राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : बाहर इंतज़ार, और भीतर...
27-Dec-2020 7:18 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ :  बाहर इंतज़ार, और भीतर...

बाहर इंतज़ार, और भीतर...

कांग्रेस हो या भाजपा, दोनों ही दल में मोर्चा-प्रकोष्ठों के विशेषकर अध्यक्षों की काफी पूछ परख रहती है। विशेषकर छोटे जगहों में तो कार्यकर्ता उनकी खातिरदारी करने में कोई कसर बाकी नहीं रखते। ऐसे ही भाजपा के एक मोर्चा के प्रमुख का पिछले दिनों बलरामपुर आगमन हुआ। चूंकि  उनके दल ने कुछ समय पहले ही उन्हें मोर्चा अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है, इसलिए युवा अध्यक्ष कार्यकर्ताओं से मेल मुलाकात के लिए जिलों का भ्रमण कर रहे हैं। जिलों में उनके ठहरने का इंतजाम स्थानीय कार्यकर्ता करते हैं। 

अध्यक्ष महोदय जब बलरामपुर पहुंचे, तो स्थानीय कार्यकर्ताओं ने अपने प्रभाव का उपयोग कर सर्किट हाउस में ठहरने का इंतजाम किया। युवा अध्यक्ष को बलरामपुर पहुंचते रात हो गई। सर्किट हाउस पहुंचने से पहले ही अध्यक्ष के पूर्व परिचित भरोसेमंद स्थानीय कार्यकर्ता से खाने-पीने का इंतजाम कर रखा था। अध्यक्ष पहुंचते ही अपने साथियों के साथ कमरे में बंद हो गए। 

बाहर मुलाकात के लिए कई छोटे-बड़े नेता आए थे। उन्हें उम्मीद थी कि अध्यक्ष मेल-मुलाकात के लिए बाहर निकलेंगे। काफी देर इंतजार करने के बाद वे बाहर नहीं निकले, तो उन्होंने दरवाजा खटखटाया। युवा अध्यक्ष ने अपने एक साथी से बाहर इंतजार कर रहे कार्यकर्ता को कहलवा भेजा कि वे राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस में व्यस्त हैं। इसलिए आज मुलाकात नहीं कर पाएंगे। इससे स्वागत के लिए फूल माला लेकर खड़े कार्यकर्ता नाराज हो गए। युवा अध्यक्ष, अपने साथियों के साथ अंदर क्या कर रहे हैं, इसकी भी जानकारी हो गई। उन्होंने तुरंत अपने सीनियर नेताओं को इसकी जानकारी दे दी, और भविष्य के लिए सचेत करने के लिए भी कह दिया है।

स्काई वाक और अंडरग्राउण्ड सीवरेज...
रायपुर का स्काई वाक और बिलासपुर की अंडरग्राउन्ड सीवरेज परियोजना दोनों की हालत एक जैसी है। दोनों पर करोड़ों रुपये खर्च हो गये। अधिकारियों, ठेकेदारों और जैसा कि विधानसभा में आरोप लगाया गया है नेताओं ने भी इसमें खूब चांदी काटी लेकिन पूरे पैसे बर्बाद हो गये। चुनाव के समय इन परियोजनाओं का अनुपयोगी होना, विफल होना एक बड़ा मुद्दा था पर दोनों का ही कोई समाधान दो साल बीतने के बाद नई सरकार नहीं कर सकी है। स्काई वाक का कुछ दूसरा उपयोग समझ नहीं आया। विशेषज्ञों की समिति ने आम लोगों की राय के आधार पर सिफारिश की है कि पूरा किया जाये, पर आगे काम अब तक शुरू नहीं हुआ। 270 किलोमीटर की बिलासपुर की अंडरग्राउण्ड सीवरेज परियोजना अब भी अधूरी है जबकि इसकी हाइड्रोलिक टेस्ट सिर्फ एक किलोमीटर हुई है। पम्पिंग स्टेशन के रख-रखाव पर ही सालाना करीब एक करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं। दोनों ही निर्माण कार्य पूर्ववर्ती सरकार के स्मारक के रूप में दिखाई दे रहे हैं।

कोरोना पॉजिटिव स्टेटस
कोरोना पीडि़तों के साथ एक स्टेटस सिम्बॉल भी जुड़ जाता है। पीडि़त व्यक्ति कह सकता है कि उसका पाला किसी छोटी-मोटी बीमारी से नहीं बल्कि महामारी से पड़ा था। ऐसे कई लोग जिन्हें कोरोना ने घेरा और स्वस्थ होकर बाहर आये ऐसा लगता है मानो उन्होंने कोई जंग जीत ली है। ऐसे ही एक शख्स ने अपनी बाइक पर शान से लिखवा रखा है-भूतपूर्व कोरोना पॉजिटिव..। 

धान के बाद अब चावल उठने का संकट
धान खरीदी को लेकर केन्द्र और राज्य सरकार के बीच टकराव रोज नई-नई समस्या लेकर सामने आ रही है। ज्यादातर केन्द्रों में धान के उठाव की समस्या आ रही है। जांजगीर जिले से खबरें आ रही हैं कि कई केन्द्रों में खरीदी ही रोकनी पड़ी है। ऐसा दूसरे जिलों में भी है। बारदाने का संकट तो पहले से ही बना हुआ है। किसान खुद खर्च कर बारदाने खरीद रहे हैं और समितियां उन्हें वापस भी नहीं कर रही है। पर अब एक नई समस्या खड़ी हो रही है। धान उठने के बाद कस्टम मिलिंग में देरी की। खाद्य मंत्री का कहना है कि मिलर्स धान इसलिये नहीं उठा पा रहे हैं क्योंकि उनका चावल मिलों में जाम है। केन्द्र सरकार को 60 लाख टन धान उठाना है पर गति बहुत धीमी है। अब जगह-जगह मिलर्स हाथ खड़े कर रहे हैं और कह रहे हैं कि मिलिंग तो दूर हमारे पास धान रखने की भी जगह नहीं है। इसका नतीजा क्या होगा? पिछले साल भी यही हुआ, कई सालों से होता आ रहा है धान खुले में पड़ा होता है, और खऱाब हो जाता है। विधानसभा सत्र में भी इस मुद्दे पर हंगामा हो चुका है। सियासत जारी है। ([email protected])

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