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आतिशी : मंत्री न बनने से सीएम बनने तक...
17-Sep-2024 9:48 PM
आतिशी : मंत्री न बनने से सीएम बनने तक...

आतिशी दिल्ली की नई मुख्यमंत्री होंगी। इस बारे में आम आदमी पार्टी के नेता गोपाल राय ने मंगलवार को मीडिया को जानकारी दी।

गोपाल राय ने कहा कि आतिशी मुश्किल हालात में दिल्ली की सीएम बन रही हैं।

गोपाल राय ने आरोप लगाया, ‘बीजेपी ने आम आदमी पार्टी को तोडऩे और सरकार को गिराने की कोशिश की। लेकिन हमने उनकी हर कोशिश को नाकाम कर दिया।’

अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद आतिशी को नया मुख्यमंत्री बनाए जाने पर पार्टी के विधायक दल की बैठक में सहमति बनी।

विधायक दल की बैठक में खुद अरविंद केजरीवाल ने आतिशी के नाम का प्रस्ताव रखा।

रविवार को जब अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि वह दो दिन बाद इस्तीफा दे देंगे, तभी से इस पद की दौड़ में आतिशी का नाम भी शामिल था।

हालांकि, उनके अलावा गोपाल राय और कैलाश गहलोत के साथ ही अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल के नामों पर भी चर्चा थी। लेकिन अब 43 साल की आतिशी के नाम पर मोहर लग गई है। विधानसभा चुनावों तक आतिशी दिल्ली की मुख्यमंत्री रहेंगी।

आतिशी के हक में गईं ये बातें?

दरअसल, सोमवार को हुई बैठक के बाद आतिशी को इस दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा था। केजरीवाल के जेल में रहते हुए आतिशी के पास सर्वाधिक मंत्रालय और विभाग रहे हैं।

उन्होंने मनीष सिसोदिया के शिक्षा मंत्री रहते, शिक्षा क्षेत्र में भी कई अहम काम किए थे और मनीष सिसोदिया की ग़ैर मौजूदगी में शिक्षा विभाग भी संभाला।

माना जाता है कि आतिशी केजरीवाल की विश्वासपात्र हैं। पार्टी से जुड़े कई सूत्रों ने भी बीबीसी से बातचीत में ये संकेत दिए थे कि मौजूदा परिस्थिति में वो ही सबसे आगे हैं।

जब आतिशी को नहीं मिला था मंत्री पद

2020 विधानसभा चुनाव के बाद केजरीवाल की कैबिनेट में आतिशी समेत किसी भी महिला को जगह नहीं मिली थी।

तब आतिशी को कैबिनेट में जगह ना दिए जाने को लेकर पार्टी के ही कुछ नेताओं ने इस कदम की आलोचना की थी।

ये वह चुनाव था जब आम आदमी पार्टी को 70 में से 62 विधानसभा सीटों पर जीत मिली थी। इनमें से आठ महिला विधायक थीं।

लेकिन इसके बाद भी अरविंद केजरीवाल ने अपनी कैबिनेट में एक भी महिला नेता को जगह नहीं दी थी।

लेकिन वक्त के साथ-साथ दिल्ली के राजनीतिक हालात भी बदले।

मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और फिर खुद अरविंद केजरीवाल के जेल जाने के बाद आतिशी सरकार से लेकर पार्टी तक के मसले पर मोर्चा संभालते दिखीं।

आतिशी साल 2023 में पहली बार केजरीवाल सरकार में शिक्षा मंत्री बनीं।

‘आप’ के संपर्क में आतिशी कैसे आईं

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़, आतिशी दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर विजय कुमार सिंह और तृप्ता वाही की बेटी हैं।

आतिशी ने दिल्ली के स्प्रिंगडेल्स स्कूल से पढ़ाई की थी। आतिशी ने सेंट स्टीफेंस कॉलेस से इतिहास की पढ़ाई की है।

आतिशी ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से मास्टर्स डिग्री हासिल की। बाद में आतिशी को चिवनिंग स्कॉलरशिप भी मिली।

बाद में आतिशी ने आंध्र प्रदेश के ऋषि वैली स्कूल में बच्चों को पढ़ाया। वो ऑर्गेनेकि फार्मिंग और शिक्षा व्यवस्था से जुड़े कामों में सक्रिय रहीं।

बाद में आतिशी भोपाल आ गईं। यहां वो कई एनजीओ के साथ काम करने लगीं। इसी दौरान वो आम आदमी पार्टी और प्रशांत भूषण के संपर्क में आईं।

अन्ना आंदोलन के समय से ही आतिशी संगठन में सक्रिय रही हैं और अब आम आदमी पार्टी के प्रमुख चेहरों में शुमार हैं।

आतिशी साल 2013 में आम आदमी पार्टी से जुड़ीं।

वह साल 2015 से लेकर 2018 तक दिल्ली के तत्कालीन शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया की सलाहकार के तौर पर काम कर रही थीं।

आम आदमी पार्टी की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार- मनीष सिसोदिया की सलाहकार रहते हुए उन्होंने दिल्ली के सरकारी स्कूलों की दशा सुधारने, स्कूल मैनेजमेंट कमिटियों के गठन और निजी स्कूलों को बेहिसाब फ़ीस बढ़ोतरी करने से रोकने के लिए कड़े नियम बनाने जैसे कामों में अहम भूमिका निभाई।

आतिशी पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति की भी सदस्य हैं।

आतिशी के पास फिलहाल दिल्ली सरकार में जो विभाग हैं उनमें शिक्षा, उच्च शिक्षा, टेक्निकल ट्रेनिंग एंड एजुकेशन (टीटीई), पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (पीडब्ल्यूडी), ऊर्जा, राजस्व, योजना, वित्त, विजिलेंस, जल, पब्लिक रिलेशंस और कानून-न्याय जैसे डिपार्टमेंट शामिल हैं।

वह दिल्ली के कालकाजी इलाके से विधायक हैं।

जब आतिशी ने हटाया था अपना उपनाम

आतिशी को पहली बार साल 2019 के लोकसभा चुनाव में ‘आप’ ने उनको पूर्वी दिल्ली सीट से उम्मीदवार बनाया था। उस वक्त वह आतिशी मार्लेना के तौर पर जानी जाती थीं।

इससे पहले आतिशी आम तौर पर पर्दे के पीछे सक्रिय नेताओं में गिनी जाती थीं।

2019 में आम चुनावों के दौरान अचानक आम लोगों की भीड़ के सामने आतिशी के हाथ में माइक देखकर इसका अंदाजा होने लगा था कि वो चुनावी राजनीति में ‘आप’ की एक अहम महिला चेहरा बन सकती हैं।

उसी चुनाव में प्रचार के दौरान आतिशी ने पार्टी के सभी रिकॉर्ड और चुनाव अभियान से जुड़े सभी कागज़ातों से अपना उपनाम यानी ‘मार्लेना’ हटा दिया था।

उस समय भारतीय जनता पार्टी ने आतिशी के सरनेम की वजह से उन्हें विदेशी और ईसाई बताकर घेरना शुरू कर दिया था।

हालांकि, आतिशी ने कहा था कि वह अपना सरनेम इसलिए हटा रही हैं क्योंकि वह अपनी पहचान साबित करने में समय बर्बाद नहीं करना चाहतीं।

दरअसल, आतिशी के माता-पिता को वामपंथी झुकाव वाला माना जाता है और कार्ल मार्क्स और व्लादिमीर लेनिन के नामों के अक्षरों को जोडक़र आतिशी को ‘मार्लेना’ सरनेम दिया गया था।

आतिशी के सरनेम पर छिड़े विवाद के बीच उस समय मनीष सिसोदिया उनके बचाव में उतरे और उन्हें ‘राजपूतानी’ बताया था।

सिसोदिया ने एक ट्वीट में लिखा था, ‘मुझे दुख है कि बीजेपी और कांग्रेस मिलकर हमारी पूर्वी दिल्ली की प्रत्याशी आतिशी के धर्म को लेकर झूठ फैला रहे हैं। बीजेपी और कांग्रेस वालों! जान लोग- आतिशी सिंह है उसका पूरा नाम। राजपूतानी है। पक्की क्षत्राणी। झांसी की रानी है। बच के रहना। जीतेगी भी और इतिहास भी बनाएगी।’

2019 चुनाव में आतिशी तीसरे नंबर पर रही थीं और बीजेपी की टिकट पर गौतम गंभीर चुनाव जीते थे।

हालांकि, इसके बाद आतिशी ने अपने एक्स हैंडल पर भी अपना सरनेम हटा दिया। (bbc.com/hindi)


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