विचार / लेख

फैलता नशा कारोबार और संगीन जुर्म
11-Nov-2024 7:54 PM
फैलता नशा कारोबार और संगीन जुर्म

- डॉ. आर.के. पालीवाल

नशे का व्यापार पूरी दुनिया में संगीन अपराध माना जाता है इसलिए उससे जुडऩे में किसी भी देश के सामान्य नागरिक हिचकिचाते हैं। स्थानीय स्तर पर छोटे छोटे अपराधी और नशे की लत के शिकार लोग अपनी दैनिक जरूरतें पूरी करने के लिए नशीली वस्तुओं के स्थानीय स्तर पर वितरण में तो शामिल हो जाते हैं लेकिन नशे की सामग्री के उत्पादन और उसे बड़े पैमाने पर प्रादेशिक, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के काम में संगठित राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय गिरोह सक्रिय होते हैं। विगत कुछ दशकों में विभिन्न आतंकवादी संगठनों का नशे के व्यापार में लिप्त होना वर्तमान दौर की गंभीर वैश्विक समस्या बन चुकी है। बहुत से देशों की सरकार और खुफिया एजेंसी भी एक तीर से कई निशाने साधने के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से नशे के कारोबार को बढ़ावा देती हैं। दुश्मन देश के नागरिकों को नशे की लत डालकर कमजोर करने के साथ साथ इस धंधे से मिलने वाली मोटी रकम से भारी मात्रा में खतरनाक हथियार खरीदे जा सकते हैं और बड़ी संख्या में आतंकियों को भाड़े पर नियुक्त किया जा सकता है। हमारे देश में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, पुलिस, सीमा सुरक्षा बल और कस्टम आदि विभागों के अधिकारी और कर्मचारी अपने अपने स्तर पर नशे से जुड़े लोगों की धरपकड़ भी करते हैं लेकिन संगठित अपराधी इन एजेंसियों को चकमा देने के लिए नए नए तरीके ईजाद करते रहते हैं। यही कारण है कि नशे का कारोबार निरंतर बढ़ रहा है और यह बीमारी अब महानगरों से लेकर गांवों तक पैर पसार चुकी है।

कुछ समय पहले मध्य प्रदेश में राजधानी भोपाल के पास नशीली सामग्री बनाने की एक फैक्ट्री से सोलह सौ करोड़ कीमत की ड्रग्स की जब्ती से यह संकेत मिलता है कि नशे के व्यापारी अब नए नए अड्डे तलाश रहे हैं क्योंकि इसके पहले भोपाल के आसपास कभी भारी मात्रा में ऐसी सामग्री की खेप नहीं पकड़ी गई। इसके बाद मध्य प्रदेश के आदिवासी अंचल से भी ऐसी सामग्री की धरपकड़ ने मध्य प्रदेश को भी पंजाब जैसे राज्यों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया जहां नशे का संगठित कारोबार होता है। इस मामले मे पकड़े गए अपराधी का नाम भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के साथ भी जोड़ा गया है। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री के साथ उसके फोटो से यह साबित होता है कि इन अपराधियों की पहुंच उच्च पदों पर आसीन लोगों तक है जिसका उपयोग ये स्थानीय स्तर पर अपना रुतबा जमाने के लिए करते हैं।

गांधी ने अपने विविध रचनात्मक कार्यों में नशामुक्ति को भी प्राथमिकता दी थी और इस काम में महिलाओं को आगे किया था। उन दिनों नशे के खतरनाक रसायनों का ऐसा संगठित कारोबार नहीं था जैसा वर्तमान दौर में है। इधर नशे की व्यापकता में भी खासी वृद्धि हुई है। स्कूल कॉलेज के छात्र-छात्राओं की पार्टियां हों या बॉलीवुड और कॉरपोरेट जगत के उच्च आय वाले एग्जीक्यूटिव नशे के बगैर कम ही पार्टी संपन्न होती हैं।महिलाओं के खिलाफ हुए अधिकतर जघन्य यौन अपराधों में नशे में लिप्त युवाओं की संलिप्तता के प्रमाण से नशे और संगीन अपराधों का चोली दामन का संबंध साफ दिखता है। कुछ समाजसेवी संस्थाएं नशा मुक्ति केंद्र चला रही हैं लेकिन एक तो उनकी संख्या बहुत कम है दूसरे बहुत से लोग इन केंद्रों तक नहीं पहुंच पाते। लोकलाज के कारण बहुत से लोग अपने परिजनों की नशे की लत पर पर्दा भी डालते हैं ताकि उनकी बदनामी न हो। बहुत से घर में अधिकांश लोग कोई न कोई नशा करते हैं, ऐसे घरों में नशे को तब तक बुरा नहीं माना जाता जब तक कोई नशेड़ी बड़ा कांड नहीं करता।नशा मुक्ति केंद्र चलाने वाले समाजसेवियों के लिए ऐसे परिवारों का इलाज करना टेढ़ी खीर है। नशे से विशेष रूप से युवा पीढ़ी को बचाना सबसे जरूरी है। बचपन और युवापन में लगी नशे की लत ताउम्र परेशान करती है। व्यापक जन अभियान ही युवा पीढ़ी को नशे से बचा सकता है।


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