बारे में शायद कोई सोच भी नहीं रहा होगा।

बशर अल-असद साल 2000 में अपने पिता हाफिज़़ अल-असद के निधन के बाद सत्ता में आए थे। हाफिज ने 29 साल तक सीरिया पर शासन किया था। उनका शासन भी अपने बेटे असद के शासन की तरह कठोर था।

यानी बशर अल-असद को एक कठोर और दमनकारी सियासत विरासत में मिली थी। हालांकि पहले उम्मीद की जा रही थी कि असद अपने पिता से अलग होंगे। शायद थोड़े ज़्यादा खुले विचारों वाले और थोड़े कम क्रूर। लेकिन ये उम्मीदें ज़्यादा दिनों तक नहीं टिक सकीं।

अल-असद परिवार के शासन का अंत

बशर अल-असद को हमेशा ऐसे शख्स के रूप में याद किया जाएगा जिसने साल 2011 में अपने शासन के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों को क्रूरता से दबाया।

उनके इसी फैसले की वजह से सीरिया में गृहयुद्ध छिड़ गया, जिसमें पाँच लाख से ज़्यादा लोग मारे गए और छह लाख लोग विस्थापित होकर शरणार्थी बन गए।

बशर अल-असद ने रूस और ईरान की मदद से विरोधियों को कुचल दिया और अपना शासन बचाकर रखा। रूस ने सीरिया में ज़बरदस्त हवाई हमले का इस्तेमाल किया।

जबकि ईरान ने सीरिया में अपने सैन्य सलाहकार भेजे और पड़ोसी लेबनान में उसके समर्थन वाले हथियारबंद गुट हिज़्बुल्लाह ने अपने प्रशिक्षित लड़ाकों को सीरिया में लडऩे के लिए भेजा था।

हालांकि इस बार ऐसा नहीं हुआ। अपने मसलों में व्यस्त सीरिया के सहयोगियों ने उसे लगभग छोड़ दिया।

इस मदद के बिना सीरियाई सैनिक इस्लामी चरमपंथी समूह हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) के नेतृत्व वाले विद्रोहियों को रोकने में असमर्थ थे और जाहिर तौर पर कुछ जगहों पर एचटीएस को रोकने की उनकी इच्छा भी नहीं थी। सबसे पहले पिछले हफ्ते विद्रोहियों ने लगभग बिना किसी विरोध के देश के दूसरे सबसे बड़े शहर अलेप्पो पर कब्जा कर लिया। फिर हमा और कुछ दिनों बाद होम्स के मुख्य केंद्र पर कब्जा कर लिया।

विद्रोहियों की इस कामयाबी से सीरिया की राजधानी दमिश्क अलग-थलग पड़ गई और कुछ ही घंटों में वे राजधानी में घुस गए। दमिश्क ही असद की सत्ता का केंद्र है।

अब सीरिया में असद परिवार के पांच दशक के शासन का अंत इस इलाके में शक्ति संतुलन को नया स्वरूप दे सकता है।

तुर्की का इंकार

सीरिया की घटना के बाद ईरान फिर से अपने प्रभाव पर एक बड़ा झटका महसूस कर रहा है। बशर अल-असद के शासन में सीरिया ईरानियों और हिज़्बुल्लाह के बीच संबंध का एक हिस्सा था। यह हथियार और गोला-बारूद के मुहैया कराने के लिहाज़ से काफ़ी अहम था।

इसराइल के साथ जंग के बाद हिज़्बुल्लाह ख़ुद ही काफी कमजोर हो चुका है और इसका अपना भविष्य ही अनिश्चित नजर आता है।

ईरान समर्थित एक अन्य गुट ‘हूती’ भी यमन में हवाई हमलों के निशाने पर रहा है। इन गुटों के अलावा, इराक में सक्रिय हथियारबंद गुट और गजा में हमास जैसे गुटों को ईरान ‘एक्सिस ऑफ रेसिस्टेंस’ कहता है, उन्हें काफी गंभीर नुकसान पहुंचाया जा चुका है।

इस नए हालात का इसराइल में जश्न मनाया जाएगा, जो ईरान को अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानता है।

कई लोगों का मानना है कि सीरिया में ताजा हमला तुर्की के आशीर्वाद के बिना संभव नहीं था। हालांकि सीरिया के कुछ विद्रोही गुटों का समर्थन करने वाले तुर्की ने एचटीएस को किसी भी समर्थन से इंकार किया है।

कुछ समय से तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने बशर अल-असद पर दबाव डाला था कि वो संघर्ष का कूटनीतिक समाधान तलाशने के लिए बातचीत में शामिल हों, जिससे सीरियाई शरणार्थियों की वापसी हो सके। लेकिन असद ने ऐसा करने से इंकार कर दिया था।

इन शरणार्थियों में से कम से कम तीस लाख शरणार्थी तुर्की में हैं और यह स्थानीय स्तर पर एक संवेदनशील मुद्दा है।

ज्यादा हिंसा की आशंका

बहुत से लोग सीरिया में बशर अल-असद के शासन का अंत देखकर खुश भी हैं।

लेकिन आगे क्या होगा? ‘एचटीएस’ की जड़ें अल-क़ायदा से जुड़ी हैं और उनका अतीत काफ़ी हिंसक रहा है।

हालांकि यह गुट पिछले कुछ साल से ख़ुद को एक राष्ट्रवादी ताकत के रूप में फिर से स्थापित करने की कोशिश कर रहा है। उनके हालिया संदेशों में भी कूटनीतिक और मेल-मिलाप वाली भाषा भी नजर आती है।

लेकिन कई लोग इससे सहमत नहीं हैं और ऐसे लोग उस बात को लेकर चिंतिंत हैं, जिसे शायद सीरियाई शासन को गिराने के बाद अंजाम देने की योजना बन रही होगी।

ठीक इसी समय सीरिया में नाटकीय सत्ता परिवर्तन से शासन के शीर्ष पर एक खालीपन आ सकता है, जिसकी वजह से अराजकता और इससे कही ज्यादा हिंसा शुरू हो सकती है।

(bbc.com/hindi)


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