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हाथरस हादसा: यूपी पुलिस में सिपाही रहे सूरजपाल जाटव कैसे बने ‘भोले बाबा’
03-Jul-2024 3:14 PM
हाथरस हादसा: यूपी पुलिस में सिपाही रहे सूरजपाल जाटव कैसे बने ‘भोले बाबा’

FB/SAKAR VISHWA HARI सूरजपाल जाटव को कऱीब 28 साल पहले छेडख़ानी के एक मामले में यूपी पुलिस से निलंबन की सज़ा मिली थी


-दिनेश शाक्य

उत्तर प्रदेश में हाथरस जि़ले के सिकन्द्राराऊ इलाके के पुलराई गाँव में आयोजित एक सत्संग में मची भगदड़ से अब तक 122 लोगों की मौत हो चुकी है।

अब यह सवाल उठ रहा है कि सत्संग किसका था?

यह सत्संग नारायण साकार हरि नाम के कथावाचक का था, जिसके पोस्टर हाथरस की सडक़ों पर लगाए गए थे।

इस कथावाचक को लोग भोले बाबा और विश्व हरि के नाम से भी जानते हैं।

जुलाई महीने के पहले मंगलवार को होने वाले आयोजन को मानव मंगल मिलन कहा गया था और उसके आयोजक के तौर पर मानव मंगल मिलन सद्भावना समागम समिति का नाम है।इस समिति के छह आयोजकों के नाम भी हैं, लेकिन उन सबके मोबाइल बंद हैं और स्थानीय पुलिस का संपर्क भी इन लोगों से नहीं हो पाया है।

यूपी पुलिस में कॉन्स्टेबल

हालांकि इन लोगों के बारे में अलीगढ़ के पुलिस महानिरीक्षक शलभ माथुर ने बताया, ‘सत्संग समारोह के आयोजक मंडल और बाबा के खिलाफ संगीन धाराओं में मामला दर्ज कर लिया गया है।’

‘आयोजक मंडल के सदस्यों और भोले बाबा की भी तलाश की जा रही है लेकिन सभी ने अपने-अपने मोबाइल को बंद कर रखा है। इसलिए सभी के बारे में सही और सटीक सूचनाएं नहीं मिल पा रही हैं।’

सत्संग वाले बाबा की असली कहानी किसी फि़ल्मी कहानी से कम नहीं है।

सूरजपाल जाटव नामक पूर्व पुलिस कॉन्स्टेबल ने नौकरी छोडक़र यह रास्ता अपनाया और देखते-देखते लाखों भक्त बना लिए।

आइए जानते हैं कि भोले बाबा नारायण साकार हरि उफऱ् सूरजपाल जाटव कौन हैं?

नारायण साकार हरि एटा जिले से अलग हुए कासगंज जि़ले के पटियाली के बहादुरपुर गांव के निवासी हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस की नौकरी के शुरुआती दिनों में वे स्थानीय अभिसूचना इकाई (एलआईयू) में तैनात रहे और करीब 28 साल पहले छेडख़ानी के एक मामले में अभियुक्त होने के कारण निलंबन की सज़ा मिली।

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निलंबन के कारण सूरजपाल जाटव को पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। हालांकि इससे पहले सूरजपाल जाटव करीब 18 पुलिस थाना और स्थानीय अभिसूचना इकाई में अपनी सेवाएं दे चुके थे।

इटावा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजय कुमार बताते हैं कि छेडख़ानी वाले मामले में सूरजपाल एटा जेल में काफी लंबे समय तक कैद रहे और जेल से रिहाई के बाद ही सूरजपाल बाबा की शक्ल में लोगों के सामने आए।

पुलिस की नौकरी छोडऩे का फैसला

पुलिस सेवा से बर्खास्त होने के बाद सूरजपाल अदालत की शरण में गए फिर उनकी नौकरी बहाल हो गई लेकिन 2002 में आगरा जिले से सूरजपाल ने वीआरएस ले लिया।

पुलिस सेवा से मुक्ति के बाद सूरजपाल जाटव अपने गांव नगला बहादुरपुर पहुँचे, जहाँ कुछ दिन रुकने के बाद उन्होंने ईश्वर से संवाद होने का दावा किया और खुद को भोले बाबा के तौर पर स्थापित करने की दिशा में काम शुरू किया।

कुछ सालों के अंदर ही उनके भक्त उन्हें कई नामों से बुलाने लगे और इनके बड़े-बड़े आयोजन शुरू हो गए, जिनमें हजारों लोग शरीक होने लगे।

इटावा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजय कुमार ने बताया कि 75 साल के सूरजपाल उर्फ भोले बाबा तीन भाई हैं।

सबसे बड़े सूरजपाल है, दूसरे नंबर पर भगवान दास हैं, जिनकी मौत हो चुकी है जबकि तीसरे नंबर पर राकेश कुमार हैं, जो पूर्व में ग्राम प्रधान भी रह चुके हैं।

इस बात की पुष्टि हुई है कि अपने गाँव में अब बाबा का आना-जाना कम रहता है।

हालांकि बहादुरपुर गांव में उनका चैरिटेबल ट्रस्ट अब भी सक्रिय है।

अपने सत्संगों में नारायण साकार ने यह दावा कई दफा किया है कि उन्हें यह नहीं मालूम कि सरकारी सेवा से यहां तक खींचकर कौन लाया।

बिना दान दक्षिणा के कई आश्रम

दिलचस्प ये भी है कि नारायण साकार अपने भक्तों से कोई भी दान, दक्षिणा और चढ़ावा आदि नहीं लेते हैं लेकिन इसके बावजूद उनके कई आश्रम स्थापित हो चुके हैं।

उत्तर प्रदेश में कई दूसरे स्थानों पर स्वामित्व वाली ज़मीन पर आश्रम स्थापित करने का दावा भी किया जा रहा है।

नारायण साकार हरि अपने सत्संगों में अपने भक्तों की सेवा सेवादार बनकर करते नजर आते हैं। बहुत संभव है कि ये सब वह अपने भक्तों में लोकप्रिय होने के लिए सोच समझकर करते हों।

वह हमेशा सफेद कपड़ों में दिखते हैं। नारायण साकार पायजामा कुर्ता, पैंट-शर्ट और सूट तक में नजर आते हैं।

हालांकि इंटरनेट पर वह बहुत लोकप्रिय नहीं हैं। सोशल मीडिया पर उनके भक्तों की बहुत मौजूदगी नहीं दिखाई देती है।

उनके फेसबुक पेज आदि पर बहुत ज़्यादा लाइक्स नहीं हैं लेकिन जमीनी स्तर पर उनके भक्तों की संख्या लाखों में है। उनके हर सत्संग के दौरान हज़ारों भक्तों की भीड़ दिखाई देती है।

ऐसे आयोजनों में सैकड़ों स्वयं सेवक और स्वयं सेविकाएं सेवा की कमान संभालती हैं।

पानी, भोजन से लेकर ट्रैफिक की व्यवस्था सुचारू रूप से चले, इसकी कोशिश की भी भक्तों की समिति करती है।

यूपी पुलिस सेवा से क्षेत्राधिकारी के रूप में सेवा मुक्त हो चुके रामनाथ सिंह यादव बताते हैं, ‘भोले बाबा का आज से तीन साल पहले इटावा के नुमाइश मैदान में भी एक माह तक सत्संग समागम का आयोजन हुआ था। इसमें अफरातफरी का माहौल देखने को मिला था। आयोजन के आसपास वाली कॉलोनी में रहने वाले लोगों ने प्रशासनिक अधिकारियों से आगे भविष्य में बाबा के कार्यक्रम की अनुमति न देने की भी गुहार लगाई थी।’

भक्तों की दलील

नारायण साकार के भक्तों में समाजवादी पार्टी के नेता अनवर सिंह जाटव भी शामिल हैं। अनवर सिंह जाटव बताते हैं कि बाबा अपने सत्संग में लोगों के बीच मानवता का संदेश देते हैं।

उन्होंने बताया, ‘वे लोगों को प्रेम से रहने का भरोसा देते हैं। साथ ही एकजुट रहने की भी अपील करते हैं।’

अनवर सिंह जाटव के मुताबिक नारायण सरकार अपने सत्संगों में मोबाइल के प्रचलन की आलोचना करते हैं।

जाटव के मुताबिक जहाँ-जहाँ प्रवचन होता है, वहाँ एक कमिटी का गठन किया जाता है और उस कमिटी के सभी लोगों को जिम्मेदारी सौंप दी जाती है।

सत्संग को सफलतापूर्वक संपन्न कराने के लिए कमिटी के सदस्य आपस में चंदा इक_ा करते हैं और कार्यक्रम आयोजित कराते हैं।

इटावा में मानव मंगल मिलन सेवा समिति के बैनर तले सत्संग का आयोजन हुआ था।

समिति अध्यक्ष राजकिशोर यादव बताते हैं, ‘जब कभी भी बाबा का कोई सत्संग कार्यक्रम होता है तो उनको इस बात की सूचना दे दी जाती है, जिसके आधार पर कमिटी के माध्यम से संपूर्ण व्यवस्था होती है।’ (bbc.com/hindi)


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