राजपथ - जनपथ
उत्सव मनाने का दिल नहीं करता..
कोरोना की जबरदस्त मार से कराह रहे लोगों को इस बार ताली-थाली बजाने का बिल्कुल मन नहीं हो रहा है। फिर भी प्रधानमंत्री की ओर से अपील की गई है, टीका उत्सव मनाने की। इस समय हर किसी के जान-पहचान का या परिवार का कोई न कोई संक्रमित है। अचानक उनमें से किसी की मौत की ख़बर भी मिल रही है। यह पिछले कोरोना काल से बिल्कुल अलग है जिसमें लोगों को विपदा से निपट लेने का ज्यादा भरोसा था। लोग लॉकडाउन में फंसे लोगों को राशन पानी देने, घर पहुंचाने और दवायें पहुंचाने का काम कर रहे थे। इस बार अब तक बच गये लोगों को लग रहा है कि पता नहीं किस दिन खुद या परिवार मुसीबत से घिर जाये। बीमार होंगे तो बिस्तर मिलेगा या नहीं, बिस्तर मिलेगा तो ऑक्सीजन बेड मिलेगा नहीं, ये भी मिल गये तो इंजेक्शन मिलेगा या नहीं। जो लोग मोदी विरोधी हैं वे तो टीकाकरण को उत्सव का नाम देने की आलोचना कर ही रहे हैं, जैसे राहुल गांधी। पर उनके समर्थकों की तरफ से भी इस उत्सव को लेकर कोई उत्साह दिखाई नहीं दे रहा है।
भाजपा नेताओं ने हाल ही में कहा है कि वे कोरोना महामारी से निपटने के लिये प्रशासन का हर प्रकार से सहयोग करने के लिये तैयार हैं, बताइये क्या करें? क्या करना है, यह मोदी जी ने टीका उत्सव की अपील करते हुए खुद ही बता दिया है। एक, जो लोग कम पढ़े लिखे हैं या बुजुर्ग हैं, जो खुद टीका नहीं लगवा सकते उनकी मदद करें। दो, जिन लोगों के पास साधन नहीं, जानकारी नहीं कोरोना के इलाज में उनकी मदद करें। तीन, स्वयं मास्क पहनकर खुद को सुरक्षित रखूं, दूसरों को भी रखूं-इस पर बल देना है। चार, जहां पर भी कोई कोरोना पॉजिटिव मिलता है वहां परिवार और समाज के लोग मिलकर माइक्रो कंटेनमेन्ट जोन बनायें।
हालांकि प्रधानमंत्री की अपील सभी के लिये है पर उम्मीद की जानी चाहिये भाजपा की ओर से इसकी पहल होगी। जब कोविड वैक्सीनेशन शुरू हुआ था तब भी उन्होंने टीकाकरण केन्द्रों में जाकर, गुलाब देकर, लोगों का अभिनंदन करने की पहल की थी और यह काम अब भी हो रहा है। बस इसी में प्रधानमंत्री के इन चार बिन्दुओं के उत्सव को और जोडऩा है। उनकी देखा-देखी में बाकी लोग भी आगे आयेंगे।
महिला सिपाही की वाहवाही
पुलिस विभाग में नीचे के कर्मचारियों के पास काम का इतना बोझ होता है कि अलग हटकर कुछ रचनात्मक करने का समय नहीं होता। यह काम तो आईएएस, आईपीएस अधिकारियों के लिये आसान होता है जिनके पास अपनी समाज सेवा और रुचि को जमीन पर उतारने के लिये आसानी से टीम मिल जाती है। थोड़े प्रयासों पर बड़ी वाहवाही मिल जाती है। ऐसे में कबीरधाम (कवर्धा) जिले की महिला सिपाही अंकिता गुप्ता के हौसले का लोहा मानना ही चाहिये। उन्हें इस बात श्रेय है कि मामूली आरक्षक पद पर होते हुए भी करीब 200 लड़कियों को उन्होंने इस तरह प्रशिक्षित किया कि उन्हें पुलिस व केन्द्रीय बल में ज्वाइनिंग मिल गई। अंकिता एथलेटिक्स भी है और 9 बार राष्ट्रीय स्तर की स्पर्धाओं में अपने महकमे का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। वह आत्मरक्षा के लिये प्रशिक्षण कैम्प चलाती हैं और स्कूलों में गुड टच, बैड चट को लेकर जागरूकता लाने कार्यक्रम करती हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार ने एक नया अवार्ड वीरनी पुरस्कार इस साल से शुरू किया है। अंकिता गुप्ता उन सात महिलाओं में एक हैं, जिन्हें 14 अप्रैल को मुख्यमंत्री के हाथों वर्चुअली यह पुरस्कार दिया जायेगा।
दुकान जायें तो मास्क जरूर लगायें, कोई चुनावी रैली तो अपने यहां हो ही नहीं रही, जो छूट मिले।