राजपथ - जनपथ
लॉक डाउन के चलते जरूरतमंदों को राशन वितरण का अभियान जोर शोर से चल रहा है। मगर इसमें अफरा-तफरी भी हो रही है। कई कथित समाजसेवी संस्थाओं और कुछ नेता, दानदाताओं से प्राप्त राशन और अन्य साम्रगियों को बंटवाकर वाहवाही बटोर रहे हैं। इस गड़बड़ झाले की भाजपा ने शिकायत भी की है। कुछ दिन पहले रायपुर के जयनारायण पाण्डेय स्कूल के समीप की एक बस्ती में राशन से भरी एक मेटाडोर को लूटने की कोशिश भी की गई। बस्ती के लोगों का आरोप था कि राशन उन्हें न देकर कुछ नेता अपने घरों में ले जा रहे हैं।
बस्ती के लोग मेटाडोर में चढ़ गए थे, तभी एक नेता ने पुलिस को सूचना दी और पुलिस हस्तक्षेप के बाद मेटाडोर किसी तरह वहां से निकल पाई। बिलासपुर में भी कुछ इसी तरह की शिकायत पर आईजी दीपांशु काबरा ने साफ तौर पर निर्देश जारी किए हैं कि कोई भी समाजसेवी या अन्य संगठन, पुलिस और नगर निगम के लोगों की गैर मौजूदगी में राशन वितरण नहीं कर सकेंगे। हालांकि यह आदेश कोरोना संक्रमण की आशंका के चलते निकाला गया है। मगर इसके पीछे भावना अफरा-तफरी को रोकने की थी। बिलासपुर की देखा-देखी अब रायपुर में भी इस तरह का आदेश निकला है।
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बहादुर और उदार
आज जब कोरोना के डर से बहुत से लोग घरों से नहीं निकल रहे हैं, अपनी इमारतों में न एयर इंडिया के पायलट-कर्मचारियों को रहने दे रहे हैं, और ना डॉक्टर-नर्सों को रहने दे रहे हैं, तब दुनिया के दर्जनों देशों में और हिंदुस्तान के सैकड़ों शहरों में सिख समाज लोगों की मदद को जुटा हुआ है. किसी भी मुसीबत के वक्त सिख लोग यह नहीं देखते कि किस धर्म के लोगों को जरूरत है. पंजाब के मलेरकोटला में तो गुरूद्वारे के सिखों ने पूरे मदरसे के बच्चों को अपनी सरपरस्ती में ले लिया है क्योंकि सरकारी हुक्म से मदरसा बंद हो गया है, और वहां के गरीब बच्चे दूसरे प्रदेशों से आये हुए हैं. सिखों के बीच इस धर्मनिरपेक्ष सेवाभावना के पीछे गुरुनानकदेवजी के गुरुग्रंथसाहेब की सीख का बहुत बड़ा हाथ है. ग्रंथसाहब दुनिया का अकेला धर्मग्रन्थ है जिसमें दूसरे धर्मों के संतों की बाणी भी रखी गयी है, सभी धर्मों के सम्मान की बात कही गयी है. खुद नानक के कई साथी मुस्लिम थे, और उनकी उदारता ऐसी थी कि हिन्दू धर्म के उस वक़्त अछूत माने जाने वाले संतों की लिखी बातों को सम्मान से ग्रंथसाहब में जोड़ा गया है. जाहिर है कि रोज गुरुनानक को बातों को सुनने, पढऩे, और मानने वाले दूसरे धर्मों से बेहतर तो होंगे ही.
एयरटेल बिल के साथ
इन दिनों कोरोना की दहशत में हर किसी को लग रहा है कि उनकी रकम बाजार में डूब न जाए। एयरटेल कुछ अधिक दहशत में दिख रही है। जिस बिल को चुकाने की आखिरी तारीख 25 अपै्रल है, उसके लिए 6 तारीख को भेजे गए इस संदेश के बाद कंपनी ग्राहकों को फोन भी करना शुरू कर चुकी है। लोगों को मारने की अपनी ताकत पर जितना भरोसा कोरोना को खुद को नहीं है, उतना भरोसा एयरटेल को लग रहा है, और एक पखवाड़े पहले से ही वसूली की कोशिश हो रही है। यह एक अलग बात है कि ऑप्टिक फाइबर केबल बिछाने के चलते एयरटेल की मौजूदा सर्विस भी चौपट चल रही है। ([email protected])