सरगुजा

45 साल से जारी है परंपरा, जगह-जगह स्वागत, कई जगह भंडारे का आयोजन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अम्बिकापुर, 26 फरवरी। शिवशंकर कीर्तन मंडली द्वारा महाशिवरात्रि पर्व पर 45वें वर्ष में परंपरा के अनुरूप भोलेनाथ की अनोखी बारात बाजे-गाजे के साथ निकाली गई। झूमते-नाचते शिवभक्तों की टोली बारात में शामिल होकर नगर के मुख्य मार्गों से होते हुए देर रात पुलिस लाइन स्थित मां गौरी मंदिर पहुंची, जहां महाकाल शंकर और मां गौरी का शुभविवाह हुआ। यहां भंडारे का प्रसाद ग्रहण करने बड़ी संख्या में शहरवासी पहुंचे।
बारात दौरान महाकाल की पूजा-अर्चना के लिए जगह-जगह श्रद्घालुओं की भीड़ उमड़ी। बारातियों के स्वागत के साथ ही विधि-विधान से महाकाल की पूजा-अर्चना की गई।
श्री शिव शंकर कीर्तन मंडली द्वारा महाशिवरात्रि पर महाकाल शंकर की बारात निकालने की परंपरा का यह 45वां वर्ष है। इसी परंपरा के अनुरूप शुक्रवार को बाजे-गाजे के साथ भव्य बारात निकाली गई। महाकाल की बारात जैसे ही मंदिर से बाहर बाजे-गाजे के बीच निकली, श्रद्घालु महिलाओं के कदम थिरकने लगे।
दोपहर दो बजे निकलने वाली महाकाल की बारात लगभग चार बजे सहेली गली प्रतापपुर नाका स्थित श्री शिव मंदिर से निकली। आतिशबाजी के बीच रास्ते में भूत-प्रेत की टोलियां, किन्नर, गंधर्व का रूप धारण किए युवा भी शामिल हुए। डीजे की धुन पर थिरकते शिवभक्तों के कारण वातावरण शिवमय था। भोलेनाथ की बारात प्रतापपुर नाका, भट्टी रोड, जोड़ा पीपल, देवीगंज रोड, स्कूल रोड होते हुए देर शाम पुलिस लाइन स्थित मां गौरी मंदिर पहुंची, जहां रात्रि में शुभविवाह के साथ धार्मिक अनुष्ठान हुआ। इस अवसर पर विशाल भंडारे का भी आयोजन किया गया था, जिसमें बड़ी संख्या में शहरवासी प्रसाद ग्रहण करने के लिए पहुंचे।
गुरुवार को बारात वापस सहेली गली स्थित शिव मंदिर पहुंचेगी, जहां आशीर्वाद समारोह के रूप में महाआरती पश्चात शाम सात बजे से विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा।
ज्ञात हो कि महाशिवरात्रि के अवसर पर महाकाल के बारात निकलने का इंतजार शहरवासियों को रहता है। महाशिवरात्रि पर निकलने वाली बारात अब आमजनों के लिए उत्सवी रूप ले चुका है। इस आयोजन में सहभागिता के लिए सामान्य शादी-विवाह के समान ही शहर में शादीकार्ड का वितरण भी किया जाता है।
महाकाल की ओर से वर पक्ष द्वारा तथा मां-गौरी की ओर से कन्या पक्ष द्वारा विवाह कार्ड शहर में वितरित कर आयोजन में सहभागी बनने आग्रह किया जाता है। इन सबके बीच महाकाल शंकर और गौरी के विवाह के मौके पर बड़ी संख्या में शहरवासी शामिल होने के लिए पहुंचते हैं।