सरगुजा
अंबिकापुर, 22 अगस्त। गैर-राजनीतिक संगठन आजाद सेवा संघ ने शुक्रवार को राज्यपाल को एक विस्तृत और मार्मिक पत्र लिखकर शैक्षणिक सत्र 2025-26 में स्नातक और स्नातकोत्तर प्रथम सेमेस्टर में प्रवेश की अंतिम तिथि को 10 दिनों तक बढ़ाने का आग्रह किया है। संघ के प्रदेश सचिव रचित मिश्रा ने इस संबंध में छात्रों की ओर से यह महत्वपूर्ण अपील की है।
श्री मिश्रा ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों में प्रवेश की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। प्रवेश प्रक्रिया 14 अगस्त, 2025 को समाप्त हो चुकी है,लेकिन अधिकांश महाविद्यालयों में बड़ी संख्या में सीटें खाली पड़ी हैं।कुछ महाविद्यालयों में तो आवंटित सीटों का आधे से भी कम हिस्सा ही भर पाया है।यह स्थिति न केवल महाविद्यालयों के लिए चिंता का विषय है, बल्कि हजारों छात्रों के भविष्य पर भी प्रश्नचिह्न लगा रही है।
इसके पीछे कई प्रमुख कारण हैं। बड़ी संख्या में छात्र ऐसे हैं जो विभिन्न तकनीकी, मेडिकल, या अन्य व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए अंतिम समय तक प्रयासरत थे। अब जब वहां उन्हें सीट नहीं मिल पाई है, तो वे सामान्य महाविद्यालयों में प्रवेश लेना चाहते हैं, परंतु अंतिम तिथि बीत जाने के कारण वे शिक्षा से वंचित हो रहे हैं। यह स्थिति उन मेहनती और मेधावी छात्रों के लिए निराशाजनक है जो केवल एक प्रशासनिक समय-सीमा के कारण अपना एक साल बर्बाद होने के कगार पर हैं। छात्रों और उनके अभिभावकों में इस बात को लेकर घबराहट और अनिश्चितता का माहौल है।
आजाद सेवा संघ ने इस पत्र में पिछले शैक्षणिक सत्र 2024-25 के एक महत्वपूर्ण निर्णय का भी उल्लेख किया। उस समय, उच्च शिक्षा विभाग, मंत्रालय ने छात्रहित को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए सीटों के रिक्त रहने की स्थिति में प्रवेश की अंतिम तिथि को बढ़ाकर 30 सितंबर, 2024 तक कर दिया था। उस ऐतिहासिक निर्णय ने हजारों छात्रों के शैक्षणिक भविष्य को सुरक्षित किया था और उन्हें अपनी पढ़ाई जारी रखने का अवसर दिया था। यह उदाहरण स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि छात्रों के भविष्य को बचाने के लिए ऐसी आपातकालीन स्थितियों में समय-सीमा में लचीलापन आवश्यक है। संघ ने राज्यपाल से विनम्र अनुरोध किया है कि वे वर्तमान सत्र में महाविद्यालयों में प्रवेश की न्यूनतम स्थिति और छात्रों की व्यापक मांग को देखते हुए प्रवेश की अंतिम तिथि को कम से कम 10 दिनों के लिए बढ़ाने का निर्देश जारी करें।
इसे एक विशेष प्रवेश अभियान के रूप में देखा जाना चाहिए, जिसका उद्देश्य किसी भी योग्य छात्र को शिक्षा के अधिकार से वंचित न होने देना है। यह कदम न केवल छात्रों के भविष्य को उज्ज्वल करेगा, बल्कि प्रदेश की उच्च शिक्षा व्यवस्था में उनकी भागीदारी को भी सुनिश्चित करेगा।


