सरगुजा

शिक्षा व्यवस्था को भ्रष्टाचार से मुक्त करने की आवश्यकता- कुलपति प्रेम प्रकाश सिंह
09-Sep-2025 10:30 PM
 शिक्षा व्यवस्था को भ्रष्टाचार से मुक्त करने की आवश्यकता- कुलपति प्रेम प्रकाश सिंह

ब्रह्माकुमारीज में शिक्षकों का सम्मान

अंबिकापुर,9 सितंबर। आज भ्रष्टाचार सभी सरकारी और गैर सरकारी तंत्र में प्रवेश कर चुका है और हमारी शिक्षा व्यवस्था एवं अनेक शिक्षक भी इससे अछूते नहीं है। आज शिक्षा व्यवस्था में उच्च पदों पर आसीन उच्च शिक्षित व्यक्ति भी भ्रष्टाचार में संलिप्त हैं तथा उनके आचरण में दोहरापन है, वे बातें अथवा भाषण तो बहुत अच्छी कर रहे हैं परंतु आचरण एवं व्यवहार इसके विपरीत है, जिस पर गहन चिंतन की आवश्यकता है। उक्त विचार संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय, सरगुजा के कुलपति प्रोफेसर प्रेम प्रकाश सिंह ने शिक्षक दिवस के अवसर पर ब्रह्माकुमारीज द्वारा नव विश्व भवन में आयोजित शिक्षको के सम्मान समारोह में व्यक्त की।

उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा हमें गलत के विरुद्ध खड़े होने का साहस प्रदान करता है, हमारे अभिभावकों को भी अपनी जिम्मेवारी समझते हुए विद्यालयों एवं कॉलेज में शिक्षण कार्य का सतत निरीक्षण करना चाहिए ताकि उनके बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त हो सके। उन्होंने अपने शिक्षक जीवन के अनुभवों को साझा करते हुए  सभी शिक्षकों को भय लोभ ईर्ष्या से मुक्त होकर निर्भीक और साहस के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने की प्रेरणा दी।

  ब्रह्माकुमारी सेवा केंद्र की संचालिका ब्रह्माकुमारी विद्या दीदी ने शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षकों के हाथों में आने वाली पीढ़ी का भविष्य होता है जिसे शिक्षक श्रृंगारता  एवं संवारता है आज की शिक्षा व्यवस्था मुख्यत: किताबें एवं डिग्रियों तक सीमित हो गई है जिसमें आध्यात्मिकता के समावेश की नितांत आवश्यकता है। इसी के द्वारा हमारा जीवन मूल्यवान बनेगा। आध्यात्मिकता शब्द में अध्ययन समाहित है जिसका अर्थ है स्वयं अर्थात आत्मा का अध्ययन, आत्मा के पिता परमात्मा का अध्ययन एवं परमात्मा द्वारा प्रदत ज्ञान का अध्ययन! इसी आध्यात्मिक ज्ञान से हमारे अंदर दया ,करुणा, संतुष्टता, एक दूसरे के प्रति सम्मान जागृत होता है और हम संस्कारी एवं सेवाभावी बनते हैं जिसके बिना हम कितने भी शिक्षित एवं समृद्ध बन जाए परंतु हमारा जीवन न स्वयं और न ही समाज के लिए हितकारी एवं सार्थक होता है! अंत में उन्होंने राजयोग मेडिटेशन की गहन अनुभूति कराई।

 श्री साई बाबा आदर्श महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ राजेश श्रीवास्तव ने शिक्षक दिवस की बधाई देते हुए कहा कि भारत का इतिहास गुरु शिष्य की गौरवशाली परंपरा से भरा हुआ है। आज आवश्यकता है कि हम स्वयं को एक वेतन भोगी कर्मचारी ना समझते हुए गुरु समझे एवं अनुशासन की छड़ी द्वारा विद्यार्थियों के सुंदर भविष्य का निर्माण करें।

 उन्होंने सरकार से अपील की कि आई. ए. एस. और आई. पी. एस. की तरह आई. टी. एस. अर्थात इंडियन टीचर सर्विस भी होना चाहिए जो आज की शिक्षा व्यवस्था की कमियों को दूर कर एक स्वतंत्र एवं सशक्त शिक्षा प्रणाली का संचालन कर सके।

केंद्रीय विद्यालय अंबिकापुर के प्राचार्य राजेश प्रसाद ने कहा कि गुरु शब्द में गु का अर्थ अंधकार एवं रु का अर्थ प्रकाश होता है। गुरु अर्थात अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला, इसके लिए इस बात की आवश्यकता है की शिक्षा और आध्यात्म एक साथ आए। आज बच्चों को सुसंस्कारित बनाने की महती जिम्मेदारी हमारे शिक्षकों पर हैं। शिक्षक केवल एक शब्द नहीं बल्कि जिस तरह माली पौधों को काट छांट कर एक आकार देता है, कुम्हार मिट्टी को थपथपा कर एक सुंदर बर्तन बनाता है, शिल्पकार एक पत्थर से पूजनीय मूर्ति का निर्माण करता है अर्थात पत्थर में देवत्व की स्थापना करता है ठीक इसी प्रकार हमारे शिक्षक भी एक चरित्र शिल्पी हैं जो मानव में मनुष्यत्व का निर्माण करता है।

कार्यक्रम में शासकीय कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग कॉलेज अंबिकापुर के एचओडी डॉ. मोहन राव मामडीकर, आईटीआई अंबिकापुर की प्रिंसिपल पूर्णिमा पटेल एवं  समग्र शिक्षा के एपीसी संजय सिंह ने भी शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं व्यक्त करते हुए अपने विचार रखें।

कार्यक्रम में 150 से भी अधिक शिक्षक उपस्थित रहे, जिनका तिलक एवं सम्मानीय पट्टिका से स्वागत किया गया तथा पौधा एवं ईश्वरीय सौगात देकर सम्मानित किया गया।

समाज सेवक अनिल मिश्रा के पिता स्व.  श्याम सुंदर मिश्रा की स्मृति में उनकी ओर से सभी शिक्षकों को सम्मान स्वरूप डायरी एवं पेन भेंट की गई। गुरुओं के सम्मान में रेखा बहन ने गीत गाया एवं अदिति शगुन मान्या तथा उनके साथियों ने सुंदर नृत्य की प्रस्तुति दी।

मंच का संचालन ब्रह्माकुमारी प्रतिमा बहन ने किया। कार्यक्रम में उप यातायात प्रभारी अभय तिवारी, समाजसेवक मंगल पांडे, नवीन गोयल, डॉ. संजय गोयल एवं बड़ी संख्या में  नगरवासी उपस्थित रहे।


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