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केशव प्रसाद मौर्य ने यूपी पुलिस के शीर्ष अधिकारियों के साथ की बैठक, उठने लगे सवाल
30-Jul-2024 3:24 PM
केशव प्रसाद मौर्य ने यूपी पुलिस के शीर्ष अधिकारियों के साथ की बैठक, उठने लगे सवाल

पुलिस अधिकारियों के साथ केशव प्रसाद मौर्य ने 29 जुलाई को की बैठक, ऐसी बैठकें वो अतीत में भी करते रहे हैं


दिल्ली में 28 जुलाई को जब बीजेपी की मुख्यमंत्री परिषद की बैठक हुई तो एक वीडियो काफ़ी वायरल हुआ। इस वीडियो में दिखता है कि ग्रुप फोटो के लिए गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा राजनाथ सिंह आते हैं तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अभिवादन करते हुए तब दिखे, जब सामने राजनाथ सिंह थे।

इसके बाद जब पीएम नरेंद्र मोदी ग्रुप फोटो के लिए आते हैं तो सभी मुख्यमंत्री हाथ जोडक़र नमस्कार करते दिखे, मगर शेयर किए जा रहे वीडियो में योगी आदित्यनाथ ऐसा करते नहीं दिखे।

इस वीडियो को शेयर कर लोगों ने बीजेपी के अंदर सब कुछ ठीक ना होने की ओर इशारा किया। मगर कुछ लोगों का ये कहना था कि योगी आदित्यनाथ ने नमस्कार किया था, मगर वो वीडियो में दर्ज नहीं हुआ।

हालांकि यूपी के उपमुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री परिषद की बैठक में मौजूद रहे केशव प्रसाद मौर्य ने भी वही वीडियो शेयर किया है, जिसे लेकर योगी और बीजेपी आलाकमान के बीच दूरियां आने की बात कही गई।

इन सबके बीच केशव प्रसाद मौर्य का एक नया ट्वीट, साझा की तस्वीरें और बयान चर्चा में हैं।

केशव प्रसाद मौर्य ने पुलिस अधिकारियों के साथ की बैठक

जब बीते कुछ हफ़्तों से ये ख़बरें आ रही हैं कि केशव प्रसाद मौर्य और योगी आदित्यनाथ बैठकों में साथ नजऱ नहीं आ रहे हैं। तब केशव प्रसाद मौर्य ने यूपी के बड़े पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की है।

इस बैठक की तस्वीरों को साझा करते हुए केशव मौर्य ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘आज विधान परिषद में उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ मॉनसून सत्र के दौरान क़ानून व्यवस्था के संबंध में बैठक की। जनता की समस्याओं को थानों पर प्राथमिकता से समाधान, बढ़ते हुए भ्रष्टाचार को रोकने और साइबर क्राइम से संबंधित बढ़ती हुई घटनाओं को व्यापक तौर पर रोकने के प्रयास करने सहित सभी व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के निर्देश दिए।’

केशव प्रसाद मौर्य के पास यूपी कैबिनेट में ग्रामीण विकास, फूड प्रोसेसिंग, मनोरंजन कर और लोक उपक्रम जैसे विभाग हैं।

योगी आदित्यनाथ के पहले कार्यकाल के दौरान केशव के पास पीडब्ल्यूडी विभाग भी था। मगर 2022 चुनाव में मिली जीत के बाद केशव को बड़े विभाग नहीं दिए गए। केशव की योगी से नाराजग़ी की एक वजह जानकार इसे भी बताते हैं।

मौजूदा यूपी सरकार की कैबिनेट में गृह समेत कई बड़े विभाग योगी आदित्यनाथ के पास हैं।

पुलिस गृह विभाग के अंतर्गत आती है। यानी केशव मौर्य ने जो बैठक की वो बैठकें मुख्यमंत्री योगी को करनी चाहिए।

केशव ने पहले भी की हैं पुलिस अधिकारियों संग बैठक

ऐसे में केशव प्रसाद मौर्य की पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक को संदेश देने के तौर पर देखा जा रहा है।

सोशल मीडिया पर कुछ लोग इस बैठक पर सवाल उठा रहे हैं। पत्रकार उमर राशिद ने कहा- ये बैठक इसलिए अहम है क्योंकि पुलिस गृह मंत्रालय संभालने वाले योगी आदित्यनाथ के अंतर्गत आती है।

विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के नेता आईपी सिंह ने कहा, ‘केशव कैबिनेट मंत्री हैं। वो किस हैसियत के साथ राज्य के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं। शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक का अधिकार मुख्यमंत्री के पास है। यूपी में सीएम लाचार हैं। बीजेपी ने आराजकता फैलाई है।’

हालांकि केशव प्रसाद मौर्य के सोशल मीडिया पर थोड़ा पीछे की तरफ़ जाएं तो वो अतीत में भी यूपी पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक करते रहे हैं।

31 जनवरी 2024 और 7, 11 अगस्त 2023 को भी पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की तस्वीरें केशव ने साझा की थीं।

तब केशव ने लिखा था, ‘आज विधान परिषद में प्रदेश के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ बजट सत्र के प्रारंभ होने से पूर्व क़ानून-व्यवस्था के संबंध में बैठक की और सभी व्यवस्थाओं को समयबद्ध तरीक़े से दुरुस्त करने के निर्देश दिए।’

मगर अपने 29 जुलाई को किए ट्वीट में केशव ने बढ़ते हुए भ्रष्टाचार की बात भी लिखी।

ये ऐसी बात है, जिसे योगी आदित्यनाथ के प्रति नाराजग़ी ज़ाहिर करने वाले कई नेता, विधायक भी कहते रहे हैं। योगी के आलोचक विधायकों का कहना है कि यूपी में अफसरशाही बढ़ी है और नेताओं की बात नहीं सुनी जाती, अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होती।

केशव ने अति आत्मविश्वास और सरकार पर फिर क्या कहा

केशव प्रसाद मौर्य ने 29 जुलाई को एक कार्यक्रम के कहा, ''आज कल ये मीडिया के मित्र बहुत फोकस किए रहते हैं कि केशव जी क्या बोलते हैं। वहां बहुत फेंकू लोग हैं। दिनभर फेंकते रहते हैं। लेकिन मैं एक बात बताऊं आपको। सोशल मीडिया और मीडिया में क्या चल रहा है, उससे कभी प्रभावित नहीं होना है।''

केशव बोले- बीजेपी को लेकर मीडिया और सोशल मीडिया में जो चल रहा होता है, वो अलग होता है और जो होना होता है वो अलग होता है। इसलिए कभी उससे प्रभावित नहीं होना है।

इसी कार्यक्रम में केशव ने कहा, ‘चुनाव हमेशा पार्टी लड़ती है और पार्टी ही जीतती है। 2014 में क्या बीजेपी की सरकार थी, जीते कि नहीं जीते? 2017 में क्या बीजेपी की सरकार थी, जीते या नहीं जीते? जब सरकार नहीं थी, तब जीते। जब सरकार आ गई तो हमको लगा कि सरकार के बल पर। सरकार के बल पर चुनाव नहीं जीता जाता। पार्टी ही चुनाव लड़ती है और पार्टी ही जीतती है।’

वो बोले, ‘आप 2024 में जो चूक हुई, उसको भूलकर 2027 में पार्टी की ऐतिहासिक विजय का। 2017 का भी रिकॉर्ड तोडऩे का लक्ष्य लेकर के अपने जि़लों, कार्यक्षेत्रों में डट जाने का काम करिए।’

इससे पहले भी केशव प्रसाद मौर्य 14 जुलाई को बीजेपी बैठक में संगठन को सरकार से बड़ा बता चुके हैं। इसी कार्यक्रम में योगी आदित्यनाथ ने अति आत्मविश्वास को पार्टी की हार की वजह बताया था।

अब केशव ने भी यही बात दोहराई है।

केशव ने कहा, ‘अति आत्मविश्वास में हम लोग कई बार फँसे हैं, ये मैं मानता हूं। लेकिन हमें सदा ध्यान रखना चाहिए कि चुनाव पार्टी लड़ती है।’

केशव प्रसाद मौर्य ने बीजेपी ओबीसी मोर्चा की प्रदेश कार्यसमिति में ये बातें कहीं, इस कार्यक्रम में योगी आदित्यनाथ भी शामिल हुए थे।

हालांकि दोनों नेता कार्यक्रम में साथ नजर नहीं आए।

यूपी बीजेपी में क्यों बढ़ी है हलचल

लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी का यूपी में प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था। 2019 लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की 80 में से 62 सीटें जीतने वाली बीजेपी 2024 में 33 सीटों पर सिमट गई।

यूपी में मिली इस हार के कारण बीजेपी अपने दम पर बहुमत हासिल नहीं कर सकी और उसे एनडीए के सहयोगियों पर निर्भर रहना पड़ा।

चुनाव में मिली हार के बाद ये बहस शुरू हुई कि ऐसे नतीजों के लिए कौन जिम्मेदार है?

एक तबका योगी आदित्यनाथ और उनके प्रशासन के सहयोग ना करने को जि़म्मेदार बताता है। दूसरा तबका ये कहता है कि टिकट देने के मामले में योगी आदित्यनाथ की कोई भूमिका नहीं थी तो वो इस हार के लिए कैसे जिम्मेदार कहे जा सकते हैं। इन अटकलों के बीच 14 जुलाई को जब केशव और योगी आदित्यनाथ के अलग-अलग बयान आए तो इससे अटकलें और बढ़ गईं।

यूपी में जल्द 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। केशव प्रसाद मौर्य बीजेपी के ओबीसी चेहरे हैं। वहीं योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता न सिर्फ यूपी बल्कि दूसरे राज्यों में भी है।

ऐसे में जानकार यूपी के लिए मुश्किल हालात बनने की ओर इशारा करते हैं।

बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर यूनिवर्सिटी में राजनीतिक विज्ञान विभाग के प्रमुख रह चुके शशिकांत पांडे ने द प्रिंट से कहा, ‘ताजा घटनाक्रम इस ओर इशारा करते हैं कि अगले छह महीनों में यूपी बीजेपी में बड़े फेरबदल देखे जा सकते हैं। केशव मौके का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। बीजेपी को अगर राज्य में कोई कदम उठाने हैं तो वो जल्दी उठाने होंगे क्योंकि 2027 में चुनाव होने हैं और चुनाव के करीब मुख्यमंत्री बदलने जैसे कदम नहीं उठाए जा सकते।’ हालिया घटनाक्रम के बाद केशव प्रसाद मौर्य बार-बार 2027 चुनाव की बात करते दिखे हैं।

केशव प्रसाद मौर्य बीजेपी के लिए अहम क्यों?

केशव प्रसाद मौर्य शुरुआती दिनों में आरएसएस और वीएचपी से जुड़े रहे। वो आरएसएस-बीजेपी का मौर्य चेहरा हैं और वो हिन्दुत्व की राजनीति में बीजेपी की उस रणनीति का हिस्सा हैं, जिसमें ग़ैर-यादव ओबीसी समुदाय को साधने की कोशिश की जा रही है।

केशव प्रसाद मौर्य दावा करते हैं कि वो बचपन में चाय और अखबार बेचते थे।

बीजेपी पीएम मोदी की तरह केशव प्रसाद मौर्य की ओबीसी पहचान को प्रमुखता से बताती है।

केशव मौर्य गोरक्षा अभियान में भी काफ़ी सक्रिय रहे और वो राम जन्मभूमि आंदोलन में भी शामिल थे।

बीजेपी के भीतर केशव मौर्य क्षेत्रीय समन्वयक, पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ और किसान मोर्चा के अध्यक्ष भी रहे। केशव प्रसाद मौर्य यूपी में चार बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। मगर सिफऱ् साल 2012 में वो विधायकी का चुनाव जीत पाए थे। 2014 में केशव प्रसाद मौर्य फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़े थे और तीन लाख से ज़्यादा वोटों से ऐतिहासिक जीत हासिल की थी। इस सीट पर बीजेपी पहली बार जीत सकी थी। 

2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले उन्हें उत्तर प्रदेश में बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया। मौर्य को बीजेपी की कमान सौंपने के पीछे का मक़सद ग़ैर-यादव ओबीसी वोटरों को आकर्षित करना था।

केशव प्रसाद मौर्य की जाति पूरे उत्तर प्रदेश में है। इस जाति की पहचान अलग-अलग नामों से है। जैसे- मौर्य, मोराओ, कुशवाहा, शाक्य, कोइरी, काछी और सैनी। ये सभी मिलाकर उत्तर प्रदेश की कुल आबादी में 8।5 फ़ीसदी हैं। (bbc.com/hindi)


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