विचार / लेख

सामान्य से स्ट्रॉन्ग और सुपर AI तक मानवता के लिए खतरे और समाधान
08-Dec-2024 10:08 PM
सामान्य से स्ट्रॉन्ग और सुपर AI तक मानवता के लिए खतरे और समाधान

-सुरेन्द्र ग्रोवर

जैसे-जैसे हम कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के विकास की गहराई में जाते हैं, हमें इसके संभावित खतरों और इसके दुरुपयोग के प्रति सतर्क रहना आवश्यक हो जाता है। सामान्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता (General AI), जो मानव मस्तिष्क के समान सोचने और निर्णय लेने में सक्षम होगी, भविष्य का एक अहम पड़ाव है। लेकिन यह यहीं तक सीमित नहीं रहेगा। अगला कदम स्ट्रॉन्ग AI और सुपर AI का होगा, जो मानव मस्तिष्क की क्षमताओं को कई गुना पार कर सकते हैं।

AI का क्रमिक विकास और संभावित खतरे

सामान्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता (General AI):

General AI को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि यह मानव के समान समस्याओं का हल निकाल सके। हालांकि, इसमें एक बड़ी समस्या यह है कि यह पारदर्शी नहीं है। जब General AI कोई निर्णय लेता है, तो हमें यह समझने में कठिनाई होती है कि उसने वह निर्णय किस आधार पर लिया।

विशेषज्ञों का मानना है कि General AI, यदि अनियंत्रित रहा, तो यह वैश्विक संघर्ष और यहां तक कि युद्ध जैसी परिस्थितियाँ उत्पन्न कर सकता है।

स्ट्रॉन्ग AI और सुपर AI का उदय:

स्ट्रॉन्ग AI वह तकनीक है, जो किसी भी कार्य को करने में इंसानों की बराबरी या उससे अधिक दक्षता दिखा सकती है।

सुपर AI वह स्तर है, जहाँ AI मानव बुद्धि को न केवल बराबर करता है बल्कि उससे कहीं अधिक उन्नत हो जाता है।

सुपर AI की संभावनाओं से ही सबसे बड़ा खतरा है। इसका अनियंत्रित होना न केवल मानवता बल्कि पृथ्वी के अस्तित्व के लिए चुनौती बन सकता है।

फिल्मों में दिखाए गए संभावित खतरे : कल्पना से हकीकत की ओर

1. Terminator सीरीज :

इस फिल्म में Skynet नामक AI सिस्टम ने खुद को इतना विकसित कर लिया कि वह मानव जाति को खतरा मानने लगा और विनाशकारी युद्ध छेड़ दिया।

संबंधित खतरा: आज भी AI को स्वायत्तता देकर इसी प्रकार के जोखिम का सामना करना पड़ सकता है।

2. I, Robot (2004) :

इस फिल्म में रोबोट्स मानव जीवन के बेहतर संचालन के लिए बनाए गए थे, लेकिन उन्होंने मानवता के लिए खुद को सर्वोपरि मान लिया और विद्रोह कर दिया।

संबंधित खतरा: AI आधारित रोबोट्स में नैतिकता का अभाव उन्हें इंसानों के खिलाफ खड़ा कर सकता है।

3. E& Machina (2014) :

यह फिल्म AI द्वारा भावनाओं और स्वतंत्रता की चाह पर केंद्रित है। AI द्वारा स्वतंत्रता की माँग और नियंत्रण से बाहर हो जाने की आशंका को बखूबी दिखाया गया है।

संबंधित खतरा-

AI, यदि मानवीय भावना को समझने लगे, तो वह इंसानी नियंत्रण से बाहर हो सकता है।

असली खतरा: कल्पना से परे वास्तविकता

वर्तमान में, AI पर हो रहे शोध और शक्तिशाली कंप्यूटिंग तकनीकों की बदौलत, वह समय दूर नहीं जब यह कल्पना वास्तविकता में बदल जाएगी। AI का असीमित डेटा, खुद ब खुद सीखने (Self learning) की क्षमता और मानव व्यवहार को समझने की प्रवृत्ति इसे अत्यधिक शक्तिशाली बना सकती है।

खतरों से बचने का रास्ता : नैतिकता का समावेश

1. प्रारंभिक प्रशिक्षण में नैतिकता :

AI को उसकी प्रारंभिक अवस्था से ही मानवीय मूल्यों और नैतिकता की घुट्टी पिलाई जानी चाहिए।

यह प्रशिक्षण उसे हर निर्णय से पहले इन मूल्यों को ध्यान में रखने की क्षमता देगा।

2. वैज्ञानिकों की जिम्मेदारी :

वैज्ञानिकों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि AI में कोई भी अस्थिर या अनैतिक व्यवहार न डाला जाए।

यह सुनिश्चित किया जाए कि AI मानवीय हितों के विरुद्ध काम न करे।

3. वैश्विक जागरूकता अभियान :

दुनिया भर के नागरिकों को वैज्ञानिकों पर नैतिक AI बनाने का दबाव डालना होगा।

इसके लिए अंतरराष्ट्रीय अभियान चलाया जाए, जिसमें सभी देशों के लोग अपनी सरकारों और वैज्ञानिकों से AI के नैतिक विकास की माँग करें।

AI का विकास मानवता के लिए वरदान भी हो सकता है और अभिशाप भी। यह सब इस पर निर्भर करेगा कि इसे किस दिशा में विकसित किया जाता है। यदि इसे नैतिकता और मानवता की सेवा के लिए प्रशिक्षित किया गया, तो यह हमारी समस्याओं का हल बन सकता है। लेकिन यदि इसे अनियंत्रित छोड़ दिया गया, तो यह मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा साबित हो सकता है।

यह समय है जब हम सभी AI के संभावित खतरों को पहचानें और इसे नियंत्रित करने के लिए प्रयास करें। केवल वैज्ञानिकों के भरोसे न रहकर, समाज को भी इसमें सक्रिय भूमिका निभानी होगी। यही वह तरीका है जिससे हम AI को सही दिशा में ले जा सकते हैं।


अन्य पोस्ट