राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : जेल में रहते हुए भी...
21-Mar-2025 4:20 PM
 राजपथ-जनपथ :  जेल में रहते हुए भी...

जेल में रहते हुए भी...

नगरीय निकाय चुनाव की तरह पंचायत चुनाव में भी भाजपा को अभूतपूर्व सफलता मिली है। पार्टी 33 में से 32 जिला पंचायतों पर कब्जा जमाने में कामयाब रही। मगर पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के जेल में होने के बाद भी सुकमा जिला पंचायत में भाजपा का परचम नहीं लहरा पाया। भाजपा के रणनीतिकारों ने यहां अपना अध्यक्ष बनवाने के लिए भरसक कोशिशें की थी, लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाए।

सुकमा में कांग्रेस समर्थित पांच, भाजपा के तीन, और सीपीआई समर्थित तीन जिला पंचायत सदस्य चुनकर आए थे। भाजपा के रणनीतिकारों ने पहले सीपीआई, और फिर कांग्रेस समर्थित सदस्यों को तोडऩे की कोशिश की, लेकिन निराशा हाथ लगी। दो बार चुनाव की तिथि आगे बढ़ाई गई, लेकिन कांग्रेस, और सीपीआई के सदस्य आखिरी तक एकजुट रहे। किसी तरह दबाव, और प्रलोभन का उन पर कोई फर्क नहीं पड़ा। आखिरकार कांग्रेस समर्थित मंगम्मा सोयम जिला पंचायत अध्यक्ष, और सीपीआई के महेश कुंजाम उपाध्यक्ष निर्वाचित घोषित किए गए।

रायपुर जिला पंचायत में कांग्रेस, और भाजपा के बीच बराबरी का मुकाबला था। मगर जोगी पार्टी के जिला पंचायत सदस्य संदीप यदु, और एक अन्य सदस्य अन्नू तारक के भाजपा में शामिल होने से खेल बिगड़ गया। भाजपा समर्थित नवीन अग्रवाल जिला पंचायत अध्यक्ष, और उपाध्यक्ष   पद पर संदीप यदु निर्वाचित हुए। नवीन पहले जिला पंचायत उपाध्यक्ष रह चुके हैं। चाहे जैसे भी हो, राज्य बनने के पहले, और बाद में जिला पंचायतों में भाजपा को इतनी बड़ी सफलता कभी नहीं मिली।

महज तीन वर्ष में ईडी की सूची में छत्तीसगढ़

केंद्र सरकार ने संसद को सूचित किया है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पिछले 10 वर्षों में सांसदों, विधायकों, एमएलसी और स्थानीय निकायों के नेताओं  साथ-साथ उनके दलों के खिलाफ 193 मामले दर्ज किए हैं। लेकिन इनमें ईडी का कनविक्शन रेट एक प्रतिशत से भी कम है। संसद में  दी गई जानकारी के अनुसार इनमें से केवल दो ही मामलों में आरोपी नेताओं पर दोष सिद्ध कर पाई है हालांकि संघीय जांच एजेंसी के लिए सुखद खबर यह भी है कि  किसी भी मामले में गुण-दोष के आधार पर दोषमुक्ति नहीं हुई है। ईडी की इस लिस्ट में छत्तीसगढ़ ने भी जगह बनाई है। और वह भी महज ढाई तीन वर्ष में ।

 ईडी यहां कोयला घोटाला, शराब घोटाला, कस्टम मिलिंग, और महादेव सट्टा घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के मामले दर्ज किए हैं। और दो वर्तमान विधायक कवासी लखमा (पूर्व मंत्री) देवेंद्र यादव और पूर्व विधायक चंद्रदेव राय को आरोपी बनाया है। और इन्हीं मामलों में पूर्व सीएम के पुत्र  से पूछताछ हो रही है। तो कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल की भी तलाश है ईडी को । ईडी के अतिरिक्त आयकर, सीबीआई के जाल में भी कई अफसर, नेता फंसे हुए हैं।

ईडी ने सिटिंग और पूर्व सांसदों, विधायकों, एमएलसी और  राजनीतिक दलों से जुड़े व्यक्तियों का साल दर साल विवरण दिया है। इसके मुताबिक-

01.04.2015 से 31.03.2016 तक-10

01.04.2016 से 31.03.2017 तक- 14

01.04.2017 से 31.03.2018 तक- 07

01.04.2018 से 31.03.2019 तक- 11

01.04.2019 से 31.03.2020 तक- 26

01.04.2020 से 31.03.2021 तक- 27

01.04.2021 से 31.03.2022 तक- 26

01.04.2022 से 31.03.2023 तक- 32

 01.04.2023 से 31.03.2024 तक- 27

01.04.2024 से 28.02.205 तक-13

 

पर केस दर्ज किए हैं।

संवेदनशीलता और विफलता

कोंडागांव, बस्तर का वह कोना जहां माओवादी हिंसा और अधूरे विकास की हकीकत आज भी ग्रामीणों का पीछा नहीं छोड़ती। एक तस्वीर सामने आई है—युवा कलेक्टर कुणाल दुदावत, एसपी के साथ बाइक पर सवार, पथरीली पगडंडियों को पार करते हुए गांववालों की समस्याएं सुनने निकले हैं।

यह उनकी संवेदनशीलता है, तारीफ होनी चाहिए। भीषण गर्मी में अफसर एसी गाडिय़ों से उतरकर ग्रामीणों तक पहुंच रहे हैं। लेकिन यही तस्वीर एक कड़वी सच्चाई भी बयान कर रही है। 77 साल बाद भी यहां सडक़ें और पुल नहीं बन पाए। बस्तर के कई गांव बारिश में राशन के लिए तो गर्मी में पानी के लिए। नाले उफान पर आए तो पुल बह जाते हैं, बच्चे बांस के सहारे नदी पार करने को मजबूर होते हैं। एंबुलेंस इन पगडंडियों तक नहीं पहुंचती, मरीजों को खाट-कांवड़ पर अस्पताल ले जाना पड़ता है। 

इसलिए कलेक्टर का बाइक से गांव पहुंचना सराहनीय जरूर हो पर उतना ही शर्मनाक भी कहा जा सकता है। यह प्रशासन की इच्छाशक्ति और वर्षों से अधूरे पड़े विकास कार्यों की पोल खोलता है। यह तस्वीर कब बदलेगी?

एआई ने खींचा अपराधी का स्केच

भिलाई में तीन दिन पहले लूट की एक घटना हुई थी। स्कूटी सवार महिला के गले में चाकू अड़ाकर सोने की चेन और अंगूठी लूट ली गई। मामले में पुलिस को अपराधी का स्केच बनाने के लिए स्केच आर्टिस्ट की जरूरत नहीं पड़ी। पीडि़ता के इंजीनियर पति ने खुद एआई तकनीक से संदिग्ध की तस्वीर तैयार कर पुलिस को दी। उसी तस्वीर के आधार पर अब पुलिस अपराधी की तलाश कर रही है। यह दिखाता है कि हमारे आपके जैसे आम नागरिक भी तकनीक के जरिए अपराधों की जांच में मददगार बन सकते हैं। दिल्ली पुलिस अपराधियों के पकडऩे के लिए एआई तकनीक का इस्तेमाल कर रही है। सीसीटीवी फुटेज में संदिग्ध की तस्वीर को पहचानने में मदद ली जा रही है। दिल्ली पुलिस पुराने आपराधिक डेटा की जांच करने के लिए भी एआई का इस्तेमाल कर रही है। यदि कोई संदिग्ध बातचीत रिकॉर्ड की गई तो भी एआई से पहचानने में मदद मिल सकती है। प्रसंगवश, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में इन दिनों सुनवाई चल रही है कि पुलिस महकमे में साइबर एक्सपर्ट की भारी कमी है। छत्तीसगढ़ पुलिस को अब साइबर एक्सपर्ट ही नहीं, एआई एक्सपर्ट की भी जरूरत पडऩे वाली है। भिलाई के मामले में तो पीडि़ता का पति इंजीनियर था, एआई का जानकार था तो स्केच बनाकर दे दिया, पर बाकी मामलों में तो अपराध की जांच करने वाली पुलिस को ही जिम्मेदारी उठानी पड़ेगी।  ([email protected])

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