राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : जिंदगी का बेपटरी हो जाना ज्यादा तकलीफदेह
04-Apr-2021 4:55 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : जिंदगी का बेपटरी हो जाना ज्यादा तकलीफदेह

जिंदगी का बेपटरी हो जाना ज्यादा तकलीफदेह

स्कूल कॉलेजों में नये सत्र की शारीरिक उपस्थिति के साथ पढ़ाई की तैयारी बस चल ही रही थी कि कोरोना महामारी अधिक रौद्र और आक्रामक रूप से सामने आ गई। उत्सवधर्मी देश के लोग होली पर मिलने-जुलने और रंग खेलने से रह गये। नवरात्रि पर देवी मंदिरों के पट पाबंदियों के साथ खुलेंगे। पर्यटन स्थलों और अभयारण्य के सैर-सपाटों पर रोक लग गई। मंत्रालय में 50 प्रतिशत उपस्थिति का आदेश जारी हो चुका है। जिला मुख्यालयों से भी ऐसी ही मांग हो रही है।

दूसरी तरफ भयावहता की आशंका के बावजूद बाजार, उद्योगों और रोजगार देने वाले निजी प्रतिष्ठानों को बंद करो, कहने की हिम्मत सरकार नहीं जुटा पा रही, न ही लोग ऐसा चाहते हैं। परिवहन सेवायें जारी हैं, खाद्यान्न आपूर्ति एक हद तक सहज बनी हुई है। लोगों को नौकरी से दूसरी बार बाहर करने की कोई बड़ी खबर नहीं आ रही है। मजदूरों की देशव्यापी दारूण घरवापसी के विचलित करने वाले दृश्य दिखाई नहीं दे रहे हैं। कुछ व्यवसाय जिनका समूह से वास्ता है, फिर से जरूर खतरे में आ गया है। जैसे जगराता, शादी ब्याह में टेंट, बैंड बाजे की मांग एक बार फिर नहीं होना है। होटल व पर्यटन व्यवसाय पर भी फिर से ग्रहण लग रहा है। 

इस वातावरण में लोग मन में छिपी चिंता व भय की अवहेलना कर हिम्मत के साथ नये तूफान का सामना कर रहे हैं। लॉकडाउन से जिस तरह जीवन बेपटरी हो गई थी, फिर से वह नौबत न आये, ताकत पूरी इसी बात पर लगाई जा रही है।

अधिकारी को हटाने के खिलाफ आंदोलन

अधिकारियों के रवैये से परेशान होकर लोग आंदोलन कर उन्हें हटाने की मांग करते हैं। पर कभी-कभी ऐसा भी होता है कि कोई अधिकारी अपने विभाग में या नागरिकों के बीच इतनी पैठ बनाते लेते हैं कि उनके तबादले का विरोध करने के लिये भी सडक़ पर उतर जाते हैं। कोरिया जिले में ऐसा ही कुछ हुआ है। खोंगापानी नगर पंचायत की सीएमओ ज्योत्सना टोप्पो का स्थानांतरण जिले के ही सूरजपुर में कर दिया गया। वहां के प्लेसमेंट और सफाई कर्मचारी इसके विरोध पर उतर आये। वे अपना रिक्शा लेकर सडक़ पर आ गये। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को हर माह नियम से तनख्वाह देने वाली इस अधिकारी का तबादला उचित नहीं है। नये के आने से दिक्कत हो जायेगी। वैसे उनका तबादला प्रदेशभर के 58 तबादलों के साथ नगरीय पंचायत विभाग ने किया है। कई बार ऐसा होता है कि अधिकारी खुद ही जगह नहीं छोडऩा चाहता और दबाव बनाने के लिये कर्मचारियों या स्थानीय लोगों से विरोध कराते हैं। कई बार ठेकेदारों, सप्लायरों का भी हित जुड़ा होता है। नये अधिकारी आयेंगे तो उनका रुका हुआ बिल कहीं लटक न जाये। इस मामले में ऐसा कुछ है या नहीं, साफ पता नहीं लग सका है।

संक्रमण फैलने से रोकने का कोई मानक बनेगा?

बाजार को सीमित समय के लिये खोलने, रात का कफ्र्यू लगाने, शाम होते ही बाजार बंद करने जैसे उपायों का अक्सर सोशल मीडिया पर मजाक बनाया जाता है। कहा जाता है कि शायद कोरोना वायरस रात में निकलता है, जब लोग कम होते हैं। दिन में नहीं निकलता, जब ज्यादा भीड़ होती है। पर इस पर छत्तीसगढ़ के इंडियन मेडिकल एसोसियेशन ने सरकार को कुछ गंभीर किस्म के सुझाव दिये हैं। सुझाव में यह भी है कि सीमित समय के लिये बाजार खोलने के चलते भीड़ इक_ी हो रही है। भीड़ की वजह से आपात सेवाओं में बाधा होती है और प्रशासन केवल कानून व्यवस्था को संभालने में लग जाता है।

आईएमए का यह भी कहना है कि घर से बाहर निकलने वाले प्रत्येक व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव पर जोर दिया जाये ताकि सोशल डिस्टेंस, मास्क उनके जीवन का हिस्सा बने। आईएमए सरकार की इस बात से सहमत है कि लॉकडाउन से रोजी-रोटी मारी जाती है। यहां तक कि वह शराब दुकानों को खोलने के खिलाफ भी नहीं है पर उनका कहना है कि सबसे ज्यादा अनियंत्रित भीड़ वहीं इक_ी होती है। इसे काबू में किया जाये। सरकार को आईएमए ने करीब दर्जन भर सुझाव दिये हैं। चूंकि यह उन डॉक्टरों का सुझाव है जो कोरोना की लड़ाई में नागरिकों की पहली पंक्ति पर रहकर मदद कर रहे हैं, संभव है, सरकार इन सुझावों को गंभीरता से ले।

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