राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : महादेव की अंतहीन कहानियाँ
27-Mar-2025 4:29 PM
राजपथ-जनपथ : महादेव की अंतहीन कहानियाँ

 महादेव की अंतहीन कहानियाँ

महादेव सट्टेबाजी केस में सीबीआई की पहली बार एंट्री हुई है। सुबह से लेकर रात तक सीबीआई ने छत्तीसगढ़ समेत चार राज्यों के 60 ठिकानों पर छापेमारी की। छापे में क्या कुछ मिला यह स्पष्ट नहीं है। सीबीआई ने सिर्फ इतना ही कहा है कि तलाशी के दौरान डिजिटल, और दस्तावेजी साक्ष्य पाए गए, उन्हें जब्त किया गया है। चूंकि पूर्व सीएम भूपेश बघेल, और कांग्रेस विधायक देवेन्द्र यादव के साथ ही चार आईपीएस अफसरों के यहां छापे डले, तो माहौल गरमा गया।

पूर्व सीएम, और ताकतवर पुलिस अफसरों के यहां छापेमारी हुई, तो राजनीतिक हलकों में काफी चर्चा होती रही। वैसे तो ईडी इसी प्रकरण में पूर्व सीएम के करीबी विनोद वर्मा के यहां पहले भी छापा मार चुकी है। चर्चा है कि हाईकोर्ट में ऑनलाइन सट्टेबाजी पर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। कोर्ट ने इस प्रकरण पर राज्य के गृह सचिव से हलफनामा मांगा है। प्रकरण पर अगली सुनवाई 4 अप्रैल को होगी। इससे पहले राज्य वित्त आयोग के पूर्व सदस्य नरेश चंद्र गुप्ता ने भी पिछले साल सीबीआई दफ्तर जाकर ज्ञापन भी दिया था, जिसमें पुलिस अफसरों की संलिप्तता का जिक्र था।

गुप्ता ने महादेव ऑनलाइन सट्टेबाजी प्रकरण के आरोपी एएसआई चंद्रभूषण वर्मा, दुबई निवासी महादेव ऐप के प्रोपराइटर शुभम सोनी, भिलाई निवासी सतीश चंद्राकर, और असीम दास के ईडी में पीएमएलए अधिनियम की धारा 50 के तहत दर्ज किए गए बयान का हवाला दिया था।  छापेमारी को याचिका-शिकायत से जोडक़र देखा जा रहा है। जिनके यहां भी छापे डले हैं उनके नाम सट्टेबाजी केस में पहले ही पब्लिक डोमेन रहे हैं। ऐसे में छापे डले, तो किसी को आश्चर्य नहीं हुआ।

सीबीआई की एक बड़ी टीम मंगलवार की रात रायपुर पहुंच गई थी। इसलिए यहां बड़ी कार्रवाई होने की भनक पहले ही लग गई थी। ऐसे में  जिनके यहां छापे डले, उनमें से ज्यादातर लोग घर पर नहीं थे। कुछ भी हो, सीबीआई के लिए महादेव ऑनलाइन सट्टा प्रकरण सुलझाना आसान नहीं है। वजह यह है कि संचालक देश से बाहर हैं, और उन्हें यहां लाकर मुकदमा चलना कठिन है। ऐसे में जिनके यहां छापे डले हैं वो ज्यादा परेशान नहीं दिख रहे हैं। अफसरों को बुरा जरूर लग रहा है क्योंकि इससे साख पर असर पड़ा है। फिर भी पुलिस प्रशासन में सत्ता के साथ मिलकर अपराधीकरण चिंता का विषय है। इस मसले पर अब सीबीआई आगे क्या कुछ करती है यह देखना है।

अब रानू साहू ट्रेनिंग के लिए नामजद!

राज्य के साप्रवि का प्रकोष्ठ जीएडी-2 सीजी में पदस्थ आईएएस अफसरों के लिए डीओपीटी की तरह कैडर कंट्रोलिंग विभाग की तरह काम करता है। लेकिन यहां  बरते जाने वाली अनदेखी से गंभीर मामलों में दोषी ,जेल याफ्ता अफसर भी सम्मानीय बने हुए हैं। और केंद्र के सभी प्रमुख कैरियर गाइडेंस ट्रेनिंग और अन्य कार्मिक योजनाओं के लिए नामजद भी हो रहे हैं। हाल में आईएएस अवार्ड न होने के बावजूद कोल घोटाले की आरोपी सौम्या चौरसिया, जमीन घोटाले में जांच का सामना कर रहे तीर्थराज अग्रवाल, आरती वासनिक को मसूरी अकादमी ने पहली ट्रेनिंग के लिए ऑफर लेटर भेज दिया । और अब डेढ़ वर्ष से जेल में बंद रानू साहू को भी अकादमी से फेज -3 ट्रेनिंग का कॉल आया है।

रानू डेढ़ वर्ष से कोल लेवी घोटाले के बाद अब डीएमएफ घोटाले में भी बंदी हो गई है। है न तालमेल का अभाव। डेढ़ वर्ष में जीएडी और डीओपीटी को एक दिन भी समय न मिला कि अकादमी को इसकी सूचना दे दे कि फलां अफसर जेल में है, निलंबित है। ताकि उन्हें ट्रेनिंग के लिए नामजद न किया जा सके।

क्या राज्य के साप्रवि और डीओपीटी के बीच तालमेल नहीं है या कोई चीज छुपाई जाती है। शायद ऐसे ही अन्याय कारणों से किसी मामले में आरोपित संदिग्ध और जांच का सामना करने वाले आईएएस अफसरों को चार्जशीट निर्धारित अवधि में नहीं मिल पाती और वे जांच ही नहीं पूरे मामले से बरी हो जाते हैं। यह केवल आईएएस नहीं ,आईपीएस आईएफएस के मामले में भी ऐसा ही होता हो।

तस्वीर पर सियासी घमासान

बिल्हा विधायक व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक सन् 2018 के विधानसभा चुनाव में 25 हजार वोटों के विशाल अंतर से जीते थे। उस समय कांग्रेस ने राजेंद्र शुक्ला को टिकट दी थी। शुक्ला को चुनाव लडऩे के पहले जिला कांग्रेस अध्यक्ष बिलासपुर का पद छोडऩा पड़ा था। हार-जीत में वोटों के फासले पर उस समय सवाल खड़े हुए थे। कहा गया कि भाजपा के पक्ष में ऐसा एकतरफा माहौल कैसे बना, जबकि कांग्रेस हर बार वहां टक्कर में रही है। करारी हार के बाद भी कांग्रेस में उनकी पकड़ ढीली नहीं हुई और जिला कृषि उपज मंडी बोर्ड के अध्यक्ष बना दिए गए। पीएससी की जिस चयन सूची पर सीबीआई जांच हो रही है, उनमें एक नाम उनके बेटे का भी है। अभी त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में उनकी पत्नी अनीता शुक्ला जिला पंचायत सदस्य बन गई हैं। उन्होंने भाजपा की पुनीता डहरिया को हराया। जीत हार तो स्वाभाविक है लेकिन कांग्रेस नेताओं को हैरानी इस बात पर हुई कि उसी वोटिंग के दौरान इस जिला पंचायत क्षेत्र के सभी 6 जनपद के कांग्रेस प्रत्याशी हार गए। एक को भी जीत नहीं मिली। अब शुक्ला के खिलाफ जिला कांग्रेस अध्यक्ष विजय केशरवानी और बिल्हा के पूर्व विधायक सियाराम कौशिक ने शुक्ला को पार्टी से निष्कासित करने की मांग कर दी है। उनका कहना है कि उनका भाजपा नेताओं से साठगांठ है। जनपद सदस्यों की सीट भाजपा को देने के एवज में उन्होंने अपनी जीत पक्की करा ली। सबूत के तौर पर यह तस्वीर भी पेश की गई है, जिसमें अनीता शुक्ला और राजेंद्र शुक्ला, विधायक धरमलाल कौशिक का झुक कर अभिवादन कर रहे हैं। पता चला है कि पर्यवेक्षक प्रमोद दुबे ने कौशिक और केशरवानी से अब मामले को तूल नहीं देने के लिए मना लिया है। वैसे करीब एक दर्जन नेताओं के खिलाफ जिला पंचायत और नगर निगम चुनाव के बाद कांग्रेस से भितरघात करने की शिकायत बिलासपुर जिले से हुई है। इनमें से प्रदेश प्रवक्ता अभय नारायण राय जैसे नाम भी शामिल हैं। ([email protected])

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