विचार / लेख
@SUHASINIH/एससीओ समिट में इस्लामाबाद रवाना होने से पहले भारतीय पत्रकारों का दल
पाकिस्तान में आयोजित एससीओ (शंघाई कोऑपरेशन कॉर्पोरेशन) की बैठक खत्म हो गई है लेकिन इसमें शामिल होने गए भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की चर्चा अब भी जारी है।
पिछले साल पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री बिलावल जरदारी भुट्टो जब एससीओ की बैठक में गोवा आए थे तो काफी तनातनी थी, लेकिन इस बार इस्लामाबाद में बिल्कुल अलग माहौल था।
एस जयशंकर ने अपनी बात कही लेकिन पाकिस्तान पर सीधी उंगली उठाने वाली कोई बात नहीं कही। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी एससीओ को संबोधित किया लेकिन उन्होंने भी भारत पर कोई निशाना नहीं साधा और न ही कश्मीर का मुद्दा उठाया।
एस जयशंकर जब बुधवार को इस्लामाबाद से दिल्ली वापस लौटे तो ट्वीट कर शहबाज शरीफ और पाकिस्तान के विदेश मंत्री इसहाक डार को खातिरदारी के लिए शुक्रिया कहा। इसहाक डार ने भी एस जयशंकर को पाकिस्तान आने के लिए शुक्रिया कहा।
एससीओ समिट में भारत से पाकिस्तान एक दर्जन पत्रकार गए थे। इन पत्रकारों का भी कहना है कि इस बार माहौल बिल्कुल अलग था। एस जयशंकर के आने को लेकर काफी हलचल थी।
पाकिस्तान में एससीओ समिट कवर करने एनडीटीवी इंडिया के पत्रकार उमाशंकर सिंह भी गए थे। उमाशंकर कहते हैं, ‘इस बार माहौल अच्छा था। गोवा से बिल्कुल अलग। दोनों देशों ने अपनी बातें कहीं लेकिन बिना किसी को निशाने पर लिए। कऱीब दस साल बाद भारत का कोई विदेश मंत्री पाकिस्तान गया था। इसे लेकर भारत में भी लोगों की काफ़ी दिलचस्पी थी और पाकिस्तान में तो थी ही। दोनों देशों के संबंधों के लिए यह अच्छा दौरा था।’
माहौल बिल्कुल अलग
उमाशंकर सिंह कहते हैं, ‘मैं भी नौ साल बाद पाकिस्तान गया था। इसके पहले मैं कई बार चा चुका हूँ। पाकिस्तान जाना हमेशा से अच्छा अनुभव रहा है।’
इंडिया टुडे ग्लोबल की हेड गीता मोहन भी एससीओ समिट कवर करने इस्लामाबाद गई थीं। गीता मोहन से पाकिस्तान के जाने-माने पत्रकार हामिद मीर ने जियो न्यूज के लिए बातचीत की।
हामिद मीर ने पूछा कि जयशंकर साहब ने यहाँ से जाने के बाद बहुत अच्छा ट्वीट किया। उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री को शुक्रिया कहा है। आपका इस ट्वीट पर क्या कहना है?
इसके जवाब में गीता मोहन ने कहा, ‘मैंने हाल-फि़लहाल में जितने भी इवेंट देखे हैं, जिनमें एक रूम में पाकिस्तान और भारत दोनों होते हैं, वहाँ का माहौल बहुत सद्भावनापूर्ण तो होता नहीं है। ये पहली बार है, जब जयशंकर के आने से लेकर जाने तक माहौल ख़ुशनुमा था। कुछ साइडलाइन मीटिंग्स भी हुईं।’
गीता मोहन कहती हैं, ‘आप शहबाज शरीफ और एस जयशंकर के बयान को देखिए तो साफ पता चलता है कि दोनों के तेवर नरम जरूर पड़े हैं। फिर मुझे पता चला कि लंच के दौरान वेटिंग रूम में भी शहबाज शरीफ के साथ एस जयशंकर की बात हुई। लंच के दौरान का विजुअल भी है कि इसहाक़ डार और एस जयशंकर साथ बैठे हुए हैं और बात कर रहे हैं। ये केवल अनौपचारिक गपशप नहीं है बल्कि इससे ज़्यादा है। शायद बेहतर रिश्ते का आग़ाज़ है। जयशंकर ने भारत की नीति पर ही अपनी बात कही है।’
उम्मीदें बढ़ीं
गीता मोहन ने कहा, ‘जयशंकर ने सीमा पार आतंकवाद की बात की और चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर की भी बात की। ये ज़रूर है कि उन्होंने चीन और पाकिस्तान का नाम नहीं लिया। लेवल ऑफ इंगेजमेंट तो बदला है। इमरान खान की सरकार के दौरान रिश्ते बहुत खराब थे।’
‘जब आपके यहाँ गठबंधन की सरकार थी और बिलावल पाकिस्तान के विदेश मंत्री के रूप में गोवा आए थे तो एक्सचेंज ऑफ वर्ड बहुत ही खराब थे। बिलावल को तो गोवा में शुक्रिया कहने का भी मौका नहीं मिला। शरीफ़ परिवार सरकार में होता है तो भारत के साथ संबंध अच्छे रहते हैं।’
गीता मोहन ने कहा, ‘जियोपॉलिटिक्स बदल रही है। इसराइल हमास युद्ध हो या यूक्रेन-रूस युद्ध हो दोनों में एससीओ की अहम भूमिका होगी। 2017 में भारत और पाकिस्तान जब एससीओ के सदस्य बन रहे थे तो दोनों देशों के सामने शर्त थी कि वे अपने द्विपक्षीय मुद्दों को नहीं उठाएंगे।’
वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त भी इस्लामाबाद एससीओ कवर करने गई थीं। बरखा दत्त ने इस्लामाबाद में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनकी बेटी मरियम नवाज से मुलाकात की थी। बरखा दत्त ने इस मुलाक़ात की तस्वीर भी पोस्ट की थी।
पाकिस्तान के न्यूज चैनल आज टीवी ने बरखा से इस मुलाक़ात को लेकर बात की। बरखा ने कहा, ‘नवाज शरीफ ने मुझसे ऑन द रिकॉर्ड बात की। वे ऑन कैमरा नहीं आए लेकिन उन्होंने कहा कि जो भी कह रहे हैं, वो ऑन रिकॉर्ड है। उन्होंने कहा कि आप मुझे बेशक कोट कर सकती हैं। नवाज़ शरीफ़ ने बहुत ही दिलचस्प बात कही। शरीफ ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहाँ आए होते तो बहुत अच्छा होता। शरीफ़ ने कहा कि एक और मौका आएगा जब पीएम मोदी से बात होगी।’
यूएनजीए से बिल्कुल अलग माहौल
बरखा दत्त ने कहा, ‘नवाज शरीफ ने पाकिस्तान की गलतियां भी मानीं। मैं अटारी-बाघा से आई। एक समय था जब यहाँ से सैकड़ों ट्रक दोनों देशों के बीच चलते थे। हालात बहुत सामान्य नहीं थे तब भी जयशंकर पाकिस्तान आए। जब मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने तो नवाज शरीफ ने गर्मजोशी से स्वागत किया था और पीएम मोदी ने भी उदारता से स्वीकार किया था।''
‘सबसे बड़ा सवाल है कि नवाज़ शरीफ़ रिश्ते सुधारने के लिए कोई क़दम उठाएंगे तो उन्हें फौज से कितना समर्थन मिलेगा। नवाज़ शरीफ़ बहुत बार अच्छे संबंध की बात कर चुके हैं लेकिन उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती यही होती है।’
पाकिस्तान के एआरवाई न्यूज चैनल के पत्रकार काशिफ अब्बासी ने अपने शो में बरखा दत्त और नवाज शरीफ की मुलाकात पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘यही मुलाकात अगर 2016-17 में हुई होती तो लोग कहते कि मियां नवाज शरीफ मुल्क के दुश्मन हैं क्योंकि हिन्दुस्तानी पत्रकारों के साथ मिलकर पाकिस्तान के खिलाफ साजिश कर रहे थे। देखिए अब वक्त बदल गया और इस मुलाकात को दोस्ती मुकम्मल करने के रूप में देखा जा रहा है।’
काशिफ अब्बासी ने कहा, ‘मियां साहब पाकिस्तानी पत्रकारों से मुलाकात नहीं करते हैं। मैं तो कहूंगा कि मियां साहब हमें भी इंटरव्यू का मौका दीजिए आप निराश नहीं होंगे।’
भारत के प्रमुख अंग्रेज़ी अख़बार द हिन्दू की डिप्लोमैटिक अफेयर्स एडिटर सुहासिनी हैदर भी पाकिस्तान गई थीं।
उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘सबसे दिलचस्प है कि कुछ हफ्ते पहले ही न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए शहबाज शरीफ और एस जयशंकर ने एक-दूसरे पर तीखा हमला किया था।’
‘लेकिन एससीओ में माहौल बिल्कुल अलग था। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या पाकिस्तान ने अनुच्छेद 370 हटाने के बाद जो कड़ा रुख अपनाया था, वो अब नरम पड़ेगा? क्या पाकिस्तान भारत से ट्रेड और डिप्लोमैटिक संबंध बहाल करेगा? अब तो जम्मू-कश्मीर में चुनाव भी हो गया है और पूर्ण राज्य का दर्जा देने की बात हो रही है।’
सुहासिनी हैदर ने आज टीवी से बातचीत में कहा, ‘जयशंकर ने पहले ही कहा था कि पाकिस्तान से सकारात्मक चीज़ें आएंगी तो भारत भी सकारात्मक रहेगा। ऐसे में ट्रेड तो पाकिस्तान ने कैंसल किया था तो बहाल भी उसे ही करना है। भारत को नेताओं के लिए ये दुविधा होती है कि हम रिश्ते सुधारने की बात शुरू करें और फिर से आतंकवादी हमला हो जाए तो फिर क्या जवाब देंगे।’
न्यूज़ 18 के पत्रकार अभिषेक झा भी इस्लामाबाद पहुँचे थे। उन्होंने पाकिस्तानी न्यूज चैनल जियो न्यूज़ से बात करते हुए कहा, ‘पिछले कुछ हफ्तों से भारत और पाकिस्तान में जयशंकर के दौरे को लेकर कई तरह की बातें कही जा रही थीं लेकिन यहाँ माहौल बिल्कुल अलग था।’
‘ये तभी मुमकिन हो पाता है, जब दोनों मुल्कों के बीच आगे बढऩे को लेकर सहमति होती है। पाकिस्तान और हिन्दुस्तान के मीडिया में नैरेटिव बिल्कुल अलग होता है। मैं यहाँ इस्लामाबाद आया था तो तक्षशिला जाने का बहुत मन था। यह साझा इतिहास है। लेकिन मैं वहाँ नहीं जा सकता। रिश्ते लोगों के आपसी संपर्क से ही बेहतर होंगे। ’(bbc.com/hindi)


