राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : भाजपा में गुटबाजी-असंतोष
01-Feb-2020
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : भाजपा में गुटबाजी-असंतोष

भाजपा में गुटबाजी-असंतोष
खबर है कि प्रदेश भाजपा में गुटबाजी से हाईकमान चिंतित है। कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी के बड़े नेताओं के बीच खाई और बढ़ गई है। इस वजह से पहले विधानसभा उपचुनावों और फिर म्युनिसिपल चुनाव में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। पंचायत चुनाव में भी कोई अच्छे आसार नहीं दिख रहे हैं। खुद अमित शाह के कार्यक्रम में गुटबाजी का नजारा साफ देखने को मिला। 

वैसे तो शाह करीब 2 घंटे कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में रहे। मगर मंच संचालन से लेकर स्वागत और मेल-मुलाकात संगठन में हावी नेताओं तक ही सीमित रहा। दिग्गज आदिवासी नेता नंदकुमार साय, बृजमोहन अग्रवाल, अजय चंद्राकर और प्रेम प्रकाश पांडेय, नारायण चंदेल जैसे दिग्गज नेताओं को मंच पर बिठाना तो दूर, स्वागत सत्कार के लिए भी नहीं बुलाया गया। स्वागत भाषण से लेकर सत्कार और मेल-मुलाकात का पूरा कार्यक्रम संगठन पर हावी मंचस्थ 4-5 नेताओं तक ही सीमित रहा। जबकि कुछ नेता प्रदेश संगठन की स्थिति को लेकर अपनी बात अमित शाह तक पहुंचाना चाहते थे, लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला।

सुनते हैं कि पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर दिल्ली में कई बड़े नेताओं से मिलकर कार्यकर्ताओं में बढ़ते असंतोष की तरफ ध्यान दिला चुके हैं। यह भी कहा गया है कि नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक और प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी का अब तक का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है। ऐसे में दोनों में से कम से कम एक को बदलने पर जोर दिया जा रहा है। मगर कंवर जैसे नेताओं की शिकायतों को कितना महत्व मिलता है, यह आने वाले दिनों में साफ हो जाएगा, फिलहाल तो पिछले बरसों का इतिहास बताता है कि ननकीराम कंवर के पिछले दस बरस महज पार्टी के भीतर के असंतुष्ट की हैसियत से गुजरे हैं। वे जब गृहमंत्री थे, तब भी सरकार के भीतर कुछ जायज, या नाजायज वजहों से वे असंतुष्ट ही बने रहते थे।

पैसे वाला होना, और ईमानदार होना...
कुछ लोगों को यह लगता है कि जिनके पास बहुत पैसा है, वे लोग गलत तरीके से पैसा क्यों कमाएंगे? एक वक्त था जब चुनाव में किसी उम्मीदवार को वोट देते समय लोग यह चर्चा करते थे कि उसके पास पहले से इतना पैसा है, तो कम से कम लूटपाट तो नहीं करेगा। लेकिन ऐसे लोग भी जीतने के बाद करोड़पति से अरबपति, और अरबपति से खरबपति बनने के लिए मुंह पर गमछा बांधे बिना ही सरकारी लूटपाट में लग जाते थे, और धीरे-धीरे यह तर्क बेअसर हो गया। अब कुछ लोग गरीब को वोट देने की बात जरूर करते हैं कि उसे गरीबी में जीने की आदत है, और हो सकता है कि वह ईमानदारी से राजनीति और सरकार चला ले। 

लेकिन छत्तीसगढ़ में बड़े-बड़े रईसों के ऐसे-ऐसे भ्रष्टाचार, और आर्थिक अपराध सामने आए हैं कि लोगों को लगता है कि इनको जरूरत क्या थी? छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े सेठ कहलाने वाले परिवार के अरबपति माने जाने वाले वारिस कुछ करोड़ की धोखाधड़ी में पूरे कुनबे सहित जेल और कटघरे में हैं। 

अभी बंगाल के कोलकाता में दो बड़े कारोबारियों के नौजवान लड़कों ने दर्जनों महिलाओं और लड़कियों के साथ अपने सेक्स-वीडियो बनाए, और उनको ब्लैकमेल करके उनसे पांच-दस लाख रूपए जैसी रकम वसूल करना शुरू किया। पुलिस को इनके जब्त किए गए लैपटॉप से ऐसे दर्जनों वीडियो मिले हैं, और इन दोनों रईस नौजवानों को गिरफ्तार किया गया है। इसलिए लोगों को किसी की संपन्नता की वजह से उसके मुजरिम न होने जैसी बात नहीं सोचना चाहिए। घर का रईस होना, करोड़पति या अरबपति होना किसी को जुर्म से परे रख पाए ऐसा जरूरी नहीं है। 


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