राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : कांग्रेस प्रदेश कार्यालय
18-May-2020
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : कांग्रेस प्रदेश कार्यालय

कांग्रेस प्रदेश कार्यालय

प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस में बड़ा फर्क आया है। सत्ता के लिए संघर्ष करती कांग्रेस में पुराने नेताओं की जगह लेने के लिए एक नई पौध तैयार हो गई। जबकि भाजपा में अभी भी नए चेहरों को आगे लाने की कोशिश ही हो रही है। कांग्रेस संगठन में कुछ समय पहले जिम्मेदारी बदली गई है, जिसका बेहतर नतीजा देखने को मिल रहा है। कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष के बाद प्रभारी महामंत्री का पद पॉवरफुल है। पहले बरसों तक इस पद पर मोतीलाल वोरा के करीबी सुभाष शर्मा रहे और बाद में गिरीश देवांगन ने महामंत्री की कमान संभाली।

गिरीश ने पिछले पांच सालों में महामंत्री के दायित्व को बेहतर ढंग से निभाया और अब उनकी जगह अब चंद्रशेखर शुक्ला व रवि घोष संगठन व प्रशासन की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। लॉकडाउन के बाद भी कांग्रेस  संगठन की गतिविधियां कम नहीं हुई है। आम कार्यकर्ताओं के लिए दफ्तर भले ही बंद है, लेकिन यहां प्रवासी मजदूरों को लाने और दूसरे जगह भेजने के काम चंद्रशेखर और अन्य के देखरेख में बेहतर ढंग से हो रहे हैं। खास बात यह है कि प्रदेश में सरकार होने के बावजूद सरकारी तंत्र का बेजा इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है, बल्कि कांग्रेस संगठन, स्थानीय नेताओं के सहयोग से मजदूरों के आने-जाने का खर्च उठा रहा है।

झारखंड के 50 से अधिक मजदूर फंसे हुए थे, जिसे कांग्रेस संगठन ने अपने खर्च से झारखंड की सीमा तक पहुंचाने का बंदोबस्त किया। इसी तरह बस्तर और अन्य जगहों में भी फंसे मजदूरों को भेजने का काम बेहतर ढंग से किया गया। जिसमें पार्टी के विधायक विक्रम मंडावी ने भी सहयोग किया। यह सब हल्ला-गुल्ला और प्रचार से दूर रहकर किया जा रहा है। ऐसे समय में जब कई जगहों पर प्रशासनिक अफसरों से मदद नहीं मिल रही है, उत्साही कांग्रेस नेता लोगों की भरपूर मदद कर रहे हैं। ऐसे में जहां बाकी राज्यों में प्रवासी मजदूर, शासन-प्रशासन के लिए परेशानी का कारण बने हुए हैं, तो यहां अपेक्षाकृत बेहतर काम हो रहा है।

कांग्रेस प्रदेश कार्यालय के अधिकतर कर्मचारियों को दफ्तर आने मना कर दिया गया है, और सबको दो-दो महीने की तनख्वाह देकर घर पर सुरक्षित रहने कह दिया गया है।

न सांसद निधि, न सांसद की पूछ

प्रदेश के भाजपा सांसद इन दिनों परेशान हैं। उनकी पूछपरख काफी कम हो गई है। पार्टी के नेता भी अब पहले जितना महत्व नहीं दे रहे हैं। वजह यह है कि सांसदों ने केन्द्र सरकार को अपने तीन साल की सांसद निधि की राशि कोरोना रोकथाम के लिए खर्च करने की अनुमति दे दी है। हर साल सांसद निधि के मद में मिलने वाली 5 करोड़ राशि का उपयोग मनमर्जी विकास कार्यों में खर्च कर सांसद अपने संसदीय क्षेत्र के कार्यकर्ताओं-आम लोगों को संतुष्ट कर सकते थे, पर अब वे ऐसा नहीं कर पा रहे हैं। भाजपा के जांजगीर-चांपा के सांसद गुहाराम अजगल्ले को छोड़ दें, तो बाकी सभी पहली बार सांसद बने हैं।

अब सांसद निधि नहीं है, तो नए कार्यकर्ता भी उनसे जुड़ नहीं पा रहे हैं। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है। यहां भाजपा सांसदों की सिफारिशों को महत्व मिलेगा, इसकी उम्मीद पालना भी गलत है। हाल यह है कि शासन-प्रशासन तो दूर, बड़े कारोबारी भी नए नवेले भाजपा सांसदों को महत्व नहीं दे रहे हैं। सुनते हैं कि पिछले दिनों एक उद्योगपति ने सद्भावनावश प्रदेश के एक भाजपा सांसद के घर सैनिटाइजर से भरा बक्सा भिजवाया ताकि वे अपने क्षेत्र के लोगों को बांट सके। सांसद महोदय ने पार्टी कार्यकर्ताओं को बंटवाया भी। उनकी इच्छा थी कि विधानसभा क्षेत्र के सभी कार्यकर्ताओं को सैनिटाइजर और मास्क दिया जाए, इसके लिए उन्होंने उद्योगपति को फोन लगाया। मगर इस बार उद्योगपति ने फोन तक नहीं उठाया। क्षेत्र के कार्यकर्ता सैनिटाइजर-मास्क मांग रहे हैं, लेकिन सांसद महोदय ने खामोशी ओढ़ ली है।

कोरोना के हिसाब से ड्रेस डिजाईन

कोरोना के खतरे के बीच ही अगर लंबा जीना पड़े, तो लोगों को अपने तौर-तरीकों से लेकर फैशन तक सबमें तब्दीली की जरूरत है। अब चूंकि काम से लौटकर हर दिन कपड़े धोने की डॉक्टरी सिफारिश है, तो लोगों को मोटी जींस के बजाय पतले कपड़े पहनना चाहिए जिन्हें धोना आसान हो, साबुन और पानी भी कम लगे। इसके अलावा ड्रेस डिजायनरों के लिए भी एक चुनौती है कि लोगों के कपड़ों में लिक्विड सोप और सेनेटाइजर की छोटी बोतलों के लिए जगह निकाले। और यह जगह ऐसी जटिल भी नहीं होनी चाहिए कि डंडे या संक्रमित हाथ वहां तक आसानी से न पहुंच पाएं। वैसे भी बहुत से लोगों के पास अब एक से अधिक मोबाइल भी रहने लगे हैं, और ऐसे में जेबों का पुराना रिवाज कम पड़ रहा है। अब तो यह भी हो सकता है कि अधिक चौकन्ने लोग एक एक्स्ट्रा मास्क भी लेकर चलें कि कहीं मास्क गिर जाए, या उसका इलास्टिक टूट जाए, या डोरी टूट जाए, तो तुरंत दूसरा मास्क मौजूद रहे।

लोगों को घर से निकलते हुए सारी चीजों को ठीक से जांच लेने के लिए दस मिनट का समय अलग से रखना चाहिए, इसी तरह लौटने के बाद अपने को साफ करने के लिए कपड़े धोने डालने के लिए, मास्क धोने के लिए भी दस मिनट अलग से रखना चाहिए। हड़बड़ी हुई और चूक से खतरा बढ़ा। लोगों को अपने मोबाइल फोन हर बार लौटने पर ठीक से सेनेटाईज करने की भी आदत डालनी चाहिए, और बच्चों को मोबाइल फोन देना बंद भी करना चाहिए।

फिर एक बात यह भी है कि आज कोरोना के खतरे में लोगों को बचाव के लिए चौकन्ना भी कर दिया है, इसलिए लोगों के बीच एक बार रोग-प्रतिरोधक क्षमता की भी चर्चा होने लगी है। विटामिन सी से भरपूर सस्ते फल हिन्दुस्तान में बहुत से हैं। आंवले से लेकर इमली तक, और नींबू से लेकर संतरे तक कई तरह की चीजें सस्ती हैं, आसानी से मिल जाती हैं। लोगों को इलाज के लिए चाहे आयुर्वेद पर पूरा भरोसा न हो, लेकिन रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम आयुर्वेद में शायद एलोपैथी से बेहतर है। लोग केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा जारी की गई भरोसेमंद जानकारी पर अमल कर सकते हैं, और कोरोना से परे-परे चलते हुए जिंदगी गुजार भी सकते हैं।

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