राजपथ - जनपथ
तोहफे का मौसम
दीवाली के मौके पर गिफ्ट लेने-देने का चलन है। चुनाव के आसपास दीवाली होने पर इसका चलन बढ़ जाता है। प्रदेश में नगरीय निकाय के चुनाव होना है। यह देखते हुए टिकट के दावेदारों ने अपने मतदाताओं को खुश करने के लिए दिल खोलकर गिफ्ट बांटे। रायपुर दक्षिण के एक वार्ड में तो कांग्रेस टिकट के एक दावेदार ने अपने वार्ड के तकरीबन हर घर में कुछ न कुछ गिफ्ट भेजा। कई वार्डों में चुनाव लडऩे के इच्छुक लोगों ने खुलकर खर्च किए।
सुनते हैं कि गिफ्ट-लिफाफे के चक्कर में एक मंत्री बंगले में कुछ मीडिया कर्मियों के साथ कहा-सुनी की भी बात सामने आई है। सरकार के कई अफसर तो कुछ मीडिया कर्मियों से काफी परेशान रहे। ये लोग पिछली सरकार की परंपराओं का हवाला देकर लिफाफे के लिए दबाव बनाते रहे। अफसर उन्हें समझाते नजर आए कि इन्हीं सब कारनामों की वजह से पिछली सरकार के कई अफसरों के खिलाफ ईओडब्ल्यू में प्रकरण चल रहा है। मीडिया जगत में इस तरह की बातें पिछले कुछ सालों में देखने को मिली हंै।
एक समय ऐसा भी था जब मीडिया में लिफाफा संस्कृति के लोग नहीं थे। राज्य बनने के ठीक पहले दीवाली के मौके पर तो एक आबकारी अफसर उस समय के एक बड़े अखबार के संपादक दिवंगत बबन प्रसाद मिश्रा के पास गए। अफसर ने हैरानी जताई कि दीवाली के मौके पर शहर का कोई भी पत्रकार उनसे लिफाफा लेने नहीं आया जबकि इससे पहले वे जिस भी शहर में रहे हैं, वहां त्यौहार के मौके पर मीडिया कर्मी लिफाफा लेने पहुंच जाते हैं। अफसर ने स्वर्गीय मिश्रा के सामने रायपुर के मीडिया कर्मियों की ईमानदारी की जमकर तारीफ भी की। लेकिन जैसे-जैसे मीडिया का स्वरूप बदला है, प्रिंट, इलेक्ट्रानिक और सोशल मीडिया की सक्रियता बढ़ी है। कई लोग लिफाफा संस्कृति मेें चले गए हैं। इससे नेताओं और अफसरों को भी परेशानी उठानी पड़ रही है। हालांकि लोगों का मानना है कि दूसरे कई प्रदेशों के मुकाबले छत्तीसगढ़ का मीडिया अब भी बेहतर है। ([email protected])