विचार / लेख

खरबपतियों के कब्जे में भारत
31-Aug-2024 3:39 PM
खरबपतियों के कब्जे में भारत

-जेके कर

29 अगस्त को जारी हुरून इंडिया की देश के अमीरों की सूची-24 की माने तो देश के आधे सकल घरेलू उत्पादन पर केवल 1539 लोगों का कब्जा है जो पिछले साल से 220 ज्यादा है। इन खरबपतियों के 70 फीसदी के पास तो देश के सकल घरेलू उत्पादन का एक तिहाई से भी ज्यादा संपत्ति है।

इनके पास 1.5 ट्रिलियन अमरीकी डालर के बराबर की कुल संपत्ति है। बकौल हुरून इंडिया इन लोगों की संख्या में पिछले सालों की तुलना में बढ़ोतरी हुई है। इस सूची में नये 18 लोगों के पास 1 लाख करोड़ रुपये या उससे ज्यादा की संपत्ति है जो पिछले साल से 6 ज्यादा है। एक दशक पहले मात्र 2 लोगों के पास 1 लाख करोड़ से ज्यादा की संपत्ति हुआ करती थी।  जाहिर है कि अमीर और अमीर हुये हैं। इससे जुड़ा हुआ लाख टके का सवाल है कि जब संपत्ति पर कब्जा सिमटता जा रहा है तो गरीबों का क्या हाल हुआ है, उस पर हुरून की सूची खामोश है। हुरून की सूची देश के अर्थव्यवस्था के हालत को बयां करती है कि किस तरह से देश की अर्थव्यवस्था चंद मुठ्ठियों में सिमटती जा रही है।

इसे अर्थशास्त्र के एक उदाहरण से समझा जा सकता है। मान लीजिये कि एक घर में 100 लोग रहते हैं तथा वहां पर 10 लाख की संपत्ति है। जिसमें से 5 लाख रुपये 1 व्यक्ति के पास है तो बाकी के बचे 99 लोगों में बचे हुये 5 लाख ही आयेगी अर्थात 5050 रुपये प्रति व्यक्ति। गौरतलब है कि हुरून हर साल देश तथा दुनिया के खरबपतियों की सूची जारी करती है। मीडिया में इस सूची के जारी होने के बाद जोरदार रिपोर्टिंग होती है लेकिन गरीबो तथा मध्यमवर्ग की कोई सुध नहीं लेता है। जब संपदा चंद मुठ्ठियों में सिमटकर रह गई है तो क्रयशक्ति भी निश्चित तौर पर इन्हीं की मुठ्ठियों में सिमटकर रह गई है जाहिर है कि जब आवाम के बहुसंख्य लोगों की खरीदने की क्षमता घटी है तो बाजार में मंदी आयेगी ही आयेगी। इसी कारण से लोग 5 रुपये में मिलने वाले पारले जी बिस्कुट तक खरीदने से पहरेज कर रहें हैं।

इस सूची के अनुसार गौतम अदाणी तथा परिवार 11।6 लाख करोड़ रुपयों की संपत्ति के साथ देश में पहले स्थान पर है। इनकी संपत्ति में 95 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। दूसरे नंबर पर मुकेश अंबानी हैं। भारत में हर 5वें दिन एक अरबपति/ खरबपति बने हैं। इस तरह से 272 लोग अमीर हुये हैं जबकि देश की जनसंख्या 140 करोड़ के करीब की है। याने इतने लोग और गरीब हुये हैं।

बालीवुड के किंग शाहरूख खान 7,300 करोड़ रुपयों के साथ इस सूची में शामिल हैं। दूसरे नंबर पर जूही चावला परिवार आता है। इसके अलावा रितिक रोशन, करन जौहर तथा अमिताभ बच्चन का नाम भी इस सूची में बालीवुड की सूची में शामिल है।

हुरून इंडिया के प्रमुख अनास रहमान जुनैद का कहना है कि देश का बिजनेस फ्रेंडली वातावरण जिसके तहत 42 व्यापार समझौते हुये हैं तथा नये मैनुफैक्चरिंग ईकाईयों को कॉर्पोरेट टैक्स में 15 फीसदी की छूट दी गई है जिससे इस क्षेत्र में बढ़ौती हुई है।

हुरून इंडिया की साल 24 की  सूची के अनुसार गौतम अदाणी परिवार के पास 11,61,800 करोड़ रुपये की संपत्ति है। दूसरे नंबर पर मुकेश अंबानी परिवार के पास 10,14,700 करोड़ रुपयों की संपत्ति है। तीसरे नंबर पर हैं शिव नादर परिवार उनके पास 3,14,000 करोड़ की संपत्ति है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसारअंबानी ने हाल ही में अपने बेटे की शादी में 5,000 करोड़ रुपये खर्च किये हैं। उस भव्यता को सारे देश को दिखाया गया। लेकिन क्या किसी टीवी ने ऐसी कोई खबर दिखाई है कि बेटी को ब्याह देने के बाद एक मध्यमवर्ग कितने कर्ज में डूब जाता है।

ऐसे समय में सरकार को ऐसी योजनायें लाना चाहिये जिससे गरीब तथा मध्यम वर्ग के हाथ में पैसे आये तथा वे बाजार की ओर रुख करें। लेकिन इसका उल्टा किया जा रहा है। आवाम की क्रयशक्ति बढ़ाने के बजाये कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती की जा रही है, विदेशी निवेश को बढ़ाने के लिये उसकी राह को आसान किया जा रहा है, इनकम टैक्स में छूट दी जा रही है जाहिर है कि मलाईदार तबके को छूट देने से बाजार की मंदी दूर नहीं होने वाली। आखिरकार देश के गिने-चुने 2 से 10 फीसदी लोग कितने कार, कपड़े, अन्न, मकान, दवा तथा सेवा का उपभोग कर सकते हैं। रईस होने से रोटी सूखी के बजाये घी लगाकर खाई जा सकती है, उस पर सोने-चांदी का लेप लगाकर तो खाया नहीं जा सकता है। 

कुलमिलाकर, मामला यह है कि आम जनता के पास कितना पैसा आता है उस पर सब कुछ निर्भर करता है। हां, इसके लिये नीतियां बनानी पड़ेंगी। हुरून की सूची तो हर साल जारी होगी तथा खरबपतियों का बखान करेंगी जबकि जरूरत है कि गरीबों के उत्थान के लिये कुछ किया जाये। आपको, हुरून की सूची के दूसरे पहलू को जानकर कैसा लगा?


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