राजपथ - जनपथ
घर के लोगों को निपटाने के लिए...
कांग्रेस और भाजपा के महापौर पद के दावेदार नेता अपने ही दल के अन्य दावेदारों को निपटाने में जुटे हैं। कुछ को इसके प्रमाण भी मिले हैं। सुनते हैं कि कांग्रेस के महापौर पद के एक दावेदार अपने ही दल के एक अन्य प्रबल दावेदार के वार्ड से निर्दलीय उम्मीदवार खड़े करने की कोशिश में जुटे थे। जिस नेता को निर्दलीय उम्मीदवार बनाने की कोशिश की गई, उसे पहले के चुनाव में उसी वार्ड से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अच्छे खासे वोट मिले थे। निर्दलीय उम्मीदवार को भारी भरकम फाइनेंस का वादा भी किया गया था, लेकिन बाद में उसने अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरने से मना कर दिया। इसके बाद अब प्रबल दावेदार को निपटाने के लिए जोगी पार्टी के प्रत्याशी पर काफी दांव लगाया जा रहा है ताकि महापौर दावेदार वार्ड में ही निपट जाए।
कुछ ऐसा ही हाल भाजपा में भी है। भाजपा के महापौर पद के एक दावेदार के खिलाफ दल के ही बागी निर्दलीय उम्मीदवार ने मोर्चा खोले हुए हैं। निर्दलीय उम्मीदवार के चाचा को भाजपा ने टिकट भी दी है और चाचा के जरिए भतीजे निर्दलीय उम्मीदवार को बिठाने की कोशिश भी हुई। मगर इसमें सफलता नहीं मिली। सुनते हैं कि खुद चाचा ने अपने भतीजे को नाम वापस कराने में कोई ज्यादा पहल नहीं की। दल के अन्य नेताओं द्वारा दबाव बनाए जाने पर चाचा ने खुद मैदान छोडऩे की धमकी दे दी। भतीजे को बागी बनाने में पार्टी के लोगों की अहम भूमिका रही है।
और इधर घर के भीतर...
नगरीय निकाय चुनाव के तुरंत बाद पंचायत के चुनाव होंगे। पंचायत चुनाव मैदान में उतरने के इच्छुक नेताओं ने अपने इलाकों में सक्रियता बढ़ा दी है। भाजपा के एक पूर्व मंत्री के घर में चुनाव से पहले ही झगड़ा शुरू हो गया है। सुनते हैं कि मंत्री के पुत्र खुद जिला पंचायत का चुनाव लडऩा चाहते हैं। जबकि उनकी पत्नी और मंत्री की पुत्रवधु भी चुनाव लडऩे की इच्छुक हैं। बेटे-बहू में से किसको चुनाव लड़ाए, यह फैसला पूर्व मंत्री के लिए कठिन हो चला है। क्योंकि दोनों ही चुनाव लडऩा चाहते हैं। फिलहाल तो पूर्व मंत्री मान मनौव्वल में ही जुटे हैं।
खतरे का तजुर्बा
राजधानी नया रायपुर की जंगल सफारी में कल सैलानियों से भरी एक सुरक्षित गाड़ी खराब हो गई तो सिंहों-शेरों के डर में गाड़ी के लोग बेचैन हो गए। बात में दूसरी गाड़ी आई और इसे खींचकर ले गई, तब तक लोगों का रोमांच अगली दो पीढ़ी को बताने लायक किस्सों से भर गया। सुरक्षित जाली के भीतर लोग जितने बेचैन हुए, उन्हें अब आगे यह अहसास भी रहेगा कि जंगल विभाग के कर्मचारी ऐसे जानवरों के बीच कैसे काम करते हैं, और कैसे जंगली जानवरों के इलाकों के ग्रामीण वहां जीते हैं। इस थोड़ी सी देर में तमाम सुरक्षा के बीच भी खुले जंगलों के खतरों का थोड़ा सा अंदाज लगा होगा। ([email protected])