राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : बहुत बड़े अफसर दिक्कत में...
02-Sep-2020 5:59 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : बहुत बड़े अफसर दिक्कत में...

बहुत बड़े अफसर दिक्कत में...

खबर है कि राज्य के एक बहुत बड़े अफसर जल्द ही इनकम टैक्स के घेरे में आ सकते हैं। अफसर की संपत्ति का ब्यौरा लिया जा रहा है। चर्चा है कि अफसर के एक रिश्तेदार को नोटिस भी थमाया गया है। आम तौर पर अफसर जिस विभाग के हैं, वहां कभी इनकम टैक्स की नजर नहीं पड़ी। क्योंकि इनकम टैक्स और संबंधित विभाग का चोली-दामन का साथ रहता है। विपरीत हालात में इनकम टैक्स विभाग को अफसर के विभाग की जरूरत पड़ती ही है। मगर अब हालात बदल गए हैं। हल्ला है कि अगले तीन-चार महीनों में इनकम टैक्स कुछ बड़ा कर सकता है।

इस अफसर की बेनामी जायदाद की जानकारी जुटती चली जा रही है, और राज्य सरकार के कई लोग भी जानकारी में इजाफा करते जा रहे हैं. देखना है कि इनकम टैक्स विभाग कोई कार्रवाई करता है, अथवा जवाब से संतुष्ट हो जायेगा।

मरवाही में सभा-सम्मेलन और कोरोना

कोरोना का जिन जिलों में कम प्रसार हुआ है उनमें नया बना जिला गौरेला-पेन्ड्रा-मरवाही शामिल है। बीच-बीच में यहां एक्टिव केस की संख्या शून्य भी हो जाती है। इसके बावजूद कि लगातार सभी राजनैतिक दल मरवाही चुनाव को लेकर क्षेत्र में लगातार दौरे कर रहे हैं और सभा-सम्मेलन कर रहे हैं। खासकर जोगी के निधन के बाद होने जा रहे इस पहले चुनाव को लेकर कांग्रेस बड़ी मेहनत कर रही है। तमाम मंत्री, सांसद, संगठन प्रमुख, राज्य और जिला स्तर के पदाधिकारी यहां दौरे पर होते हैं। चाय चौपाल, पंचायती सम्मेलन जैसे आयोजन हो रहे हैं। हितग्राहियों को राशि और सामान बांटे जा रहे हैं। इन जमावड़ों के बावजूद यदि कोरोना यहां किसी हद तक नियंत्रण में है तो यह प्रशासन के लिये राहत की ही बात है, पर यदि यहां कोरोना के मामले बढ़े तो खासी दिक्कत हो जायेगी। यह सुदूर आदिवासी इलाका है। स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी कमी है। आवागमन की भी दिक्कतें हैं। गंभीर मरीजों को अब भी 150 किलोमीटर सिम्स चिकित्सालय बिलासपुर लाना पड़ता है। अच्छा हो कि स्थिति बिगड़े इसके लिये प्रशासन सजग रहे। पर खुद मंत्री और सत्तारूढ़ दल के लोग भीड़ जमा कर रहे हों तो अधिकारी भी क्या करें, हाथ बंधे हुए हैं।

अचानकमार के शिकारी

‘भोले-भाले’ ग्रामीणों के साथ बुरा बर्ताव करने की शिकायत आने पर अचानकमार टाइगर रिजर्व के एक रेंजर को निलम्बित करने की घोषणा विधानसभा में की गई। वन विभाग का कहना था कि कैमरे में सुरही के ग्रामीण ट्रैप हुए थे, जो तीर धनुष लेकर जंगल जा रहे थे। ग्रामीणों का कहना था कि वे तो हमेशा तीर धनुष लेकर चलते हैं। रेंजर संदीप सिंह के खिलाफ शिकायत थी कि उन्होंने ग्रामीणों से मारपीट की, जबकि वन विभाग के कर्मचारी कहते हैं कि ग्रामीणों ने रेंजर से उठक बैठक लगवाई और उन पर हमला किया, जिसके कारण अस्पताल में उन्हें भर्ती भी होना पड़ा। सरकार ने जन प्रतिनिधि की बात मानी। रेंजर के निलम्बन के बाद वन विभाग के कर्मचारी, अधिकारी दुखी तो हैं, क्योंकि यहां जब भी अवैध शिकार, अवैध कटाई की वे कार्रवाई करते हैं कोई न कोई बखेड़ा खड़ा हो जाता है। राजनैतिक समर्थन तो उन्हें बिल्कुल नहीं मिलता। रेंजर के निलम्बन के बाद उनका हौसला टूट सकता था पर ऐसा हुआ नहीं। दो दिन बाद ही उन्होंने उसी सुरही रेंज में अवैध शिकार का मामला पकड़ लिया। हथियार और मांस के साथ कुछ शिकारी गिरफ्तार कर लिये गये। अब भी कुछ लोग फरार हैं। जंगल और वन्य प्राणियों को बचाने के लिये दबाव के बीच अगर कुछ लोग ईमानदारी से काम कर रहे हैं तो उन्हें साथ दिया जाना चाहिये।

लता की अधिकारिक जीवनी का अनुवाद किया राज्य के पत्रकार ने

विख्यात गायिका लता मंगेशकर की जिंदगी पर लिखी गई अंग्रेजी की पहली किताब जिसे उनकी खुद की मंजूरी थी, उसके हिन्दी अनुवाद का काम छत्तीसगढ़ के पत्रकार डी.श्यामकुमार ने किया है। भारतरत्न लता मंगेशकर पर यह किताब ब्रिटेन में बसीं एक जानीमानी पत्रकार और डाक्यूमेंट्री मेकर नसरीन मुन्नी कबीर ने लता मंगेशकर की सहमति से लिखी थी- लता इन हर ओन वॉइस। यह किताब नसरीन के दो बरस के दौर में कई बार लता मंगेशकर से की गई सीधी बातचीत पर आधारित है।

अब डी.श्यामकुमार ने इस किताब का हिन्दी अनुवाद-लता मंगेशकर अपने खुद के शब्दों में, किया है। उनका कहना है कि जब इस काम के लिए उन्हें चुना गया तो उन्हें एकबारगी भरोसा नहीं हुआ, और उन्हें कुछ संदेह भी था कि क्या वे ऐसी महत्वपूर्ण किताब का हिन्दी रूपांतरण अच्छे से कर पाएंगे। अब यह किताब प्रकाशित होकर आ चुकी है, और छत्तीसगढ़ की एक पत्रकार-अनुवादक के लिए सचमुच ही यह बड़ी कामयाबी की बात है। किताब में दी गई जानकारी के मुताबिक डी.श्यामकुमार पिछले 23 बरस से पत्रकारिता और लेखन में हिन्दी और अंग्रेजी दोनों में सक्रिय हैं। इन्हें राज्य शासन का पत्रकारिता अलंकरण भी मिल चुका है, और दूसरे राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार भी मिल चुके हैं।

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