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युवाओं ने दिखाया 2047 के छत्तीसगढ़ का सपना
09-Sep-2025 10:31 PM
युवाओं ने दिखाया 2047 के छत्तीसगढ़ का सपना

राज्य की रजत जयंती श्रृंखला: के आर टेक्निकल कॉलेज में संगोष्ठी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

अंबिकापुर 9 सितंबर। के.आर. टेक्निकल कॉलेज संजय नगर में छत्तीसगढ़ राज्य की रजत जयंती श्रृंखला के अंतर्गत ‘छत्तीसगढ़ 50 एवं विकसित छत्तीसगढ़ 2047’ विषय पर संगोष्ठी का भव्य आयोजन किया गया। यह आयोजन महाविद्यालय परिवार और विद्यार्थियों के लिए एक प्रेरणादायी अवसर रहा, जिसमें प्रदेश की उपलब्धियों, चुनौतियों और भविष्य की संभावनाओं पर विस्तृत चर्चा की गई।

संगोष्ठी का शुभारम्भ में प्राचार्य डॉ. रितेश वर्मा ने स्वागत उद्बोधन देते हुए ‘विकसित छत्तीसगढ़ 2047’ विषय पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि भूमि, जल, खनिज, भाषा और संस्कृति छत्तीसगढ़ की विशिष्ट पहचान हैं। जब तक स्थानीय निवासियों की सक्रिय भागीदारी नहीं होगी, विकास अधूरा रहेगा।

डॉ. वर्मा ने कहा कि सन् 2047 तक आत्मनिर्भर और विकसित छत्तीसगढ़ का निर्माण केवल सरकार का नहीं बल्कि प्रत्येक नागरिक का दायित्व है। शिक्षा, तकनीकी नवाचार और युवा शक्ति के सहयोग से ही हम आने वाले वर्षों में समृद्ध राज्य का निर्माण कर सकते हैं। डॉ. वर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ में संसाधनों की कोई कमी नहीं है, आवश्यकता है केवल जागरूकता और योजनाबद्ध प्रयासों की।

इसके उपरांत निदेशक डॉ. रीनू जैन ने ‘छत्तीसगढ़ 50’ विषय पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की औद्योगिक आधारशिला धान, कोयला, लौह अयस्क, भिलाई इस्पात संयंत्र, बालको और कोयला खदानों से बनी है। राज्य के प्रत्येक संभाग में चिकित्सा महाविद्यालय की स्थापना, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, प्रबंधन संस्थान तथा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं की उपस्थिति ने शिक्षा और स्वास्थ्य को नई ऊँचाइयाँ प्रदान की हैं। साथ ही मोबाइल अनुप्रयोगों और डिजिटलीकरण के माध्यम से योजनाओं की सीधी पहुँच आमजन तक पहुँची है। उन्होंने कहा कि यद्यपि उपलब्धियाँ उल्लेखनीय हैं, परंतु चुनौतियाँ अभी भी विद्यमान हैं—नियोजन की कमी, पलायन, शिक्षा व्यवस्था में सुधार और रोजगार सृजन की आवश्यकता प्रमुख है। सडक़, रेल और वायु सेवाओं का विस्तार भी समय की माँग है।

विद्यार्थियों ने भी संगोष्ठी में सक्रिय भागीदारी की। आस्था चक्रधर (एम.एससी. प्राणीशास्त्र), नैंसी (एम.एससी. रसायनशास्त्र), मनोज यादव (बी.बी.ए.), ओनिका राही (बी.एससी. गणित), स्नेहा (एम.एससी. वनस्पति शास्त्र), आकाश साहू (बी.कॉम), पदमा पैकरा (बी.बी.ए.), भागवत (एम.एससी. वनस्पति शास्त्र), निजामुद्दीन (बी.ए.), अविना बारा (एम.एससी. प्राणीशास्त्र) और वीरेंद्र केरकेट्टा (बी.एससी. गणित) ने विभिन्न विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत किए। विद्यार्थियों ने छत्तीसगढ़ की परंपरा, जनजातीय चिकित्सा पद्धति, प्राकृतिक संसाधन, महिला सशक्तिकरण, शिक्षा, उद्यमिता और तकनीकी नवाचार जैसे विषयों पर सारगर्भित प्रस्तुति दी। निर्णायक मंडल ने विद्यार्थियों के सुझावों और रचनात्मक विचारों की सराहना करते हुए सभी को प्रमाणपत्र प्रदान किए। साथ ही स्नातक और स्नातकोत्तर वर्ग से एक-एक प्रतिभागी को प्रथम पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में वाणिज्य विभागाध्यक्ष सुश्री ललिता, राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी श्री विनितेश गुप्ता, सहायक प्राध्यापक सुश्री अंशिका सिंह और सुश्री आशा यादव की महत्वपूर्ण भूमिका रही। मंच संचालन बी.बी.ए. प्रथम सत्र की छात्रा ईसा सरकार ने किया। समापन अवसर पर कार्यक्रम प्रमुख  ललिता ने सभी का आभार व्यक्त किया और कहा कि यह कार्यक्रम सभी के सहयोग से सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।

संगोष्ठी का आयोजन प्राचार्य डॉ. रितेश वर्मा के मार्गदर्शन में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम ने न केवल विद्यार्थियों को प्रदेश के इतिहास और वर्तमान से परिचित कराया, बल्कि उन्हें भविष्य के छत्तीसगढ़ की दिशा में सोचने के लिए भी प्रेरित किया।


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