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मणिपुर फिर हिंसा की चपेट में, दोबारा क्यों सुलग रहा है पूर्वोत्तर का यह राज्य
18-Nov-2024 2:37 PM
मणिपुर फिर हिंसा की चपेट में, दोबारा  क्यों सुलग रहा है पूर्वोत्तर का यह राज्य

- चंदन कुमार जजवाड़े

भारत का उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर एक बार फिर हिंसा की चपेट में है। शनिवार को हुई इस हिंसा में इम्फाल घाटी में कई विधायकों और मंत्रियों के घरों पर भी हमला किया गया और कई वाहनों में आग लगा दी गई।

मणिपुर पुलिस ने सोशल मीडिया एक्स पर बताया है, ‘इम्फाल में गुस्साई भीड़ ने राज्य के मंत्रियों और विधायकों समेत कई जन प्रतिनिधियों के घरों और संपत्ति को निशाना बनाया है। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे।’

पुलिस की इस कार्रवाई में आठ लोगों को चोटें आई हैं। स्थानीय प्रशासन ने हालात को देखते हुए राजधानी इम्फाल समेत कई इलाकों में कफ्र्यू लगा दिया है। इसके अलावा कई जगहों पर इंटरनेट सेवा भी बंद कर दी गई है।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक शनिवार को मणिपुर सरकार ने केंद्र सरकार से राज्य के छह पुलिस थाना क्षेत्रों से एएफएसपीए (आम्र्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट या आफस्पा) हटाने का आग्रह किया है।

आम्र्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट एक विशेष कानून है जिसके तहत अशांत क्षेत्रों में सार्वजनिक व्यवस्था बनाये रखने के लिए सशस्त्र बलों को ख़ास शक्तियां दी गई हैं। इस क़ानून का इस्तेमाल करके सशस्त्र बल किसी भी इलाक़े में पांच या पांच से अधिक लोगों के इक_ा होने पर रोक लगा सकते हैं।

अगर सशस्त्र बलों को लगे की कोई व्यक्ति कानून तोड़ रहा है तो उसे उचित चेतावनी देने के बाद बल का प्रयोग किया जा सकता है और उस पर गोली भी चलाई जा सकती है। आफस्पा सशस्त्र बलों को उचित संदेह होने पर बिना वारंट किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने और किसी भी परिसर में प्रवेश कर तलाशी लेने का अधिकार देता है।

मंत्रियों, विधायकों के घर पर हमला

मणिपुर विधानसभा में नेशनल पीपल्स पार्टी के विधायक शेख नूरुल हसन ने बीबीसी से कहा, ‘करीब सौ-डेढ़ सौ लोगों की भीड़ शाम कऱीब चार बजे मेरे घर पर आई थी। मैं अभी दिल्ली आया हुआ हूं, इसलिए मैंने फोन पर ही भीड़ में आए कुछ लोगों से बात की।’

‘उन लोगों का कहना था कि मौजूदा विधायक-मंत्री मणिपुर की स्थिति को संभाल नहीं पा रहे हैं, इसलिए लोग उनसे इस्तीफा देने की मांग कर रहे थे। मैंने उन लोगों की सभी मांगें मान लीं। लिहाजा वो मेरे घर पर हमला किए बिना वापस लौट गए। मैंने उन लोगों से कहा है कि जो जनता कहेगी, मैं वैसा करने को तैयार हूं।’

उधर, निर्दलीय विधायक सपाम निशिकांत सिंह के घर पर लोगों के एक समूह ने हमला किया और उनके मकान के गेट के सामने बनी सुरक्षा चौकी को नष्ट कर दिया।

इसी भीड़ ने इंफ़ाल वेस्ट जिले के सागोलबंद क्षेत्र से विधायक आरके इमो के घर पर भी धावा बोला और वहां फर्नीचर समेत कई चीजों को जला दिया।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक रविवार सुबह राजधानी इम्फाल में लागू कफ्र्यू का असर देखने को मिला। यहाँ सडक़ें पूरी तरह वीरान हैं।

मणिपुर राज्य की इम्फाल घाटी में मैतेई समुदाय की बहुलता है।

राजधानी इम्फाल में शहरी इलाके में सुरक्षा के मद्देनजर सेना और असम राइफल्स को तैनात कर दिया गया है।

शनिवार को हुई हिंसा के बाद पुलिस ने 23 लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने कुछ हथियार भी बरामद किए हैं।

मणिपुर पुलिस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बताया है कि इम्फाल शहर में अगले आदेश तक के लिए कफ्र्यू लगा दिया गया है और दो दिनों के लिए इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गई हैं।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक मणिपुर में हिंसा होने के बाद पड़ोसी राज्य मिजोरम में भी लोगों से खास सावधानी बरतने को कहा गया है ताकि किसी भी तरह की सांप्रदायिक हिंसा को भडक़ने से रोका जा सके।

बीते दिनोंं ऐसा क्या हुआ, जिससे भडक़ उठी हिंसा?

राज्य के रीबाम में 7 नवंबर को हथियारबंद चरमपंथियों ने कुकी कबीले की एक महिला को गोली मारने के बाद उनको कथित तौर पर मकान समेत जला दिया था। इस घटना के बाद से जिरीबाम में लगातार हिंसा हो रही है।

बीते 11 नवंबर को जिरीबाम जि़ले में चरमपंथियों के साथ सीआरपीएफ़ की एक कथित मुठभेड़ हुई थी। सोशल मीडिया एक्स पर मणिपुर पुलिस ने बताया ‘हथियारबंद चरमपंथियों ने जिरीबाम जिले के जकुराडोर इलाके में स्थित सीआरपीएफ के एक पोस्ट पर हमला कर दिया। जिसके बाद बचाव में सुरक्षाबलों ने तुरंत जवाबी कार्रवाई की।’

40 मिनट तक चली इस मुठभेड़ के तुरंत बाद पुलिस ने 10 हथियारबंद चरमपंथियों के शव बरामद करने की पुष्टि की थी। मुठभेड़ में मारे गए सभी लोग आदिवासी युवक थे।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ घटना के बाद जिरीबाम जि़ले में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए अनिश्चितकाल के लिए कफ्र्यू लगा दिया गया।

इस मुठभेड़ के बाद बोराबेकरा थाने के पास मौजूद एक राहत शिविर से मैतेई समुदाय के एक ही परिवार के छह सदस्य लापता हो गए थे।

इनमें तीन बच्चे भी शामिल थे और मैतेई लोगों का आरोप था कि हथियारबंद चरमपंथियों ने इन लोगों का अपहरण किया है।

लोगों में इस घटना को लेकर भारी आक्रोश दिख रहा था और इम्फाल में जगह-जगह महिलाएं विरोध प्रदर्शन कर रही थीं।

इस बीच पांच दिन बाद यानी शुक्रवार को जिरीमुक गांव के पास राहत शिविर से कऱीब 20 किलोमीटर दूर नदी में तीन शव मिले थे, जिनमें एक महिला और दो बच्चों के शव थे। इसी के बाद इम्फाल में ताजा हिंसा देखने को मिली है।

शव मिलने के बाद पुलिस ने कहा कि जब तक शवों का पोस्टमार्टम नहीं हो जाता तब तक इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता कि ये लापता लोगों के ही शव हैं या नहीं।

हालाँकि स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि ये शव लापता लोगों के ही हैं।

मणिपुर की घटना पर किसने क्या कहा?

इस बीच मणिपुर की ताज़ा घटना पर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने एक्स पर एक पोस्ट किया।

उन्होंने लिखा, ‘हाल ही में मणिपुर में हुई हिंसक झड़पों और लगातार हो रहे खून-खऱाबे ने गहरी चिंताएं पैदा कर दी हैं। एक साल से अधिक समय तक विभाजन और पीड़ा के बाद, हर भारतीय की यह आशा थी कि केंद्र और राज्य सरकारें सुलह के लिए हर संभव प्रयास करेंगी और कोई समाधान निकालेंगी।’

राहुल गांधी ने कहा, ‘मैं प्रधानमंत्री से एक बार फिर मणिपुर आने और क्षेत्र में शांति और सुधार की दिशा में काम करने का आग्रह करता हूं।’

राष्ट्रीय जनता दल ने भी मणिपुर की घटना पर बयान दिया है।

आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा है, ‘मणिपुर सुलग रहा है और ऐसा लग रहा है कि वहाँ हो रही घटना की प्रधानमंत्री को कोई परवाह नहीं है। पीएम मोदी मणिपुर के अलावा हर मुद्दे पर बात करते हैं।’

मणिपुर में मैतेई समुदाय के प्रमुख संगठन कोऑर्डिनेटिंग कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी ने राज्य सरकार के समक्ष अगले 24 घंटों के भीतर कुकी चरमपंथी संगठनों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की मांग रखी है।

 इस संगठन ने रविवार से इम्फाल घाटी में व्यापक आंदोलन शुरू करने का ऐलान किया है।

राज्य में पैदा हुए मौजूदा हालात को देखते हुए प्रशासन ने इम्फाल वेस्ट, इम्फाल ईस्ट, बिष्णुपुर, थौबल, काकचिंग, कांगपोकपी और चूराचांदपुर जिलों में दो दिनों के लिए इंटरनेट बंद कर दिया है।

भारत सरकार के प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो यानि पीआईबी की प्रेस रिलीज़ के मुताबिक, गृह मंत्रालय ने सुरक्षा बलों को मणिपुर में शांति व्यवस्था बहाल करने के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।

इसमें ये भी कहा गया है कि पिछले कुछ दिनों से मणिपुर में हिंसा तेज हो गई है। संघर्ष में दोनों समुदायों के सशस्त्र उपद्रवी हिंसा में लिप्त रहे हैं, जिससे दुर्भाग्य से लोगों की जान चली गई और सार्वजनिक व्यवस्था में बाधा उत्पन्न हुई।

प्रेस रिलीज के मुताबिक प्रभावी जांच के लिए महत्वपूर्ण मामले एनआईए को सौंप दिए गए हैं और आम जन से शांति बनाए रखने, अफवाहों पर विश्वास न करने और सुरक्षा बलों का सहयोग करने की अपील की गई है।

मणिपुर क्यों है हिंसा की चपेट में?

जिरीबाम में मारे गए कथित चरमपंथियों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए असम लाया गया था और इन शवों को अपने साथ ले जाने के लिए वहाँ बड़ी संख्या में लोग इक_ा हो गए।

असम के कछार जिले के पुलिस अधीक्षक नुमल महता के मुताबिक, ‘जिरीबाम पुलिस 12 शवों को पोस्टमार्टम के लिए सिलचर मेडिकल कॉलेज लेकर आई थी, जैसा कि हम जानते हैं मणिपुर में पुलिस के साथ मुठभेड़ में 12 लोग मारे गए थे। उसके बाद पाँच दिन से यहाँ पोस्टमार्टम चल रहा था और काफी कूकी लोग यहाँ इक_ा हुए थे।’

‘उन लोगों ने पहले गड़बड़ करने की कोशिश की, कुछ लोगों ने यहां पथराव भी किया। यहाँ मणिपुर पुलिस भी मौजूद थी। ये पड़ोसी राज्य का मामला है और इसकी वजह से हम असम में कानून व्यवस्था की समस्या नहीं होने देंगे। हम इसके ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करेंगे। आज (16 नवंबर को) उनके शव को प्लेन से चूराचांदपुर भेजा गया।’

पिछले साल मई महीने की शुरुआत से ही मणिपुर के मैतेई और कुकी समुदाय के बीच हिंसा का दौर शुरू हुआ था।

राज्य के प्रभावशाली मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की माँग को इस हिंसा की मुख्य वजह माना जाता है।

इसका विरोध मणिपुर के पहाड़ी इलाकों में रहने वाली जनजातियों के लोगों ने किया, जिनमें मुख्यत: कूकी जनजाति के लोग हैं।

इस हिंसा में कई लोगों की जान जा चुकी है और बड़ी संख्या में लोगों को राहत शिविरों में शरण भी लेनी पड़ी। हिंसा की वजह से राज्य में सार्वजनिक और निजी संपत्ति का भी बड़ा नुकसान हुआ है।

मणिपुर में रहने वाले देशभर के कई राज्यों के छात्रों की पढ़ाई पर इसका असर पड़ा और हिंसा के बाद सैंकड़ों की संख्या में छात्रों को मणिपुर छोडक़र आना पड़ा था। (bbc.com/hindi)


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