राजपथ - जनपथ
दंतेवाड़ा में छप्पर फाड़कर...
दंतेवाड़ा में कांग्रेस की उम्मीद के विपरीत भारी जीत ने भाजपा नेताओं को हिलाकर रख दिया है। भाजपा को शहरी इलाके दंतेवाड़ा, किरंदुल, गीदम, बड़े बचेली और बारसूर में बड़ी उम्मीदें थीं। लेकिन दंतेवाड़ा और किरंदुल को छोड़कर बाकी जगह भाजपा पिछड़ गई। कांग्रेस प्रत्याशी को साढ़े 11 हजार मतों से जीत मिली। जो कि पिछले 40 सालों में किसी भी पार्टी की सबसे बड़ी जीत है। आमतौर पर यहां त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति रहती थी और कोई भी प्रत्याशी अधिकतम 10 हजार वोट से ज्यादा अंतर से नहीं जीत पाता था।
सुनते हैं कि प्रदेश भाजपा पदाधिकारियों की बैठक में करारी हार का असर दिखा और तकरीबन सभी पदाधिकारी खामोश होकर वक्ताओं की बात सुनते रहे। किसी ने अपनी तरफ से कोई राय नहीं दी। अलबत्ता लंच ब्रेक के दौरान आपसी चर्चा में पार्टी पदाधिकारी यह कहते सुने गए कि बृजमोहन अग्रवाल को प्रभार दिया गया होता, तो नतीजा कुछ अलग होता। ये अलग बात है कि खुद बृजमोहन अग्रवाल ने पारिवारिक व्यस्तता के चलते संचालन करने का प्रस्ताव ठुकरा दिया था। पूर्व सीएम रमन सिंह हार के बाद अपनी प्रतिक्रिया में यह जरूर कहा कि दंतेवाड़ा में हार का बदला चित्रकोट में लेंगे। मगर पार्टी के प्रमुख रणनीतिकारों को चित्रकोट में कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है। बस्तर के एक पूर्व विधायक ने अभी से पार्टी के कुछ नेताओं को कह दिया है कि चित्रकोट में हार का अंतर दंतेवाड़ा से ज्यादा होगा। क्योंकि दंतेवाड़ा में तो पार्टी के पास सौम्य-शिक्षित महिला प्रत्याशी थी और साथ ही साथ पति की नक्सल हत्या के कारण सहानुभूति की लहर की उम्मीद थी जो कि नहीं चल पाई। चित्रकोट तो कांग्रेस की सीट रही है, जिसे छीनना किसी चमत्कार से कम नहीं होगा। खैर, जितनी मुंह, उतनी बातें।
हनीट्रैप के जांच अफसर...
मध्यप्रदेश के चर्चित हनीटै्रप प्रकरण की जांच कर रही एसआईटी के मुखिया संजीव शमी का छत्तीसगढ़ से नाता रहा है। 93 बैच के आईपीएस शमी अपने कैरियर के प्रारंभिक दिनों में बस्तर में पदस्थ रहे हैं। प्रशिक्षु पुलिस अफसर के रूप में वे चारामा में काम कर चुके हैं। उनकी सख्त कार्यशैली को आज भी लोग याद करते हैं। इस प्रकरण में छत्तीसगढ़ के अफसरों, पूर्व मंत्रियों की भी संलिप्तता की चर्चा है। मगर इन सब पर छत्तीसगढ़ पुलिस की चुप्पी लोगों को चौंका रही है। उम्मीद की जा रही थी कि यहां से भी एक टीम भोपाल पतासाजी के लिए भेजी जाएगी। लेकिन पीएचक्यू ने खामोशी ओढ़ ली है। चर्चा तो यह भी है कि पुलिस के कुछ अफसर भी हनी ट्रैप के शिकार हो सकते हैं। एक अफसर के कई बार के छत्तीसगढ़ के ही एक जिले के प्रवास को भी इसी नजरिए से देखा जा रहा है। इन सबके बावजूद प्रकरण को दबाना मुश्किल है। क्योंकि मध्यप्रदेश सरकार इसमें पूरी रूचि ले रही है और सच जल्द ही सामने आने की उम्मीद है। ([email protected])