राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : अनुकम्पा में भी उगाही?
13-Jun-2021 5:49 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : अनुकम्पा में भी उगाही?

अनुकम्पा में भी उगाही?

अनुकंपा नियुक्ति में अनियमितता की पड़ताल चल रही है। प्रदेश में कोरोना से करीब 9 सौ अधिकारी-कर्मचारियों की मौत हुई है। सरकार ने तो उदारता दिखाते हुए दिवंगतों के आश्रितों को तुरंत नौकरी देने के लिए नियमों में संशोधन भी कर दिया। मगर कई जिलों में अफसरों ने सरकार की मंशा को पलीता लगाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी है। आपदा में पैसे कमाने के अवसर तलाश लिए गए, और चर्चा है कि अफसरों के एजेंटों ने आश्रितों से मनचाही पोस्टिंग के लिए मोल-भाव किए, और लाखों रुपए बटोरे हैं।

एक जगह गड़बड़ी पकड़ी जा चुकी है, और संकेत है कि जल्द ही इस जिले में बड़े अफसर पर गाज गिर सकती है। सुनते हैं कि रायपुर जिले में गड़बड़ी करने वाले अफसर के नाम सीएम को बता दिए गए हैं। इससे सीएम काफी खफा हैं। हालांकि अफसर के बचाव में भी कई लोग आ गए हैं। देखना है कि रायपुर में लेनदेन करने वाले अफसर के खिलाफ कार्रवाई हो पाती है अथवा नहीं।

तब रमन ने ही कलेक्टर बनाया था

रमन सिंह ने पीएससी चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी पर तीखा कटाक्ष किया है। वे यह कह गए कि भूपेश सरकार ने जिसे पीएससी का चेयरमैन बनाया है, लडक़े उनका बायोडाटा देख लें तो पीएससी की परीक्षा ही न दें। जाहिर है रमन सिंह का इशारा जांजगीर-चांपा जिले के मनरेगा घोटाले की तरफ रहा है। जिसकी जद में सोनवानी आए थे। सोनवानी उस समय जिला पंचायत सीईओ थे। मनरेगा घोटाले के चलते सोनवानी की पदोन्नति रुकी रही।

अब जब सोनवानी पर आक्षेप लग रहे हैं, तो इसकी एक वजह यह भी है कि वे जोगी सरकार में भूपेश बघेल के पीएचई मंत्री रहते विशेष सहायक रहे हैं। भूपेश बघेल के सीएम बनते ही उनके सचिवालय में पहली पोस्टिंग गौरव द्विवेदी, और टामन सिंह सोनवानी की हुई थी। ऐसे में जब पीएससी चेयरमैन पर आरोप लग रहे हैं, तो स्वाभाविक है कि सोनवानी के बहाने भूपेश बघेल को घेरने की कोशिश हो रही है। ये अलग बात है कि सोनवानी के कार्यकाल में पीएससी में भ्रष्टाचार के कोई प्रमाणिक मामले सामने नहीं आए हैं। फिर भी बरसों पुराना प्रकरण तो पीछा नहीं छोड़ रहा है। 

मुख्यमंत्री रहते हुए रमन सिंह ने ही जांजगीर के आरोपों के बाद भी सोनवानी को एक मौका देते हुए नारायणपुर कलेक्टर बनाया था। जहां सोनवानी के काम की काफी तारीफ हुई थी। इसके बाद सोनवानी को एक तरह से प्रमोशन देते हुए अपेक्षाकृत बड़े जिले कांकेर का कलेक्टर बनाया गया। एक-दो मौके पर तो रमन सिंह ने खुद उनकी तारीफ की थी।

बलरामपुर से बॉलीवुड का सफर

मराठी और हिंदी फिल्मों की अभिनेत्री मयूरी कांगो के बारे में सुना जा चुका है कि वह वर्षों तक थियेटर और फिल्मों में अपनी एक जगह बना चुकी थी पर बाद में एक बिल्कुल अलग फील्ड चुन लिया। आज वे भारत में गूगल की इंडस्ट्री हेड हैं।

अपने बलरामपुर जिले की प्रीति साय ने भी अपना कार्यक्षेत्र बदलने की चुनौती कुछ इसी तरह से ली।

माता-पिता डॉक्टर हैं। उससे भी अपेक्षा की जा रही थी वह भी इसी फील्ड में आये लेकिन उसने मना कर दिया। वह प्रशिक्षण लेकर एयर होस्टेस बन गई। पर उसका मन वहां नहीं लगा। बचपन में डांस प्रतियोगिताओं में पुरस्कार मिले। रायपुर आने के बाद उसने छत्तीसगढ़ी फिल्मों में अवसर तलाशा। काम भी किया और झारखंड फिल्म महोत्सव में पुरस्कार हासिल किया। उसे लगा कि यही दिशा सही है पर दायरा बढ़ाना होगा। वह मुम्बई चली आईं, यहां उन्हें टीवी सीरियल्स में काम मिलने लगे। उसकी प्रतिभा को अब पंख लग गये हैं। अमेजॉन प्राइम पर 18 जून को रिलीज हो रही ‘शेरनी’ फिल्म में वह मशहूर अभिनेत्री विद्या बालन के साथ ट्रांक्यूलाइजर एक्सपर्ट के रूप में दिखाई देंगीं। खुले आकाश में उडऩे का मौका मिला, शुभचिंतकों ने हौसला बढ़ाया। और प्रीति साय यहां तक पहुंच गई। 

वैक्सीन की जगह चुम्बक घुसा दी?

कोविड वैक्सीन लगाने का अभियान बीते कई महीनों से चल रहा है। देशभर में अब तक 25 करोड़ टीके लगाये जा चुके हैं। अब जाकर कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि टीके के बाद उनके हाथ में चुम्बकीय शक्ति पैदा हो गई है। लोहे के चम्मच, बर्तन, सिक्के आदि चिपकने लगे हैं। नासिक से पहला दावा किया गया था। खबर पढक़र छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव की एक पार्षद सुनीता फडऩवीस ने भी इसे आजमाया। डॉक्टरों ने जाकर परीक्षण किया तो पाया कि यह वैक्सीन के कारण नहीं हो रहा है। पर क्यों हो रहा है इस पर भी बात साफ नहीं हुई है। ऐसा सचमुच है तो फिर लाखों लोगों ने टीका लगवा लिया, एक दो ही क्यों ऐसी बात लेकर सामने आ रहे हैं।

बीबीसी, रायटर्स आदि न्यूज सर्विस ने अलग-अलग कई वैज्ञानिकों से इस बारे में बात की। उनका कहना है कि किसी भी धातु को चिपकाने के लिये कम से कम एक ग्राम चुम्बक की जरूरत पड़ेगी। फिर किसी भी वैक्सीन में लोहे के कण का इस्तेमाल ही नहीं हो रहा है। यह बात ‘कोरी बकवास’ है। तेल, गोंद या चिपकने वाली किसी दूसरे द्रव्य से जरूर ऐसा किया जा सकता है।

अभी तो जो बर्तन चिपके दिख रहे हैं, वे तो असली चुम्बक से भी नहीं चिपकते।

सोशल मीडिया पर यह जरूर चर्चा का नया विषय बन गया है। घरों में मोबाइल पर लोग एक दूसरे को ऐसी फर्जी तस्वीरें फॉरवर्ड कर रहे हैं। कुछ ने तो मोबाइल फोन भी चिपकाकर दिखा दिया है। एक तो वैक्सीनेशन को लेकर वैसे भी लोगों के बीच तरह-तरह की अफवाहें फैली हुई हैं, लोग डर भी रहे हैं। ऐसे में इस तरह की शरारतें और मुश्किल खड़ी करेंगी।

लेकिन दुनिया के इतिहास में कई दशक से ऐसी तस्वीरें आती रहती हैं, जिनमें इंसानों के बदन से बर्तन चिपके दिखते हैं। उस वक्त तो न कोरोना था, न उसकी वैक्सीन।

विकिपीडिया के मुताबिक -   Liew Thow Lin (31 March 1930 - 9 April 2013)  of Malaysia was known as the "Magnet Man", "Magnetic Man" or "Mr. Magnet" because he had the ability to stick metal objects to his body.
Liew performed in many charity events showing his ability. He could cause metal objects, weighing up to 2 kg each, up to 36 kg total, to stick to his skin. He also pulled a car using this ability.
Liew's ability was not due to any source of magnetism. Scientists from Malaysia's University of Technology found no magnetic field in Lin's body, but did determine that his skin exhibits very high levels of friction, providing a "suction effect".The trait appears to be genetic, appearing in Lin's three grandchildren. Liew was featured on the second episode of the Discovery Channel's One Step Beyond.

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