राजपथ - जनपथ
हाथी का खरीददार नहीं
रायपुर का एक भव्य विवाहघर बिकने जा रहा है। चर्चा है कि विवाहघर की निर्माण में कई नेताओं ने अपनी पूंजी लगाई थी, लेकिन अपेक्षाकृत मुनाफा नहीं हो रहा है। उल्टे प्रभावशाली लोगों के यहां की शादियों के लिए तो किराया भी कम कर देना पड़ता है। यह सब देखकर अब निवेशकों ने विवाहघर के संचालक पर दबाव बनाया है कि वह उसे बेच दे।
सुनते हैं कि पहले सवा सौ करोड़ के आसपास में विवाहघर को बेचना तय हुआ था। यह सौदा कई कांग्रेस नेताओं के पास भी पहुंचा। मगर इतनी राशि देने के लिए कोई तैयार नहीं है। भारी मंदी के चलते विवाहघर के लिए कीमत अब आधी कर दी गई है, लेकिन बाजार का हाल इतना बुरा है कि कोई खरीददार आगे नहीं आ रहा है। हाथी को पालना आसान नहीं होता, वह सर्कस में काम न करे, चुनावी रैली में न निकले, झांकियों में किराए पर न चले, तो भी रोज एक क्विंटल खाता है, और दो मजदूरों के उठाने लायक हगता है। ऐसे बड़े विवाहघर का हाल भी यही है।
दूसरे का माल, खुद की वाहवाही
रायपुर स्मार्ट सिटी परियोजना के कार्यों की केन्द्र सरकार गुपचुप जांच करा रही है। हुआ यूं कि डीएमएफ से हुए कई निर्माण कार्यों को स्मार्ट सिटी के मद से होना बता दिया गया है। स्मार्ट सिटी के ब्रोशर में नालंदा परिसर, आक्सीजोन सहित कई योजनाओं का जिक्र है। मगर ये सब कार्य डीएमएफ से हुए हैं। ऐसे में स्मार्ट सिटी परियोजना के कार्यों में भारी अनियमितता की शिकायत भी हुई है। इन शिकायतों को केन्द्र सरकार ने गंभीरता से लिया है। स्मार्ट सिटी के बहाने राज्य सरकार को घेरने का मौका भी है और देर सबेर कई छोटे-बड़े अफसर लपेटे में आ सकते हैं। रायपुर म्युनिसिपल और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की एक दिक्कत यह भी है कि इनकी रग-रग से वाकिफ सुनील सोनी दो बार यहां महापौर थे, और अब सांसद होने के नाते संसद की इस कमेटी में भी हैं जो स्मार्ट सिटी को भी देख रही है।
दांत तो दांत, अब पथरी भी!
स्मार्ट कार्ड से गंभीर बीमारियों के इलाज की सुविधा रहती है। सरकार ने कुछ बीमारियों को इससे अलग कर दिया है। जिसमें दांतों के रोग और पथरी की बीमारी भी शामिल हैं। दोनों बीमारियों के इलाज के नाम पर चिकित्सक मालामाल हो रहे थे। दांतों की चिकित्सा के नाम पर स्मार्ट कार्ड की राशि के दुरूपयोग के मामले की पड़ताल भी चल रही है। कुछ चिकित्सकों पर कार्रवाई भी हुई है। प्रदेश के दंत चिकित्सक और पथरी का ऑपरेशन करने वाले चिकित्सक एकजुट होकर सरकार पर दबाव बनाए हुए हैं कि स्मार्ट कार्ड से इलाज की सुविधा दोबारा चालू की जाए। सुनते हैं कि कांग्रेस के कई प्रभावशाली नेताओं ने पथरी के डॉक्टरों के लिए लॉबिंग की है। पार्टी के बाबूजी ने भी अनुशंसा की है कि स्मार्ट कार्ड से इलाज की सुविधा में कम से कम पथरी के ऑपरेशन को भी रखा जाए। मगर सरकार है कि इस तरफ ध्यान नहीं दे रही है। (([email protected]))