राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : अंग्रेजों का छोड़ा टोकरा...
14-May-2020
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : अंग्रेजों का छोड़ा टोकरा...

अंग्रेजों का छोड़ा टोकरा...

सुप्रीम कोर्ट ने कल तय किया है कि वीडियो कांफ्रेंस से होने वाली सुनवाई में वकील अपने घर से सफेद कपड़ों में कैमरे के सामने पेश हो सकते हैं। अब तक देश में व्यवस्था यह है कि वकीलों को काले कोट में ही पेश होना पड़ता है, और सुप्रीम कोर्ट में तो वकील जादूगरों जैसे काले लबादों में भी देखे जाते हैं। जज भी काले लबादे पहनकर बैठते हैं। सुप्रीम कोर्ट से लेकर नीचे की अदालतों तक यही व्यवस्था चलते रहती है।

बड़ी अदालतों के अधिक फीस वाले बड़े वकीलों का तो हाल फिर भी ठीक रहता है कि वे एसी कारों में पहुंचते हैं, लेकिन छोटी अदालतों के दुपहियों में पहुंचने वाले वकीलों का हाल बहुत खराब रहता है। हिन्दुस्तान की 45 डिग्री की गर्मी में भी वे काले कोट में पहुंचते हैं, और पसीने के दाग कोट के कॉलर पर समंदर किनारे लहरों के छोड़े गए झाग की तरह दिखते रहते हैं।

अदालतों के जानकार बेहतर बता पाएंगे, लेकिन हमारा अंदाज यह है कि अंग्रेज के वक्त से छोड़ी गई परंपरा को हिन्दुस्तान उसी तरह ढो रहा है, जिस तरह इस देश के सफाई कर्मचारी आज भी सिर पर मैला ढोते हैं। रेलगाडिय़ों और रेल्वे स्टेशनों पर गर्मी में सब कुछ खौलते रहता है, लेकिन वहां टीटीई काले कोट में चलते हैं मानो उनके बदन की बैटरी सोलर चार्जिंग वाली हो।

यह सही मौका है जब पूरे हिन्दुस्तान की अदालतों से, रेल्वे से काले कोट खत्म किए जाएं जिन्हें कि गर्मियों में देखना भी भारी पड़ता है।

आज दुनिया भर में यह भी माना जा रहा है कि बदन पर जितने गैरजरूरी कपड़े पहने जाते हैं, वे किसी संक्रामक रोग को बढ़ाने में मददगार हो सकते हैं। हिन्दुस्तानी सुप्रीम कोर्ट को भी अभी केन्द्र सरकार की तरफ से बताया गया है कि कोट पहनने से या काले लबादे पहनने से संक्रमण का खतरा अधिक रहता है।

दुनिया के कई विकसित देशों में रिसर्च में यह भी पाया गया है कि मरीजों को देखने वाले डॉक्टर अगर टाई पहनते हैं, तो वह टाई संक्रमण का एक बड़ा जरिया बन जाती है। डॉक्टर हर भर्ती मरीज को देखने के लिए झुकते हैं, और उनकी टाई मरीज के बिस्तर को या मरीज को छूती ही है। ऐसी टाई संक्रमण को आगे बढ़ाने का काम भी करती है। '

अजय चंद्राकर का धरना

दारूबंदी के लिए भाजपा के अनोखे धरने की काफी चर्चा रही। और जब पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर, धरना देने रमन सिंह के घर गए, तो पार्टी के भीतर खुसुर-फुसुर शुरू हो गई। रमन सिंह के साथ अजय चंद्राकर के धरने को पार्टी की अंदरूनी राजनीति से जोडक़र भी देखा जाने लगा। अजय चंद्राकर प्रदेश अध्यक्ष बनने की दौड़ में है। चर्चा है कि कुछ समय पहले उनका नाम तय भी हो गया था, लेकिन रमन सिंह खेमे के विरोध के चलते नियुक्ति रूक गई। और जब अजय, रमन सिंह के घर धरने पर बैठे तो पार्टी नेताओं की निगाहें उन पर टिकी रही।

रमन सिंह के साथ धरने पर संगठन के कर्ताधर्ता सौदान सिंह और पवन साय भी थे। कोरोना संक्रमण के बीच दारूबंदी और मजदूरों की बेहाली को लेकर तेज गर्मी में कूलर की ठंडी हवा लेते अजय और अन्य दिग्गज नेता सोफे पर धरने में बैठे। संपन्न किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले अजय चंद्राकर की गिनती तेजतर्रार नेताओं में होती है। वे संसदीय मामलों के जानकार हैं, और शौकीन मिजाज भी हैं। वे भाजपा की गुटीय राजनीति में बृजमोहन अग्रवाल खेमे के माने जाते हैं।  बृजमोहन अपने निवास में धरने पर बैठे थे।

 पहले चर्चा थी कि अजय, बृजमोहन अग्रवाल के घर धरने के लिए जा सकते हैं। वहां धरने के लिए आरामदेह गद्दा-तकिया बिछाया गया था, लेकिन अजय वहां नहीं गए। अब जब अजय, बृजमोहन के घर नहीं गए, तो उनके बृजमोहन खेमे से छिटकने की चर्चा भी होने लगी। हालांकि उनके करीबियों का मानना है कि चूंकि अजय चंद्राकर का घर भी रमन सिंह के घर के नजदीक ही है। ऐसे में रमन के निवास पर धरना देना ज्यादा सुविधाजनक भी था। वैसे भी संगठन के कर्ता-धर्ता भी रमन निवास में थे। अब अजय को रमन निवास में धरने का फायदा मिलता है, या नहीं देखना है।

भोपाल से छत्तीसगढ़ी मजदूरों के लिए मदद जुटाने में लगी हैं रात-दिन

भोपाल में लगातार छत्तीसगढ़ के मजदूरों की मदद में लगी हुईं लेखिका तेजी ग्रोवर ऐसे सैकड़ों लोगों की तकलीफों से लगातार विचलित हैं, और यातना पाते हुए भी वे जुटी हुई हैं। फेसबुक पर उन्होंने अभी पोस्ट किया है- क्या कोई छत्तीसगढ़ की एक दंपत्ति के लिए टिकटों का इंतजाम कर सकते हैं जिसमें करीब 3 हजार रुपये लगेंगे, वहां घर पर बाप मर गया है और माँ बहुत बीमार है। वे रात-दिन अपनी पूरी ताकत से लोगों के खाने-पीने के इंतजाम में लगी हंै, और लोगों से कह-कहकर मदद भिजवा रही हैं, ऐसे लोगों के फोन रीचार्ज करवा रही हैं ताकि व कम से कम संपर्क में रह सकें। उन्होंने फेसबुक पर यह भी लिखा है कि बहुत से राज्यों में फंसे हुए छत्तीसगढ़ के लोगों को मदद की जरूरत है और अगर फोन पर बात करने के लिए कोई वालंटियर तैयार हो तो वे उनके नंबर भेज सकती हैं। वे छत्तीसगढ़ के प्रवासी मजदूरों के खातों में लोगों से कुछ-कुछ रकम भी डलवाने की कोशिश कर रही हैं।

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