सरगुजा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
लखनपुर, 31 मार्च। वन परिक्षेत्र के वनांचल गांवों में जंगली हाथियों के आने और आतंक मचाने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। इसी कड़ी में लब्जी के आश्रित ग्राम जामा, लोटाढोढ़ी में 28-29 मार्च की दरमियानी रात एक बार फिर जंगली हाथियों के झुंड ने उत्पात मचाते हुए घरों को तोडक़र क्षतिग्रस्त कर दिया है।
ग्रामीण जंगली हाथियों के खौफ के साये में रतजगा करते हुए अपने जान-माल की हिफाजत करने मजबूर हैं। वन अमला जंगली हाथियों को अन्यत्र खदेडऩे तथा हुए क्षति का आंकलन करने जुटी है तथा ग्रामीणों को जंगली हाथियों से छेड़छाड़ नहीं करने सलाह दी जा रही है।
ग्रामीणों की मानें तो विगत कुछ महीने पूर्व माह नवम्बर-दिसम्बर में धरमजयगढ़ मैनपाट की ओर से आकर जंगली हाथियों के दल ने इन गांवों में उत्पात मचाया था। फसल ही नहीं वरन मकानों को तोडक़र तबाह कर दिया था। अभी उस तबाही का जख्म भरा भी नहीं था कि पुन: जंगली हाथियों का दल उत्पात मचाने चले आए हैं।
ग्रामीणों का यह भी कहना है कि पहले जंगली हाथियों ने जो क्षति पहुंचाया था, उसका शासन द्वारा निर्धारित मुआवजा भी प्रभावित गरीब परिवारों को नहीं मिल पाई है।
जंगली हाथियों के बार-बार आ धमकने तथा मकानों को क्षति पहुंचाये जाने से ग्रामवासी काफी भयभीत एवं परेशान हैं। हाथियों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा। आसपास के गांवों में भी हाथियों का दहशत बना हुआ है। क्षेत्रवासियों ने वन विभाग पर गैरजिम्मेदारी का आरोप लगाते हुए कहा कि वन अमला जंगली हाथियों को अन्यत्र खदेडऩे तो दूर प्रभावित गांवों को देखने तक नहीं पहुंचे हैं।
वन परिक्षेत्र अधिकारी सूर्यकांत सोनी ने बताया कि लब्जी जंगल में पहुंचे जगली हाथियों की संख्या 1 से लेकर 8 तक हो सकती है। वन अमला सतत निगरानी करते हुए जंगली हाथियों पर नजर रखे हुए है। पिछले सत्र के हुए क्षति और मुआवजा के संबंध में रेंजर ने बताया कि प्रभावितों की मुआवजे की राशि हफ्ते डेढ़ के अंदर उनके बैंक खातों में डाल दी जाएगी। कुछ कारणवश मुआवजे की राशि प्रभावितों के खातों में नहीं डाले जा सके थे।