राजपथ - जनपथ
कोरोना को पीछे धकेलने का सही मौका
देश और छत्तीसगढ़ दोनों से ख़बरें आ रही हैं कि कोरोना की रफ्तार धीमी पड़ रही है। महामारी से उबरकर ठीक होने वालों की संख्या भी बढ़ रही है। राष्ट्रीय स्तर के आंकड़े बताते हैं कि 2 अक्टूबर से 8 अक्टूबर के बीच देश में 6 लाख 14 हजार 265 नये केस मिले जबकि इस बीच 55 लाख से ज्यादा मरीज स्वस्थ हो गये। छत्तीसगढ़ में भी डिस्चार्ज होने वाले मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है रिकव्हरी रेट बढक़र करीब 80 फीसदी पहुंच चुकी है। कई जिलों में डोर-टू-डोर सर्वे भी चल रहा है जिसमें आशंकाओं के विपरीत बहुत कम नये केस सामने आ रहे हैं। यह सही है कि स्वास्थ्य विभाग के मैदानी कर्मचारी, कार्यकर्ता, नर्स, डॉक्टर और सोशल डिस्टेंसिंग तथा मास्क पहनने का पालन कराने वाली पुलिस तथा दूसरी एजेंसियां लगातार 8 माह तक इस काम में लगे होने के कारण ऊब रही हैं। शारीरिक ही नहीं मानसिक रूप से भी सब थका महसूस कर रहे हैं, पर जरूरी यही है कि कुछ दिनों, हफ्तों तक हौसला, हिम्मत को बनाये रखा जाना चाहिये। हो सकता है लापरवाही बढऩे पर कोरोना के केस फिर बढऩे लग जायें। अब केस कम होने के आसार दिखाई दे रहे हैं तो इसे और पीछे धकलने की कोशिश जारी रहनी चाहिये।
मरवाही में रोज बदलते समीकरण
मरवाही विधानसभा के उप-चुनाव में रोज कुछ न कुछ ऐसा हो जाता है जो चौंका देता है। गौरेला-पेन्ड्रा मरवाही में चुनाव प्रचार और रणनीति का काम संभालने वाले छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के अनेक नेता पहले ही पार्टी छोडक़र कांग्रेस में आ चुके हैं। पर गौरेला में पार्टी का सब कुछ संभालने वाले शिवनारायण तिवारी ने भी पार्टी छोड़ दी। बिलासपुर में समीर अहमद बबला का जोगी कांग्रेस से अलग होना भी कम आश्चर्यजनक घटना नहीं है। बबला पार्टी के लिये कम जोगी परिवार के लिये सबसे भरोसेमंद लोगों में एक थे। वे लगभग 24 घंटे उनके बंगले में नजर आते थे। अमित जोगी या डॉ. रेणु जोगी का लोकेशन जानने के लिये लोग बबला की मदद लेते थे। मरवाही से यदि अमित जोगी चुनाव लड़ पाते हैं तो उनके चुनाव अभियान की कमान कौन संभालेगा, क्या वे खुद? यह सवाल अब खड़ा हो गया है। डॉ. रेणु जोगी का यह कहना कि मरवाही सीट कांग्रेस को जोगी की याद में छोड़ देना चाहिये। क्या ऐसा कहना कांग्रेस में लौटने की संभावना तलाशना है? देखते रहिये, तस्वीर कुछ दिनों में साफ होती जायेगी।