राजपथ - जनपथ
नोट के इस्तेमाल से हैरानी
सरकार के एक-दो मंत्री अपनी अजीबो गरीब कार्यशैली की वजह से पार्टी हाईकमान की निगाह में आ गए हैं। हुआ यूं कि कुछ दिन पहले लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी का रायपुर आगमन हुआ। पश्चिम बंगाल के कांग्रेस सांसद अधीर रंजन रायपुर के एक कांग्रेस नेता के नजदीकी रिश्तेदार हैं। अधीर रंजन रायपुर आए, तो अपने रिश्तेदार कांग्रेस नेता के घर भी गए।
कांग्रेस नेता ने अपने घर में भोज रखा था। इसमें नेताजी ने एक मंत्री व अपने कुछ पारिवारिक मित्रों को भी आमंत्रित किया था। भोज के दौरान अधीर रंजन ने मंत्रीजी से प्रदेश के राजनीति हालातों पर भी चर्चा की। भोजन के बाद मंत्रीजी ने अपनी जेब से पांच सौ के नए नोट निकाले और नोट को मोड़कर दांत में फंसे भोजन के टुकड़े को निकालने लगे। विपक्ष के नेता अधीर रंजन, मंत्रीजी के तौर-तरीके को एकटक देखने लगे। अधीर रंजन ने कुछ नहीं कहा, लेकिन मंत्रीजी अपने अलग ही अंदाज के चलते हाईकमान की नजर में आ गए।
करे कोई, भरे कोई
स्कूल शिक्षा विभाग में ट्रांसफर-पोस्टिंग के चक्कर में डिप्टी कलेक्टर नाहक बदनाम हो गए। वे ट्रांसफर सीजन शुरू होने से कुछ दिन पहले ही स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह के विशेष सहायक नियुक्त हुए थे। मंत्रीजी की सरलता उनके स्टॉफ के कुछ लोगों ने जमकर फायदा उठाया। हालांकि बाद में शिकवा-शिकायतों के बाद मुख्यमंत्री की नाराजगी के चलते मंत्रीजी ने ओएसडी राजेश सिंह और विशेष सहायक नवीन भगत को हटा दिया।
सुनते हैं कि भगत का ट्रांसफर पोस्टिंग से ज्यादा कोई लेना देना नहीं था। उन्होंने कामकाज ठीक से संभाला नहीं था। मंत्री बंगले में उनका कमरा भी तैयार नहीं हुआ था कि ट्रांसफर-पोस्टिंग में गड़बडिय़ों का ठीकरा उन पर ही फोड़ दिया गया। जबकि सारा किया धरा राजेश सिंह का था। राजेश सिंह इतने प्रभावशाली रहे कि उनके पक्ष में टीएस सिंहदेव भी सामने आ गए। मगर भगत को हटाए जाने के बाद यह कहा जाने लगा कि गेंहू के साथ घुन भी पिस गया। हालांकि ट्रांसफर-पोस्टिंग में गड़बडिय़ों के लिए एक स्वास्थ्य कर्मचारी को भी जिम्मेदार ठहराया गया था। वे भी मंत्री स्टॉफ में हैं, लेकिन वे अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब रहे।
मयखाने में विमोचन..
अब तक हमने देखा है कि कोई साहित्यकार अपनी कृति का विमोचन किसी बड़े समारोह में किसी बड़े राजनेता या साहित्यकार से कराता है । कल रायपुर में एक साहित्यकार ने अपनी किताब का विमोचन उन मजदूरों से कराया जो इस उपन्यास के पात्र हैं, उस कृति का हिस्सा है। जी हां, रायपुर में ऐसा पहली बार हुआ है। छत्तीसगढ़ के युवा साहित्यकार किशनलाल जी के नए उपन्यास चींटियों की वापसी का कल कुछ इसीतरह विमोचन हुआ । मजेदार बात यह कि कार्यक्रम भी ऐसी जगह पर किया गया जहां आमतौर पर सभ्य लोग जाने से कतराते हैं। जी, आप लोगों का अंदाजा सही है, कार्यक्रम राजधानी के आमा सिवनी स्थित शराब दुकान के अहाते में किया गया। कार्यक्रम को देखने-सुनने के लिए बड़ी संख्या में ऑटो-रिक्शा चालक, बढ़ई, मिल-कारखानों के मजदूर व भवन निर्माण करने वाले कामगार मौजूद थे। कार्यक्रम के अतिथि के रूप में रूपचंद रात्रे, तुलेश्वर सोनवानी, जितेन्द्र चेलक और छोटू जोशी मौजूद थे। ये सभी मजदूर राजधानी के डॉ. भीमराव अंबेडकर वार्ड के मोवा निवासी हैं जो कि उपन्यास के विभिन्न पात्र हैं। अतिथियों के स्वागत व कृति के विमोचन के बाद लेखक किशनलाल ने उपन्यास के महत्वपूर्ण हिस्से का पाठ किया। कार्यक्रम इतना दिलचस्प हो गया था कि लोग कुछ देर के लिए शराब पीना छोड़कर बड़े ध्यान से रचनाकार के पाठ को सुन रहे थे। यह पूछे जाने पर कि रायपुर सहित प्रदेश में राष्ट्रीय स्तर के कई साहित्यकार होने के बावजूद मजदूरों से पुस्तक विमोचन क्यों, इसका जवाब देते हुए किशनलाल ने कहा कि जिनके लिए लिखा है, वही लोग इसका विमोचन करें, मेरी हार्दिक इच्छा थी। शराब दुकान में आयोजन को लेकर उन्होंने कहा कि मेरे लिए हर जगह पवित्र है। दूसरी बात यह कि ऐसी जगहों पर कार्यक्रम करने पर किराया नहीं देना पड़ता है। चींटियों की वापसी उपन्यास है जो कि पूरी तरह रायपुर शहर पर केंद्रित है।
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