राजपथ - जनपथ
कोरोना पर सुविधाजनक गाइडलाइन
महाराष्ट्र के साथ-साथ ओडिशा भी उन राज्यों में शामिल है जहां कोरोना के बढ़ते प्रकोप के चलते पाबंदियां कुछ कड़ी की गई है। दूसरे राज्यों से आने वाले यात्रियों के लिये सात दिन का होम क्वारंटीन यहां जरूरी है।
अब हो रही है रेलवे भर्ती बोर्ड परीक्षा। छत्तीसगढ़ से सैकड़ों परीक्षार्थी हैं जिनका परीक्षा केन्द्र भुवनेश्वर है। इनके सामने समस्या आ गई कि वे ओडिशा पहुंचने के बाद क्वारंटीन पर रहें या परीक्षा दें। रेलवे बोर्ड ने ओडिशा सरकार से इस समस्या पर बात की और अब यह तय है कि उन्हें क्वारांटीन पर नहीं रहना पड़ेगा। ढील चाहे किसी भी वजह से दी गई हो, यदि खतरा निश्चित है तो किसी को भी क्वारंटीन में छूट क्यों? यदि खतरा नहीं है तो बाकी लोगों पर पाबंदियां क्यों?
अपने छत्तीसगढ़ में ही देख रहे हैं कि दूसरे राज्यों खासकर महाराष्ट्र और ओडिशा से प्रदेश की सीमा पर प्रवेश करने वालों की चेकिंग करने का निर्देश जारी किया गया है, पर क्या यह हो रहा है? रेलवे ने ज्यादातर मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों को स्पेशल के ही नाम पर सही चालू कर दिया है। यहां तक कि कुछ पैसेंजर ट्रेनों की भी महाराष्ट्र (गोंदिया आदि) और ओडिशा (झारसुगुड़ा) आवाजाही हो रही है। इनमें आ जा रहे यात्रियों की चेकिंग के लिये तो रेलवे ने भी हाथ खड़े कर दिये हैं।
इसलिये, कोरोना से बचे हैं तो आपकी किस्मत।
गुलाबी पर भारी सफेद प्याज
प्याज के दाम आंसू निकालने लगे थे। छत्तीसगढ़ में लाल-गुलाबी प्याज का ही चलन रहा है, पर इस बार सफेद प्याज भी बाजार में आये हैं। सफेद प्याज इस्तेमाल करने वालों ने पहले इसकी गुणवत्ता और उपयोगिता की तहकीकात की। पता चला कि यह तो प्रचलन की लाल-गुलाबी प्याज से भी ज्यादा गुणकारी है। आयुर्वेद के पन्ने बताते हैं कि पथरी, एनीमिया, ह्रदयरोग, जोड़ों के दर्द, पुरुषत्व के लिये फायदेमंद है। सफेद प्याज की मांग रायपुर के बाजारों में इसलिये बढ़ी क्योंकि सामान्य प्याज की कीमत ज्यादा हो रही थी। दाम 55-60 रुपये तक पहुंच चुके थे। इधर सफेद प्याज आई और 30 से 40 रुपये में मिलने लगी। बाजार मांग और आपूर्ति के गणित पर टिका है। अलीबाग, सूरत, भावनगर, अलवर, भरतपुर आदि राजस्थान और गुजरात के जिलों में इसका विपुल उत्पादन है। वहां ये 5-10 रुपये किलो में भी मिल जाता है। परिवहन और मुनाफा जोडऩे के बाद भी प्रचलित प्याज से कम दाम पर यह बाजार में उतर रहा है। नागपुर के बाजारों में सफ़ेद प्याज खूब चलता है।
नया किसान कानून इजाजत देता है कि सफेद प्याज की भी डम्पिंग कर दें। फिर दाम क्या होगा?
एसपी की पाठशाला
अखिल भारतीय और राज्य सेवा में पहुंचने के लिये कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। सफलता के बाद का संतोष पूरे जीवन को आनंदित कर सकता है। हजारों युवाओं की आंखों में इसका सपना तैरता है पर अवसर नहीं मिलते। अवसर हों भी तो नामुमकिन मानकर कोशिश नहीं करते।
नये बने गौरेला-पेन्ड्रा-मरवाही (जीपीएम) जिले के पुलिस अधीक्षक एसएस परिहार ने भी बड़ी कोशिशों के बाद अपना मुकाम हासिल किया। सोशल मीडिया पर उनके सैकड़ों वीडियो और हजारों दर्शक हैं, जिनमें शीर्ष प्रतियोगी परीक्षाओं को आजमाने के टिप्स हैं। अनेक विशेषज्ञों के साथ उन्होंने बातचीत भी इनमें डाल रखी है। अब एक और पहल की। उन्होंने गौरेला में एक लाइब्रेरी खोल दी। इसमें प्रतियोगी परीक्षाओं के काम आने वाली किताबें, मैग्जीन और अख़बार हैं। एक सुविधाजनक स्टडी सेंटर है। पिछले पखवाड़े शुरू की गई लाइब्रेरी में 100 से ज्यादा लोगों ने सदस्यता ले ली है, जो बढ़ती जा रही है। संचालन आसान हो इसके लिये थोड़ा सा शुल्क है पर बीपीएल, नि:शक्त, एसटी एससी वर्ग के लिये यह सुविधा मुफ्त रखी गई है।
छत्तीसगढ़ में बीते दो-तीन साल के भीतर देखा गया है कि आदिवासी अंचल के युवाओं ने शीर्ष प्रतियोगी परीक्षाओं में बड़ी कामयाबी हासिल की है, खासकर बस्तर से। जीपीएम एसपी ने यह करके बता रहे हैं कि प्रशासनिक सेवाओं में पहुंचना, हौवा नहीं है। यह परिश्रम करने वाले हर एक युवा को हासिल हो सकता है।
बस जब उनका तबादला हो तब भी ये लाइब्रेरी चलती रहे, इसकी व्यवस्था हो जाये।