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महावीर अस्पताल के संचालक पर लगाए आरोप बेबुनियाद
18-Nov-2025 11:04 PM
महावीर अस्पताल के संचालक पर  लगाए आरोप बेबुनियाद

हाईकोर्ट ने अधिवक्ता नीरज वर्मा की याचिका की खारिज

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

अंबिकापुर,18 नवंबर। अंबिकापुर महावीर अस्पताल के संचालक डॉ. सुधांशु किरण पर लगाए गए आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद और झूठा साबित हुए। हाईकोर्ट ने अधिवक्ता नीरज वर्मा की याचिका को खारिज कर दिया है।

अंबिकापुर के अधिवक्ता नीरज वर्मा ने ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट, अंबिकापुर के सामने एक कंप्लेंट केस फाइल किया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि श्री महावीर हॉस्पिटल में गत दिनों उनकी बेटी  आंचल वर्मा को गंभीर हालत में  हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था,उसे टाइफाइड और डेंगू का पता चला था और क्योंकि प्लेटलेट काउंट कम हो रहा था, इसलिए ब्लड ट्रांसफ्यूजन की ज़रूरत थी और इसलिए, दो यूनिट ब्लड की ज़रूरत थी। इलाज के दौरान अस्पताल के संचालक डॉ. सुधांशु किरण और अधिवक्ता नीरज वर्मा के बीच कुछ कहासुनी हुई।

नीरज वर्मा का आरोप था कि उनके साथ बुरा बर्ताव किया गया और सभी सुविधाएं होने के बाद भी मरीज़ का इलाज करने से मना किया गया था। चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट,अंबिकापुर के आदेश पर गांधी नगर पुलिस ने अस्पताल संचालक पर एफआईआर दर्ज किया था। मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। वकील टी.के. झा ने कहा कि पिटीशनर पर लगाए गए आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद और झूठे हैं। असल में, बेड की कमी थी क्योंकि कैजुअल्टी में सिफऱ् 2 बेड थे, जो भरे हुए थे और इसलिए, डॉ. सुधांशु किरण ने अधिवक्ता नीरज वर्मा को कुछ समय इंतज़ार करने की सलाह दी थी ताकि जैसे ही बेड खाली हो, उसकी बेटी को बेड दिया जा सके, लेकिन इंतज़ार करने के बजाय,अधिवक्ता नीरज वर्मा ने डॉ. सुधांशु किरण के साथ बुरा बर्ताव करना शुरू कर दिया और खुद अपनी बेटी को डिस्चार्ज करने के लिए कहा।

अधिवक्ता नीरज वर्मा ने मामले की शिकायत पुलिस स्टेशन, गांधीनगर में लिखित शिकायत की, लेकिन शिकायत में कोई सबूत न मिलने के कारण उसे दर्ज नहीं किया गया। इसलिए, अधिवक्ता नीरज वर्मा ने डॉ. सुधांशु किरण  के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग करते हुए मजिस्ट्रेट के सामने शिकायत दर्ज कराई।

श्री झा का कहना है कि अगर उनके हॉस्पिटल में कोई बेड खाली नहीं था, तो यह कोई जुर्म नहीं बनता और अधिवक्ता नीरज वर्मा ने बेवजह पिटीशनर को झूठे केस में फंसाया है।

 दूसरी ओर अस्पताल संचालक डॉ. सुधांशु किरण की ओर से पेश हुए सरकारी वकील मिस्टर पांडे का कहना है कि अधिवक्ता नीरज वर्मा ने डॉ. सुधांशु किरण के खिलाफ एफ आईआरदर्ज करने की कोशिश की थी, लेकिन, क्योंकि उनकी शिकायत में कोई दम नहीं था, इसलिए वह दर्ज नहीं की गई, लेकिन, मजिस्ट्रेट के निर्देश के बाद, पुलिस ने 15 जुलाई.2025 को एफआईआर दर्ज कर ली।

उन्होंने आगे कहा कि पिटीशनर के पास सेशंस कोर्ट जाने का रास्ता है, लेकिन पिटीशनर जल्दबाजी में इस कोर्ट में आ गया है और इसलिए, यह पिटीशन खारिज करने लायक है।

दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट के जज ने अंबिकापुर के चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के 17 जून 2025 के ऑर्डर को रद्द करना सही समझते हैं और आईपीसी के सेक्शन 270 और 294 के तहत अपराधों के लिए पुलिस स्टेशन, अंबिकापुर देहात (गांधीनगर) में दर्ज क्राइम नंबर 400/2025 वाली एफआईआर को रद्द करने का निर्देश दिया।


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