सरगुजा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
अम्बिकापुर, 14 सितंबर। वर्ष 1949 में 14 सितंबर को ही भारत की संविधान सभा में हिंदी को देश की औपचारिक भाषा का दर्जा दिया गया था। इस दिन को खास बनाने के लिए हर साल इसी तारीख को हिंदी दिवस मनाया जाता है। उक्ताशय के विचार कार्यक्रम की संयोजिका संस्कृति श्रीवास्तव ने हिंदी के महत्व पर बोलते हुए सेजेस केशवपुर के प्रांगण में आयोजित हिंदी दिवस में कही।
प्रमुख वक्त राज्यपाल से पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक अंचल कुमार सिन्हा ने कहा कि भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 14 सितंबरको हिंदी दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया था। हिंदी भाषा देश की एकता का सूत्र है। पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति का प्रचार करने का श्रेय एक मात्र हिंदी भाषा को जाता है। भाषा की जननी और साहित्य की गरिमा हिंदी भाषा जन-आंदोलनों की भी भाषा रही है।
हिन्दी भाषा का प्रमुख गुण है - दूसरी भाषा के शब्दों को अपनाना। हिन्दी का यह एक विशेष गुण है कि उसने हिन्दुओं की भाषा होते हुए भी अरबी, फारसी, अंग्रेजी इत्यादि के शब्दों को अछूता नहीं समझा। भारत के अलावा मॉरीशस, बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल, फिजी, सिंगापुर, साउथ अफ्रीका और त्रिनिदाद एवं टोबैगो देशों में हिंदी भाषा बोली जाती है। मॉरीशस, मालदीव, नेपाल, फिजी, त्रिनिडाड और टोबोगो में हिंदी राष्ट्र की प्रमुख भाषा के रूप में प्रचलित है।
कार्यक्रम में जिला ग्रंथालय के मुकेश दुबे के सहयोग से हिंदी के मूर्धन्य साहित्यकारों की पुस्तकों के अलावा ढेरों की संख्या में बाल साहित्य का अवलोकन, पठन - पाठन विद्यालय के बच्चों ने किया। सेजेस केशवपुर के बच्चों के बीच पढऩे की रूचि विकसित करने तथा हिंदी साहित्य के विभिन्न विधाओं से परिचित कराने के उद्देश्य से निबंध लेखन, कहानी पाठ एवं कविता पाठ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया तथा सभी वर्ग में प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय स्थान पर आये विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के संचालन में मुक्ता लकड़ा,निशा साहू, सुनीता पांडेय तथा प्रदीप बरई का योगदान सराहनीय रहा। कार्यक्रम का मंच संचालन सतीस भाई पटेल तथा पुरे कार्यक्रम का संचालन ओजस गुप्ता ने किया।