विचार / लेख
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पूर्व विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो और संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत रहीं निकी हेली को अपनी नई सरकार में शामिल नहीं करने की घोषणा की है।
निकी हेली के माता-पिता अजित सिंह रंधावा और राज कौर रंधावा भारतीय मूल के थे। निकी हेली के माता-पिता अमृतसर के थे।
निकी हेली खुलकर भारत का समर्थन करती रही हैं। वहीं माइक पॉम्पियो भी चीन के ख़िलाफ़ मुखर होकर बोलते रहे हैं। लेकिन ट्रंप ने दोनों को अपनी सरकार में नहीं रखने का फैसला किया है।
डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी पिछली सरकार के दौरान भी सोशल मीडिया पर पोस्ट के जरिए कुछ अहम घोषाणाएं की थीं।
ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ‘ट्रूथ’ पर लिखा है, मैं पूर्व राजदूत निकी हेली या पूर्व विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो को अगली सरकार में शामलि होने के लिए आमंत्रित नहीं करूंगा।
ट्रंप का कहना है , ‘मुझे पहले उनके साथ काम करने का मौक़ा मिला है और मैंने उनके कामकाज़ की प्रशंसा की है। देश की सेवा के लिए मैं उनका शुक्रिया अदा करता हूँ।’
निकी हेली ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर डोनाल्ड ट्रंप को जवाब देते हुए लिखा है, ‘मुझे राष्ट्रपति ट्रंप के साथ संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका का पक्ष रखने पर गर्व है। मैं उन्हें और उनके साथ काम करने वाले सभी लोगों को अगले चार साल में अमेरिका को एक मजबूत और सुरक्षित देश बनाने में सफलता की कामना करती हूँ।’
भारत के समर्थन में निकी हेली
ने क्या कहा था?
डोनल्ड ट्रंप ने निकी हेली को संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत बनाया था।
निकी हेली ने अक्टूबर 2021 में अमेरिकी पत्रिका ‘फॉरन पॉलिसी’ में रिपब्लिकन सांसद माइक वॉल्ट्ज़ के साथ एक लेख लिखा था। इस लेख में निकी हेली ने कहा था कि चीन मध्य और दक्षिण एशिया में और पाँव पसारे, उससे पहले भारत-अमेरिका को साथ मिलकर उसे रोक देना चाहिए।
इस लेख में निकी हेली ने कहा था, ‘अफग़़ानिस्तान से विनाशकारी वापसी के बाद हमने देखा कि ब्रिटिश संसद में वहाँ के मंत्रियों ने बाइडन की खुलकर आलोचना की। फ्रांस ने असाधारण कदम उठाते हुए अपने राजदूतों को बुला लिया। हमने रूस के नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन निर्माण के मामले में जर्मनी के सामने घुटने टेक अपने पूर्वी यूरोपीय सहयोगियों को अलग कर दिया।’
हेली ने कहा था, ‘अपने दोस्तों को अपमानित करने और दुश्मनों को नजरअंदाज करने के बजाय अमेरिका को उन रिश्तों को प्राथमिकता देनी चाहिए, जिनसे दुनिया भर में हमारी स्थिति मजबूत हो।’
निकी हेली कहती हैं, ‘इसकी शुरुआत भारत से होनी चाहिए। अब समय आ गया है कि हम एक गठबंधन बनाया जाए। 10 लाख सैनिक, परमाणु शक्ति संपन्न, नौ सेना की बढ़ती ताकत, अंतरिक्ष कार्यक्रम में अव्वल और अमेरिका के साथ आर्थिक और सैन्य संबंधों के आजमाए हुए अतीत के साथ भारत एक मजबूत सहयोगी बन सकता है। भारत के साथ सहयोग से दोनों देशों को वैश्विक ताक़त बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा जापान और ऑस्ट्रेलिया को साथ लाकर अमेरिका अफगानिस्तान में आतंकी खतरा और चीन का काउंटर कर सकता है।’
न्यूयॉर्क टाइम्स अखबार के मुताबिक यह नव निर्वाचित राष्ट्रपति के फ़ैसले लेने की प्रक्रिया का एक शुरुआती संकेत है क्योंकि वो रिपब्लिकन पार्टी के अंदर वैचारिक मतभेदों को दूर कर रहे हैं।
उपराष्ट्रपति कमला हैरिस पर अपनी चुनावी जीत के कुछ ही दिन बाद डोनाल्ड ट्रंप की टीम ने बदलाव के लिए अपनी पहली औपचारिक बैठकें शुरू कर दी हैं और नया मंत्रिमंडल बनाने की प्रक्रिया तेज कर दी है।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़ आने वाली 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की दोबारा शपथ लेने से पहले ट्रंप अपने प्रशासन में काम करने वाले संभावित उम्मीदवारों से मिल रहे हैं।
ट्रंप ने क्या बताया है?
शुक्रवार को ट्रंप ने अमेरिका के बड़े निवेशक स्कॉट बेसेंट से मुलाक़ात की है, जिन्हें अमेरिका का संभावित ट्ऱेजरी सेक्रेटरी माना जा रहा है।
माइक पॉम्पियो और निकी हेली को ट्रंप के नए प्रशासन में जगह नहीं मिलना काफ़ी चर्चा में है। माइक पॉम्पियो जो ट्रंप प्रशासन में पिछली बार खुफिया एजेंसी सीआईए के निदेशक के तौर पर भी काम कर चुके हैं। उन्हें कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में संभावित रक्षा मंत्री बताया जा रहा था।
उन्हें रिपब्लिकन पार्टी में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर भी देखा गया था। हालाँकि अप्रैल 2023 में ही उन्होंने घोषणा की थी कि वो चुनाव नहीं लड़ेंगे।
रॉयटर्स ने लिखा है कि इस मुद्दे पर माइक पॉम्पियो की प्रतिक्रिया जानने के लिए फि़लहाल उनसे संपर्क नहीं हो सका है। जबकि निकी हेली अमेरिकी राज्य साउथ कैरोलाइना की पूर्व गवर्नर हैं और वो संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत के तौर पर काम कर चुकी हैं।
ट्रंप ने ‘मूर्खतापूर्ण विचारों वाली’ कहा था
हेली ने साल 2024 के राष्ट्रपति चुनावों के लिए रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से ख़ुद की उम्मीदवारी की दावेदारी शुरू की थी। जब वो मार्च में इस दौड़ से बाहर हो गईं, तब तक ट्रंप को चुनौती देने वाली वो आखिरी दावेदार थीं।
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक़ हेली ने अक्बूतर में मैडिसन स्क्वायर गार्डन में आयोजित ट्रंप की रैली में भाषण देने वालों की नस्लवादी और महिला विरोधी टिप्पणियों का हवाला देते हुए कहा था कि ट्रंप के अभियान की बयानबाजी महिलाओं और अल्पसंख्यकों को दूर कर रही है।
हेली ने कहा था कि यह पुरुषवादी व्यवहार इस हद तक उग्र है कि महिलाओं को असहज करता है।
हेली ने ट्रंप के अभियान को सलाह देने की बार-बार पेशकश की थी लेकिन ट्रंप ने अपने राष्ट्रपति पद की दौड़ के दौरान उनसे दूरी बनाए रखी।
हालाँकि ऐतिहासिक रूप से महिलाओं की तुलना में कम मतदान करने के बाद भी पुरुषों को एकजुट करने का ट्रंप का जुआ अंत में फलदायी साबित हुआ है।
इस अभियान के दौरान दोनों के बीच कुछ खटास भी देखी गई थी, जिसमें ट्रंप ने उन्हें ‘मूर्खतापूर्ण विचारों वाली’ कहा था। हालाँकि अंत में निकी हेली ने रिपब्लिकन नेशनल कन्वेंशन में राष्ट्रपति पद के लिए ट्रंप का समर्थन किया था।
फॉक्स न्यूज के मुताबिक, हालाँकि इसी साल चुनावों के दो महीने पहले उन्होंने ट्रंप का समर्थन भी किया था। एक लेख में अपनी राय व्यक्त करते हुए उन्होंने ट्रंप के बारें मे लिखा था, ‘वो परफेक्ट नहीं हैं, लेकिन एक बेहतर विकल्प’ हैं।
हेली के मुताबिक, ‘मैं हर बार ट्रंप से सौ फीसदी सहमत नहीं होती। लेकिन मैं ज़्यादातर मौकों पर उनसे सहमत होती हूँ। मैं कमला हैरिस से लगभग हर बात पर असहमत हूँ। इसलिए मेरे लिए यह एक आसान फैसला है।’
निकी हेली और पॉम्पियो को
ट्रंप ने क्यों बाहर किया?
ट्रंप चाहते हैं कि रूस के साथ शत्रुता कम हो और यूक्रेन जंग खत्म हो। ट्रंप के इस एजेंडे के साथ पॉम्पियो फिट नहीं बैठ रहे थे। वहीं चीन अमेरिका का सबसे बड़े ट्रेड पार्टनर है और निकी हेली खुलकर चीन का विरोध करती रही हैं।
निकी हेली ने 2021 में कहा था, ‘अमेरिका-भारत के साथ आने से हमें चीन के मामले में भी बढ़त मिलेगी। अमेरिका की तरह भारत भी मानता है कि चीनी खतरा तेज़ी से बढ़ रहा है। न केवल अफगानिस्तान से हमारी वापसी का फ़ायदा उठाने में चीन लगा है बल्कि भारत से लगी सीमा पर भी दबाव बढ़ा रहा है।’
हेली ने कहा था, ‘यह भारत और अमेरिका दोनों के हित में नहीं है। पिछले साल लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प भी हुई थी, जिसमें 20 भारतीय सैनिक और चीन के सरकार के मुताबिक उसके चार सैनिकों की मौत हुई थी। चीन से लगी सीमा पर भारत ने सैनिकों की संख्या बढ़ा दी है और कुल दो लाख सैनिकों का जमावड़ा है। हाल के दिनों में चीन ने भारत से लगी सीमा पर सैनिकों की मौजूदगी 100 लॉन्ग रेंज के रॉकेट लॉन्चर के साथ बढ़ा दी है।’
निकी हेली ने कहा था, ‘अमेरिका और भारत साथ मिलकर चीन को मध्य और दक्षिण एशिया में और पैर पसारने से पहले रोक सकते हैं। हम एक ठोस स्थिति बना सकते हैं। इसी महीने अमेरिकी सेना ने सैकड़ों भारतीय सैनिकों के साथ अलास्का में सैन्य अभ्यास किया। यहाँ का मौसम चीन-भारत सीमा पर की तरह ही है।’
हेली के विपरीत माइक पॉम्पियो ट्रंप की पहली सरकार में अपना कार्यकाल छोडऩे के बाद से काफी हद तक सुर्खियों से बाहर रह रहे हैं।
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक माइक पॉम्पियो और हेली को अलग कर डोनाल्ड ट्रंप ने उन दो रिपब्लिकन को ख़ारिज कर दिया है, जो यूक्रेन के लिए अमेरिका के समर्थन के साथ थे।
वहीं ट्रंप और उनके कई सहयोगियों ने यूक्रेन के लिए अमेरिकी सहायता और विदेशों में अमेरिकी सैन्य भागीदारी को कम करने पर जोर दिया था।
ट्रंप के करीबी कई लोग, जिनमें उनके एक प्रमुख चंदा देने वाले डेविड सैक्स भी शामिल हैं, वो पॉम्पियो को विदेशों में अमेरिकी सेना भेजने के लिए बहुत उत्सुक मानते थे।
ट्रंप शायद यह भी नहीं भूले हैं कि साल 2023 में कंजर्वेटिव पॉलिटिकल एक्शन कॉन्फ्रेंस के दौरान पॉम्पियो ने चेतावनी दी थी कि रिपब्लिकन पार्टी को ‘अपने ब्रैंड की पहचान की राजनीति वाले सेलिब्रिटी नेताओं, नाज़ुक अहंकार वाले लोगों का क़दमों पर नहीं चलना चाहिए जो सच्चाई को स्वीकार करने से इनकार करते हैं।’
न्यूयॉर्क टाईम्स ने लिखा है कि इसके कुछ दिनों बाद फॉक्स न्यूज के साथ एक साक्षात्कार में माइक पॉम्पियो ने दावा किया था कि वो ट्रंप के बारे में बात नहीं कर रहे थे, साथ ही उन्होंने अपने पूर्व बॉस यानी ट्रंप की वित्तीय नीति की भी आलोचना भी की थी।
माइक पॉम्पियो ने साल 2022 में अहम दस्तावेजों को संभालकर रखने के तरीकों को लेकर भी ट्रंप की आलोचना की थी। यह आलोचना मार-ए-लागो में ट्रंप के घर पर एफबीआई के छापों के बाद की गई थी।
उन्होंने कहा था, ‘कोई भी अहम जानकारी उस जगह से बाहर नहीं रखी जा सकती, जहां उसे होना चाहिए। यह निश्चित रूप से सच है।’
पॉम्पियो ने इस मामले से निपटने के तरीके के लिए न्याय विभाग की भी निंदा की थी।
हालाँकि उन्होंने रिपब्लिकन नेशनल कन्वेंशन में एक भाषण में ट्रंप का समर्थन भी किया था।
उन्होंने वहाँ मौजूद जनता से कहा था कि ट्रंप प्रशासन ‘हर रोज ‘अमेरिका फस्र्ट’ के सिद्धांत पर काम करता है।’
फिलहाल डोनाल्ड ट्रंप ने अपने ताज़ा फ़ैसले में कोई अतिरिक्त जानकारी नहीं दी है।
लेकिन सोशल मीडिया पर ट्रंप की पोस्ट उनके पूर्व सलाहकार रोजर स्टोन के उस आग्रह के बाद आया है जिसमें ट्रंप को पॉम्पियो को फिर से न चुनने को कहा गया था। स्टोन ने कहा था कि ट्रंप अपने ‘पूर्व विदेश मंत्री पर भरोसा नहीं कर सकते’’
स्टोन ने पॉम्पियो से जुड़ा एक मुद्दा भी उठाया है, जिसमें पॉम्पियो ने अहम दस्तावेजों को सौंपने से ट्रंप के इंकार की आलोचना की थी। (बीबीसी)